December 12, 2024
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National Panchayati Raj Day 2023 : कब मनाया जाता है राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस ?

National Panchayati Raj Day 2023 || राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस || About National Panchayati Raj Day || पंचायती राज दिवस

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 24 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में पंचायती राज प्रणाली का राष्ट्रीय दिवस है। 24 अप्रैल 2010 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस घोषित किया था।

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कब मनाया जाता है राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस ?

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) को पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 24 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में पंचायती राज प्रणाली का राष्ट्रीय दिवस है। 24 अप्रैल 2010 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस घोषित किया था।

पंचायती राज दिवस क्यों मनाया जाता है ? (Why is Panchayati Raj Day celebrated?)

 24 अप्रैल का पंचायती राज मंत्रालय द्वारा वार्षिक रूप से मान्यता प्राप्त पंचायती राज दिवस वर्ष 1993 में लागू होने वाले संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम 1992 की याद दिलाता है। पंचायती राज मंत्रालय, नोडल मंत्रालय, सामाजिक न्याय और सेवाओं के कुशल वितरण के साथ समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज संस्थानों के सशक्तिकरण सक्षमता और जवाबदेही के मिशन पर काम करता है। पंचायती राज दिवस राष्ट्रीय स्थानीय स्वशासन और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का जश्न मनाता है।

एक संघ में सरकार की शक्तियों और कार्यों को दो सरकारों के बीच विभाजित किया जाता है। भारत में केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारें हैं। 1993 में भारत के संविधान के 73 वें और 74 वें संशोधन अधिनियम के पारित होने के साथ शक्तियों और कार्यों का विभाजन स्थानीय स्वशासन (ग्राम स्तर पर पंचायत और कस्बों और बड़े शहरों में नगर पालिका और नगर निगम) में और नीचे चला गया। भारत में संघीय ढांचे में दो नहीं बल्कि तीन स्तरीय सरकारें हैं।

पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज और पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। मंत्रालय का नेतृत्व कैबिनेट रैंक के मंत्री द्वारा किया जाता है। वर्तमान समय में इस मंत्रालय का नेतृत्व गिरिराज सिंह कर रहे हैं।

पंचायती राज व्यवस्था का इतिहास

भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था अस्तित्व में रही है। भले ही इसे विभिन्न कालों में विभिन्न नामों से जाना जाता रहा हो। 1882 में ब्रिटिश काल में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था लेकिन वह असफल रहा। ब्रिटिश शासकों ने 1882 तथा 1960 में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की स्थिति पर जांच करने तथा उसके संबंध में सिफारिश करने के लिए ‘ शाही आयोग’ का गठन किया। इस आयोग द्वारा स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया गया। जिसके कारण 1920 में असम, बंगाल, बिहार, मद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए कानून बनाए गए।

संवैधानिक प्रावधान

राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश संविधान के अनुच्छेद 40 में दिया गया है। सातवीं अनुसूची (राज्य सूची) की प्रविष्टि 5 में ग्राम पंचायतों को शामिल करने और इसके संबंध में कानून बनाने का अधिकार राज्यों को प्रदान किया गया है। पंचायत राज्य संस्था को संवैधानिक मान्यता 1993वे संविधान में 73वें संशोधन के अंतर्गत दी गई है। संविधान में भाग 9 को पुनः जोड़ कर और इस भाग 9 में 16 नए अनुच्छेदों और संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़कर पंचायत के गठन, पंचायत के सदस्यों के चुनाव, संस्था के लिए आरक्षण तथा पंचायत के कार्यों के संबंध में व्यापक प्रावधान किए गए हैं।

पंचायती संस्थाओं पर विचार करने के लिए 1988 में पी.के. थुंगन समिति का गठन किया गया। पंचायती राज को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने के लिए 1989 में 64 वा संविधान संशोधन लोकसभा में पेश किया गया। जो लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा द्वारा नामंजूर कर दिया गया और लोकसभा भंग हो जाने पर यह विधेयक समाप्त कर दिया गया। 74वां संविधान संशोधन भी लोकसभा भंग किए जाने के कारण समाप्त होगया। इसके बाद 16 दिसंबर 1999 को 72 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया और इसे संयुक्त संसदीय समिति (प्रवर समिति) को सौंप दिया गया। जुलाई 1982 में प्रवर समिति ने विधेयक पर अपनी सहमति दे दी और विधेयक का क्रमांक बदलकर 73वां संविधान संशोधन विधेयक कर दिया गया। 22 दिसंबर 1992 को लोकसभा तथा 23 दिसंबर 1992 को राज्यसभा ने यह विधेयक पारित कर दिया। 17 राज्य विधानसभाओं ने इसका अनुमोदन किया।
20 अप्रैल 1993 को राष्ट्रपति ने इस पर अपनी सहमति दे दी और 24 अप्रैल 1993 को प्रवर्तित कर दिया गया।

पंचायती राज को 24 अप्रैल 1993 में 73वें संशोधन के अंतर्गत संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुई थी अतः यह दिन पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है।

क्या है पंचायत की संरचना ?

संविधान में 73 वे संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। जिसके अनुसार-

  • ग्राम स्तर पर ग्राम सभा जिला पंचायत के गठन का प्रावधान है।
  • खंड स्तर पर क्षेत्र पंचायत और
  •  जिलास्तर पर पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है।

आइए जानते हैं पंचायती राज के विभिन्न अंगों के बारे में

ग्राम सभा

ग्राम सभा में 200 या अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। किसी गांव की निर्वाचक नामावली में जो नाम दर्ज होते हैं उन व्यक्तियों को सामूहिक रूप से ग्रामसभा कहा जाता है। ग्राम सभा की बैठक वर्ष में दो बार होना आवश्यक है। और यह बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को है।

ग्राम पंचायत

ग्राम सभा में 200 या अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। किसी गांव की निर्वाचक नामावली में जो नाम दर्ज होते हैं उन व्यक्तियों को सामूहिक रूप से ग्रामसभा कहा जाता है। ग्राम सभा की बैठक वर्ष में दो बार होना आवश्यक है। और यह बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को है।

क्षेत्र पंचायत

क्षेत्र पंचायत गांव एवं जिले के मध्य संपर्क स्थापित करता है। क्षेत्र पंचायत निधि का संचालन खंड विकास अधिकारी और क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर द्वारा किया जाता है। खंड विकास अधिकारी क्षेत्र पंचायत स्तर का अधिकारी होता है।

जिला पंचायत

जिला पंचायत, पंचायती राज व्यवस्था का शीर्ष स्तर है। इसका अध्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है। जिला पंचायत के सदस्य निम्नलिखित हैं –

  1. अध्यक्ष
  2. निर्वाचित सदस्य
  3. जिले से संबंधित लोक सभा राज्य सभा विधान सभा तथा विधान परिषद के सदस्य
  4. महिलाओं के लिए एक- तिहाई स्थान आरक्षित।
    जिला पंचायत का अधिकारी सचिव होता है जो सरकार द्वारा नियुक्त होता है। सचिव ही जिला पंचायतों का बजट तैयार करता है। और जिला पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करता है।
    प्रांतीय सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के उच्च टाइम स्केल अधिकारियों में से मुख्य कार्यपालिका अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

नगरीय प्रशासन

नगरीय शासन व्यवस्था भारत में प्राचीनकाल से ही प्रचलन में रही है। 1687 मे जब ब्रिटिश सरकार द्वारा मद्रास शहर के लिए नगर निगम संस्था की स्थापना की गई तब नगरीय प्रशासन व्यवस्था को कानूनी रूप में मान्यता प्राप्त हुई ।

नगरीय शासन व्यवस्था के लिए संवैधानिक प्रावधान

मूल संविधान में नगरीय शासन व्यवस्था के संबंध में कोई प्रावधान नहीं था लेकिन नगरीय शासन व्यवस्था को सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में शामिल करके यह स्पष्ट कर दिया गया था कि इस संबंध में कानून केवल राज्यों में नगरीय शासन व्यवस्था के संबंध में कानून बनाया गया था। नगरीय शासन व्यवस्था के संचालन के लिए निम्न निकायों के गठन का प्रावधान किया गया था-

  1. नगर निगम
  2.  नगर पालिका
  3. नगर क्षेत्र समितियां
  4. अधिसूचित क्षेत्र समिति
  5. छावनी परिषद

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का महत्व

भारत में ग्रामीण समुदायों के विकास और शासन में पंचायतों द्वारा निभाई जाने वाले महत्वपूर्ण भूमिका की मान्यता में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का महत्व निहित है। स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में आवाज देकर और उनकी जरूरतों को पूरा करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए पंचायती राज प्रणाली संसाधन प्रदान करती है और उन्हें सशक्त बनाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए अथक परिश्रम करने वाले पंचायत सदस्यों को कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए यह दिन समर्पित है।

पंचायती राज का क्या है उत्तरदायित्व ?

ग्रामीण विकास और शासन कार्यों से संबंधित विभिन्न आवश्यक कार्यो के लिए भारत में पंचायती राज व्यवस्था जिम्मेदार है।
पंचायती राज व्यवस्था के, ग्रामीण विकास, अवसंरचना विकास, स्थानीय शासन, वित्तीय प्रबंधन, सामाजिक अधिकारिता एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे उत्तरदायित्व है जिसका निर्वहन पंचायती राज व्यवस्था करती है।

पंचायती राज दिवस पर दिए जाने वाले पुरस्कार

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों पंचायतों को निम्न पुरस्कार दिए जाते हैं-

  • दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार।
  • नानाजी देशमुख गौरव ग्रामसभा पुरस्कार।
  • ग्ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार।
  • बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार।

पंचायती राज दिवस 2023

पंचायती राज दिवस के उपलक्ष में ‘ आजादी का अमृत महोत्सव’ 2.0 के अंतर्गत 17 अप्रैल से 21 अप्रैल 2023 के दौरान राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह मनाया गया। जिसके तहत भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 17 अप्रैल 2023 को ‘ पंचायतों के प्रोत्साहन पर राष्ट्रीय सम्मेलन सह- पुरस्कार समारोह’ में राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किया।