कौन है साकार हरि बाबा उर्फ ‘भोले बाबा’ ? जिनके सत्संग में हुआ हाथरस हादसा
कौन है साकार हरि बाबा उर्फ ‘भोले बाबा’ ?
साकार हरि बाबा उर्फ ‘भोले बाबा’?, Hathras Accident : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को एक सत्संग के दौरान बड़ा हादसा हो गया, जिसमें 120 लोगों की मौत हो गई। हाथरस जिले में मंगलवार को साकार हरि बाबा का एकदिवसीय सत्संग चल रहा था। पौने दो बजे सत्संग खत्म होने पर बाबा के अनुयायी बाहर सड़क की ओर जाने लगे तभी भगदड़ मच गई। इस हादसे में लगभग 120 लोगों की मौत हो गई। इतने दर्दनाक हादसे के बाद लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि कौन है कथावाचक साकार हरि बाबा उर्फ ‘भोले बाबा’? जिनके सत्संग में हुआ यह हादसा। आईए जानते हैं-
नौकरी छोड़ बाबा बने
साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा का पहले सूरजपाल नाम था। करीब 17 साल पहले एलआईयू में खुफिया सूचनाओं के संग्रह किया करते थे, लेकिन नौकरी से सूरजपाल का मोह भंग हुआ और 1997 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद सूरजपाल नाम बदलकर साकार हरि बन गए। अनुयायी उन्हें भोले बाबा कहने लगे। बताया जा रहा है कि गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। कुछ ही दिनों में उनके लाखों की संख्या में अनुयायी बन गए। उनके अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश,राजस्थान, हरियाणा तक फैले हैं।
Hathras Stampede: हाथरस में साकार हरि बाबा के एक सत्संग में मची भगदड़, 120 लोगों की मौत
आम संतों की तरह नहीं धारण करते गेरूआ वस्त्र, पहनते हैं प्रिंस सूट
बाबा पुलिस के तौर तरीकों से परिचित थे इसलिए वर्दी धारी स्वयंसेवकों की लंबी चौड़ी फौज खड़ी करने में यह काफी मददगार साबित हुआ। यह बाबा अन्य साधु संतों की तरह गेरुआ वस्त्र धारण न करके ज्यादातर सफेद पेंट शर्ट पहनते हैं और महंगा चश्मा लगाते हैं। वह अपने प्रवचन में पाखंडों का विरोध करते हैं।
बाबा की पत्नी भी सभा में रहती हैं मौजूद
साकार हरि बाबा की पत्नी भी अक्सर सत्संग के दौरान मौजूद रहती हैं। उन्हें ‘माता श्री’ कहकर संबोधित किया जाता है। उनके अनुयायी,जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं, आमतौर पर गुलाबी कपड़े पहनती हैं। उनके अनुयायी उन्हें भोले बाबा के रूप में पूजते हैं। बाबा साकार हरि की उम्र करीब 60 वर्ष के आसपास है।
30 एकड़ में फैला है बाबा का आश्रम
भोले बाबा का आश्रम कासगंज जिले के पटियाली तहसील क्षेत्र के बहादुर नगर गांव में मौजूद है। यह उनका पैतृक गांव भी है। इनका आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। लोगों का कहना है कि उनके आश्रम में कोई मूर्ति नहीं है। इस आश्रम में पहले सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को सत्संग होता था लेकिन कुछ वर्ष पहले यह परंपरा टूट गई।
बाबा साकार हरि के साथ चलता है कारों का काफिला
बाबा साकार हरि कारों का काफिला साथ लेकर चलते हैं। उनके पास निजी सुरक्षा कर्मी भी है। अनुयायियों का कहना है कि 16 निजी कमांडरों के घेरे में रहते हैं बाबा साकार हरि। उनका सुरक्षा घेरा इतना सख्त रहता है कि कोई भी व्यक्ति उनके पास नहीं जा सकता है।
सोशल मीडिया से रहते हैं दूर
बाबा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इंटरनेट के जमाने में अन्य साधु संतों और कथावाचकों से अलग वह सोशल मीडिया से भी दूर रहते हैं। बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी प्लेटफार्म पर नहीं है।
मानव सेवा का देते हैं संदेश
साकार हरि बाबा अपने सत्संग में मानव सेवा का संदेश देते हैं। वह अपने सत्संग में कहते हैं कि मानव की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। सत्संग में आने से मन शुद्ध होता है। यहां पर कोई पाखंड नहीं है, कोई दान नहीं है।