July 27, 2024

Indian Army Day 2023: 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस ( Why is Indian Army Day celebrated on 15 January?)

Indian Army Day 2023 : प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को पूरे भारत में भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। सेना दिवस उन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने हमारे देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह दिन देश के प्रति समर्पण व बलिदान देने की प्रेरणा देता है।
भारत में सेना दिवस जाबाज़ सिपाहियों की शहादत पर गर्व करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 15 जनवरी को सेना दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 15 जनवरी, 1949 को भारतीय सेना ब्रिटिश सेना से पूरी तरह आजाद हुई थी।

सेना दिवस (Army Day–15 जनवरी)

Indian Army Day 2023 Janpanchayat

Indian Army Day 2023 : भारतीय सेना जो हमारी सुरक्षा में दिन रात 24 घंटे तैनात रहती है, जिसके लिए देश ही उसका घर परिवार सब कुछ होता है ऐसे सेना के जवानों के लिए सेना दिवस मनाया जाता है।

सेना दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को पूरे भारत में भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। सेना दिवस उन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने हमारे देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह दिन देश के प्रति समर्पण व बलिदान देने की प्रेरणा देता है।
भारत में सेना दिवस जाबाज़ सिपाहियों की शहादत पर गर्व करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 15 जनवरी को सेना दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 15 जनवरी, 1949 को भारतीय सेना ब्रिटिश सेना से पूरी तरह आजाद हुई थी। 15 जनवरी, 1949 को भारतीय सेना को मिली आजादी के दिन ही भारत को प्रथम सेना प्रमुख मिला था। इसी दिन के. एम. करिअप्पा को भारतीय सेना का कमांडर–इन–चीफ बनाया गया था। लेफ्टिनेंट करिअप्पा लोकतांत्रिक भारत के प्रथम सेना प्रमुख बने थे। इसके पूर्व इस पद पर ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर थे। यह दिवस भारतीय सेना की आजादी का जश्न मनाने का दिन है तथा देश की एकता व अखंडता के प्रति संकल्प लेने का दिन है।

कौन थे केएम करिअप्पा ? (Who was K. M. Cariappa? )

भारत के प्रथम कमांडर–इन–चीफ केएम करिअप्पा का पूरा नाम कोडंडेरा मंडप्पा करिअप्पा था। इनका जन्म 28 जनवरी, 1899 ईसवी में दक्षिण के कुर्ग के पास हुआ था। करियप्पा की औपचारिक शिक्षा ‘सेंट्रल हाई स्कूल’ मडिकेरी से हुई थी। आगे की शिक्षा उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से प्राप्त की। के. एम. करिअप्पा अपने छात्र जीवन में हॉकी और टेनिस के माने हुए खिलाड़ी थे. प्रथम विश्वयुद्ध (1914–1918) इसवी में उनका चयन शिक्षा पूरी करने के बाद ही हो गया।

के. एम. करिअप्पा की उपलब्धियां

करिअप्पा अपनी अभूतपूर्व योग्यता और नेतृत्व के गुणों के कारण प्रगति के पथ पर सदैव अग्रसर रहे। वे उन प्रथम भारतीयों में शामिल थे जिन्हें सेना में कमीशन प्राप्त था। भारतीय सेना का उन्होंने प्रत्येक मोर्चे पर सफल नेतृत्व किया। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सेना में ‘डिप्टी चीफ ऑफ जनरल स्टाफ’ के पद पर स्वतंत्रता के पहले ही नियुक्त कर दिया और यह किसी भारतीय व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा सम्मान था। सन् 1949 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात करिअप्पा को कमांडर–इन–चीफ बनाया गया था। 1953 तक वे इस पद पर रहे।
सेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के हाई कमिश्नर के पद पर रहे। इस पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात भी करिअप्पा सदा सक्रिय रहते थे। करियप्पा सेवानिवृत्त सैनिकों की समस्या का पता लगाकर उनके निवारण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते थे।
भारत सरकार ने 1979 में करियप्पा को सेवा क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए ‘फील्ड मार्शल’ की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया। 15 मई, 1993 ईसवी में 94 वर्ष की आयु में बैंगलोर में करिअप्पा का निधन हो गया।

सेना दिवस के अवसर पर होने वाले आयोजन

प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस के उपलक्ष में देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन लड़ाई के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना मेडल और अन्य पुरस्कारों से सेना प्रमुख सम्मानित करते हैं। प्रत्येक वर्ष सेना दिवस के उपलक्ष में दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में परेड का आयोजन किया जाता है जिसकी सलामी भारतीय सेना प्रमुख लेते हैं। परेड के दौरान अन्य देशों के सैन्य अतिथियों और सैनिक के परिवार वालों को बुलाया जाता है। परेड में सेना जंग का नमूना पेश करती है। इस परेड और हथियारों के प्रदर्शन का उद्देश्य विश्व को अपनी ताकत का एहसास कराना है। देश के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

सेना दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

भारत देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति करने वाले वीर सपूतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है।

सेना दिवस 2023

वर्ष 2030 में हम सेना दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।