December 1, 2024
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Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है ? (Why is the festival of Makar Sankranti celebrated?)

Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का पर्व प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में समस्त भारत में मनाया जाता है।यह भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, पोंगल, खिचड़ी और तिल संक्रांति भी कहते हैं। वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन इस वर्ष मकर संक्रांति को लेकर गलतफहमी की स्थिति है।

Makar Sankranti 2023

Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का पर्व प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में समस्त भारत में मनाया जाता है।यह भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, पोंगल, खिचड़ी और तिल संक्रांति भी कहते हैं। वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन इस वर्ष मकर संक्रांति को लेकर गलतफहमी की स्थिति है।

कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति ?

सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस समय को संक्रांति काल कहा जाता है। वर्ष 2023 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश रात्रि 8:14 पर होगा। हिंदू धर्म में रात्रि में स्नान, ध्यान और दान वर्जित है और हिंदू धर्म में त्यौहार का मान उदया तिथि से होता है। अतः मकर संक्रांति का त्यौहार इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाएगा

संक्रांति का क्या अर्थ होता है ?

सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस काल को संक्रांति काल कहते हैं। इसलिए सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के पश्चात दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।

क्यों है मकर संक्रांति का अधिक महत्व ?

सूर्य वैसे तो सभी 12 राशियों में प्रवेश करते हैं किंतु मकर राशि में सूर्य का प्रवेश महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य शनि देव के पिता है। कहा जाता है कि पिता जब पुत्र के घर जाता है तो उत्सव का माहौल होता है। अतः सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पर्व के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाया जाता है ?

कर संक्रांति के दिन प्रातः काल में संभव हो तो नदी के जल में स्नान करना चाहिए अथवा इस दिन जल में तिल और गंगाजल को पानी में मिलाकर स्नान किया जाता है। स्नान करने के पश्चात सूर्य देव की पूजा इस दिन अवश्य करनी चाहिए। देशभर में लोग मकर संक्रांति के पर्व पर तिल, गुड़, चावल, उड़द की दाल का सेवन करते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल का महत्व सबसे अधिक है। इस दिन तिल अवश्य खाना चाहिए। इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू भी बनते हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है इसलिए तिल को पवित्र पौष्टिक और गर्मी प्रदान करने वाला माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने का भी विधान है। इस दिन से शरद ऋतु क्षीण होनी प्रारंभ हो जाती है। बसंत के आगमन से स्वास्थ्य का विकास होना प्रारंभ हो जाता है।

मकर संक्रांति दान और पुण्य कर्म का पर्व

मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा नदी में स्नान व सूर्योपासना के बाद ब्राह्मणों को गुड़ चावल और तिल का दान भी अति श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इस दिन घी, तिल व चावल का दान करने वाले को संपूर्ण रोगों के साथ मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

मकर संक्रांति पतंग उड़ाने का दिन

मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने के लिए भी जाना जाता है। इस दिन लोग बड़े उत्साह से पतंगे उड़ा कर पतंगबाजी के दांव पेंचो का आनंद लेते हैं। अब बड़े शहरों में ही नहीं गांव में भी पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं होती हैं।
मकर संक्रांति एक वैदिक उत्सव है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इस त्यौहार का संबंध प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। यह तीनों चीजें जीवन का आधार है। इस पर्व में सूर्य देव को पूजा जाता है। सूर्य देव को शास्त्रों में भौतिक और अभौतिक तत्वों की आत्मा कहा गया है। सूर्य की स्थिति परिवर्तन के अनुसार ऋतु परिवर्तन होता है और धरती पर अन्न उपजता है। जिससे जीव का भरण पोषण होता है। मकर संक्रांति एक अति महत्वपूर्ण धार्मिक कृत्य एवं उत्सव है।