Congress में क्यों हो रही बगावत? Rahul Gandhi के अपने ही क्यों छोड़ रहे साथ?: Lok Sabha Election 2024 Updates in Hindi
Congress Part, Lok Sabha Election 2024 Updates in Hindi: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। फिर चाहे पूर्व मुख्यमंत्री हो या एक दशक तक कांग्रेस के तेज दरार प्रवक्ता हों।कांग्रेस नेताओं की ऐसी कोई कैटेगरी नहीं जो कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी में ना आ रहा हो। 24 घंटे के अंदर कांग्रेस के तीन कद्दावर नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। बॉक्सर विजेंद्र सिंह,पूर्व सांसद संजय निरुपम और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ। ये वह चेहरे थे जिन पर पार्टी को भरोसा था।
Congress Part, Lok Sabha Election 2024 Updates in Hindi: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। फिर चाहे पूर्व मुख्यमंत्री हो या एक दशक तक कांग्रेस के तेज दरार प्रवक्ता हों।कांग्रेस नेताओं की ऐसी कोई कैटेगरी नहीं जो कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी में ना आ रहा हो। 24 घंटे के अंदर कांग्रेस के तीन कद्दावर नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। बॉक्सर विजेंद्र सिंह,पूर्व सांसद संजय निरुपम और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ। ये वह चेहरे थे जिन पर पार्टी को भरोसा था।
चुनाव से ठीक पहले इन नेताओं का पार्टी को छोड़ना यह बताता है कि कांग्रेस में कुछ तो ऐसा है जो नेताओं को पार्टी छोड़ने पर मजबूर कर रहा है। भाजपा में कांग्रेस नेताओं की एक लंबी लिस्ट शामिल हो चुकी है। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के जितने नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ा है इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। आईए जानते हैं कांग्रेस के दिग्गज नेता क्यों कांग्रेस छोड़कर अपनी विरोधी पार्टी भाजपा में जा रहे हैं। आखिरकार कांग्रेस में ऐसी भगदड़ का क्या कारण है?
कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने का क्या है कारण?
आचार्य प्रमोद कृष्णम और गौरव वल्लभ ने इसका सबसे बड़ा कारण सनातन और हिंदुत्व को लेकर पार्टी की चुप्पी बताया है। कई बार कांग्रेस के सहयोगी दलों ने सनातन धर्म और हिंदू देवी- देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है।
गौरव वल्लभ ने कहा कि “वे सनातन धर्म विरोधी नारे लगा सकते हैं,लेकिन पार्टी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूर रहने का जो निर्णय लिया इससे वे आहत थे। उन्होंने अपने इस्तीफा में कहा कि “मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस रूख से मुझे हमेशा परेशान किया है। पार्टी और इंडिया गठबंधन से जुड़े लोग सनातन धर्म के खिलाफ बोलते हैं और इस पर पार्टी का चुप रहना एक तरह से मौन स्वीकृति है।”
दूसरा सबसे बड़ा कारण है, गांधी परिवार का प्रभाव – कांग्रेस में गांधी परिवार ही सबसे ऊपर है। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का आरोप है कि गांधी परिवार में पांच पावर सेंटर है। संजय निरुपम ने कल बताया कि गांधी परिवार में पांच पावर सेंटर हैं। सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ये तीन गांधी परिवार से हैं। वहीं दो पावर सेंटर बाहर के है जिनमें मल्लिकार्जुन खड़गे और के. सी. वेणुगोपाल हैं।
तीसरी सबसे बड़ी वजह हैकांग्रेस में राहुल के अतिरिक्त किसी का भविष्य नहीं है- राहुल गांधी के कई बार फेल हो जाने की बावजूद भी नेतृत्व परिवर्तन पर कांग्रेस नहीं सोचती। किसी अन्य नेता को कांग्रेस में आगे बढ़ने नहीं दिया जाता। इसलिए कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ रहे हैं क्योंकि कांग्रेस में उन्हें अपना भविष्य नहीं दिखाई दे रहा। कांग्रेस में यदि किसी का भविष्य है तो सिर्फ राहुल गांधी का।
चौथी सबसे बड़ी वजह है संघर्ष का अभाव- कांग्रेस में राहुल गांधी जरूरत पड़ने पर गायब रहते हैं। भले ही वह भारत जोड़ो यात्रा। भारत न्याय यात्रा करते हैं लेकिन प्रमुख मुद्दों के समय वे गायब हो जाते हैं। प्रियंका गांधी भी हफ्तों गायब रहती हैं।
गौरव बल्लभ ने इस्तीफा देते समय कहा कि “पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह टूट चुका है। कांग्रेस नए भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है, जिसके कारण पार्टी ना तो सत्ता में आ पा रही है ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा पा रही है। इससे कार्यकर्ताओं में हताशा है। बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं में दूरी इतनी बढ़ गई है,जिसे पटना अब बहुत मुश्किल है, जो राजनीतिक रूप से आवश्यक है।”
कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने पर एंटनी कमेटी ने 2014 में ही किया था आगाह
कांग्रेस पार्टी की आज जो हालात है इसका संकेत 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद ही मिल गया था। कांग्रेस की हार के बाद बनाई गई एके एंटनी की रिपोर्ट में स्पष्ट बताया गया था।
एंटनी कमेटी ने कहा था कि धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता के मुद्दे पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। जिससे उसकी पहचान अल्पसंख्यक समर्थक के रूप में बन गई थी, जिसके कारण भाजपा को चुनावी लाभ हुआ। कांग्रेस यह बात समझने में भी विफल रही कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक सांप्रदायिकता देश के लिए समान रूप से घातक है। समिति के अनुसार कांग्रेस की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीति भी हानिकारक सिद्ध हुई, जबकि मुस्लिम आरक्षण पर कुछ कांग्रेसी नेताओं के लगातार बयानों ने बहुसंख्यक समाज को नाराज और कांग्रेस से दूर कर दिया। एंटनी की रिपोर्ट में यहां तक कहा गया कि अल्पसंख्यक समुदाय को भी कांग्रेस के इरादों पर संशय है। इस तरह कांग्रेस का अपने भीतर सुधार ना करना कांग्रेस में भगदड़ का बड़ा कारण है।
2024 में किन नेताओं ने छोड़ा कांग्रेस का साथ?
2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के कद्दावर नेता पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले नेता हैं – संजय निरुपम, गौरव वल्लभ, विजेंद्र सिंह, मिलिंद देवड़ा, गीता कोड़ा,बाबा सिद्दीकी, राजेश मिश्रा, अमरीश डेर, जगत बहादुर ‘अन्नु’,चांदमल जैन, बसवराज पाटिल, नारण राठवा जी, अशोक चौहान।