September 8, 2024
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World Day Against Child Labour 2023 : क्यों मनाया जाता है विश्व बाल श्रम निषेध दिवस ?

क्यों मनाया जाता है विश्व बाल श्रम निषेध दिवस ?(Why is World Day Against Child Labour Celebrated)
प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। बाल श्रम की समस्या भारत में दशकों से चली आ रही है। भारत सरकार द्वारा बाल श्रम की समस्या को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन आज भी बाल श्रम भारत में पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 में खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाया गया है। बाल श्रम के प्रति विरोध एवं जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस || World Day Against Child Labour || 12 जून

प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। बाल श्रम की समस्या भारत में दशकों से चली आ रही है। भारत सरकार द्वारा बाल श्रम की समस्या को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन आज भी बाल श्रम भारत में पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 में खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाया गया है। बाल श्रम के प्रति विरोध एवं जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई ?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जागरूकता पैदा करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस(World Day Against Child Labour) की शुरुआत की गई। बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस, नियोक्ताओ और श्रमिक संगठनों, नागरिक समाज के साथ-साथ विश्व भर के लाखों लोगों को जागरूक करता है।
विश्व के नेताओं द्वारा 2015 में अपनाए गए कई सतत विकास लक्ष्यों में बाल श्रम को समाप्त करने के लिए नए सिरे से वैश्विक प्रतिबद्धता शामिल की गई थी। 2019 में बाल श्रम निषेध दिवस का विषय था ‘ बच्चों को सड़कों पर नहीं बल्कि सपनों पर काम करना चाहिए।’ जिसके बावजूद आज भी 15.2 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं।

क्या है बाल श्रम (What is Child Labour) ?

बाल श्रम पारिश्रमिक देकर या बिना पारिश्रमिक के साथ बच्चों से शारीरिक श्रम कराना है। बाल श्रम एक वैश्विक समस्या है। यह भारत तक ही सीमित नहीं है। भारतीय संविधान में उन बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है, जो 5- 14 वर्ष की उम्र में कल- कारखाने या किसी कंपनी के मानसिक या शारीरिक श्रम करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा बाल श्रम की उम्र 15 वर्ष तय की गई है।वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के काम करने वाले लोग बाल श्रमिक कहलाते हैं। अमेरिका में 12 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक माना जाता है।

बाल श्रम के क्या है कारण (What is the Reason of Child Labour) ?

गरीबी वह प्रथम और प्रमुख कारण है जिसकी वजह से कम उम्र में ही बच्चे कठिन परिश्रम करने लगते हैं।
यूनिसेफ के अनुसार बच्चों का शोषण आसानी से किया जा सके इसलिए उनका किसी संस्था में नियोजन किया जाता है।
इन सब के अतिरिक्त सस्ता श्रम, कानूनों का लागू न होना, जनसंख्या विस्फोट, ऐसे माता-पिता जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय परिवार की आय बढ़ाने के लिए काम पर भेजने के इच्छुक होते हैं, खाद्य असुरक्षा, शिक्षा, बेरोजगारी, अनाथ आदि जैसे कई कारण है जो बाल श्रम को प्रोत्साहित करते हैं।

बाल श्रम से उत्पन्न होने वाली समस्याएं(Problems generated by Child Labour)

बाल श्रम एक सामाजिक आर्थिक और राष्ट्रीय समस्या के साथ-साथ एक वैश्विक समस्या भी है। जिसके चलते बच्चे शिक्षा से दूर हो जाते हैं। बाल श्रम से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।

  • भिक्षावृत्ति,
  • मानव अंगों का कारोबार,
  • बाल अपराध
  • विस्थापन और असुरक्षित प्रवासन
  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी एवं
  • खेलकूद व मनोरंजन जैसे जरूरी गतिविधियों का प्रभावित होने, जैसी समस्याएं बाल श्रम से उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं के चलते बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। जिससे बच्चों के व्यक्तित्व का विकास अवरुद्ध हो जाता है।
    इसके अतिरिक्त वेल्डिंग का काम करने के कारण अल्पायु में आंखें गवा बैठना। जहरीली गैसों से घातक रोग, फेफड़ों का कैंसर, टीवी आदि का शिकार बनना, यौन शोषण के कारण एड्स या अन्य यौन रोगों का शिकार होना, भरपेट भोजन न मिलने से अन्य शारीरिक दुर्बलतायें आदि। इन की समस्याओं को कहां तक गिना जाये। यह समस्याएं अनगिनत है।

भारत में बाल श्रम (Child Labour in India)

भारतवर्ष एक ऐसा देश है जहां बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है। भारत के लोग बच्चों में भी ईश्वर के दर्शन करते हैं। बाल गोपाल, बाल कृष्ण, बाल हनुमान, बाल गणेश आदि ईश्वर के बाल रूपों के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। भारत में ध्रुव, प्रहलाद जैसे बालक महान भक्त सिद्ध हुए तो वहीं लव कुश और अभिमन्यु जैसे महान वीर बालकों के चरित्र से भारत की धरती पटी हुई है, लेकिन आज का भारत इससे भिन्न है। आज बच्चों का भविष्य अंधकारमय प्रतीत होता है। आज गरीब बच्चे सबसे अधिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे गरीबी के कारण बाल श्रम हेतु मजबूर हैं। जिस उम्र में इन बच्चों के हाथ में कलम और किताब होनी चाहिए, उस उम्र में यह नन्हें-नन्हें हाथ श्रम करने को विवश हैं। बाल श्रम मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है। आज बच्चे घरेलू नौकर के कार्य से लेकर होटल, कारखानों, सेवा केंद्र, दुकानों आदि में कार्य कर रहे हैं। यह कार्य उनके मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, बौद्धिक एवं सामाजिक हितों को प्रभावित करते हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 खतरनाक उद्योग में बच्चों के रोजगार को प्रतिबंधित करता है 1986 में भारत की केंद्र सरकार ने बाल श्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित कर दिया। इस अधिनियम के अनुसार बाल श्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई। इस समिति की सिफारिश के अनुसार खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है। राष्ट्रीय बाल श्रम नीति 1987 में बनाई गई थी।

आंकड़े

भारतीय आंकड़ों के अनुसार दो करोड़ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार लगभग लगभग 5 करोड बच्चे बाल श्रमिक हैं। इन बाल श्रमिकों में 80% ग्रामीण और असंगठित क्षेत्र तथा कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं जबकि 19% के करीब घरेलू नौकर हैं। वहीं अन्य क्षेत्रों में बच्चों के माता-पिता ही कम पैसों में ठेकेदारों के हाथ बेंच देते हैं जो उनको होटलों कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि में काम पर लगा देते हैं। इन बाल श्रमिकों को थोड़ा सा भोजन देकर मनमाना कार्य कराया जाता है। 24 घंटों में 18 घंटे से अधिक काम, आधा पेट भोजन और इच्छा अनुसार काम ना होने पर पिटाई यही इन बाल श्रमिकों का जीवन है।
इन बाल श्रमिकों के बचपन के लिए न मां की लोरियां है, ना पिता का दुलार, ना खिलौने है, ना स्कूल, ना बाल दिवस। ये बाल श्रमिक कालीन बनाना, ताले बनाना, वेल्डिंग करना, पटाखे बनाना, पीतल उद्योग में काम करना, हीरा उद्योग, कांच उद्योग, खेतों में बैल की तरह काम करना, बीड़ी, माचिस बनाना, कोयले की खानों पत्थर की खदानों में, सीमेंट उद्योग, दवा उद्योग में तथा होटलों व ढाबों में जूठे बर्तन धोने के अतिरिक्त पॉलिथीन की गंदी थैलियां बीनना, कूड़ा बीनना आदि अनेक कार्य करने होते हैं। इनकी दुनिया सीमित है तो बस काम, काम और काम तक। यौन शोषण को खेल समझना और बीड़ी के अधजले। टुकड़े उठा कर धुआं उड़ाना इनकी नियति बन जाती है।

बाल श्रम के लिए भारतीय संविधान में प्रावधान

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक सिद्धांत की विभिन्न धाराओं के माध्यम से बाल श्रम को प्रतिबंधित किया गया है।

  • धारा 24- 14 वर्ष से कम आयु का कोई भी बच्चा फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए अथवा किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त नहीं किया जाएगा।
  • धारा 39 (इ)के अनुसार- राज्य अपनी नीतियां इस प्रकार निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे और बच्चों की कम उम्र का शोषण ना हो तथा वह अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल कार्य में आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें।
  • धारा 39(एफ) के अनुसार- बच्चों को स्वस्थ है तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जाएंगी और बचपन व जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जाएगा।
  • अनुच्छेद 15 (2)बच्चों के लिए अलग कानून बनाने का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 21- (6- 14) वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 23- बच्चों की खरीद और बिक्री पर रोक लगाता है।
    बाल श्रम के ऊपर संघीय और राज्य सरकारे, दोनों, कानून बना सकती हैं।
    बाल श्रम पर समय-समय पर अन्य प्रयास भी हुए हैं जिनमें
    बाल श्रम निषेध अधिनियम कानून 1986- यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी पेशों और 57 प्रक्रियाओं में जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है नियोजन को निषिद्ध बनाता है।
    फैक्ट्री कानून 1948- इस कानून के अनुसार 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्ट्री में तभी नियुक्त किए जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। फैक्ट्री का कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है। इस कानून के अंतर्गत 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए साढ़े चार घंटे की अवधि प्रतिदिन तय की गई है तथा रात में काम करने पर प्रतिबंध है।

भारत द्वारा निम्न संधियों पर किया जा चुका है हस्ताक्षर

  • बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीआरसी)
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन (संख्या 29)
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन का उन्मूलन (105)

कई प्रयासों के बावजूद आज भी बाल श्रम एक वैश्विक समस्या बना हुआ है। आज तक इसे समाप्त नहीं किया जा सका है। अब नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है, जिससे या तो बाल श्रम को मान्यता प्रदान कर उसके लिए उचित मापदंड निर्धारित किया जाए या फिर उसके स्वरूप को परिवर्तित किया जा सके।

थीम(Theme)

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2023 की थीम है
“सबके लिए सामाजिक न्याय। बाल श्रम समाप्त करें।”
(Social Justice for All. End Child Labour!)