Pralhad Joshi कर्नाटक के बदले राजनीतिक माहौल में जीत दर्ज कर पाएंगे ? : Lok Sabha Election Updates
Pralhad Joshi , Karnataka, Lok Sabha Election 2024: के लोकसभा चुनाव में संसदीय कार्य और कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी(प्Prahlad Joshi) पर भाजपा ने एक बार फिर से विश्वास जताया है। Pralhad Joshi को लगातार पांचवीं बार कर्नाटक की धरवाड़ सीट से टिकट दिया गया है। अब प्रहलाद जोशी कर्नाटक की इस सीट से चुनाव जीतने की तैयारी में है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद प्रहलाद जोशी के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं लेकिन उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके एक लिंगायत संत डिंगलेश्वर स्वामी के पर्चा वापस ले लेने से प्रहलाद जोशी की मुश्किलें कम दिख रही हैं। कर्नाटक में आमतौर पर लिंगायत समुदाय भाजपा का समर्थक माना जाता है।
कौन हैं प्रहलाद जोशी? बदले सियासी माहौल में क्या प्रहलाद जोशी पांचवीं बार जीत दर्ज कर पाएंगे ? आईए जानते हैं –
कौन हैं प्रहलाद जोशी ? (Who is Prahlad Joshi) ?
भारत सरकार के केंद्रीय संसदीय कार्य कोयला और खान मंत्री एवं कर्नाटक से मौजूदा लोकसभा सांसद प्रहलाद जोशी एक प्रतिष्ठित राजनेता और एक सक्षम प्रशंसक हैं, जो सामाजिक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं। अपने सभी प्रयासों में पेशेवर पारदर्शिता को बरकरार रखते हुए वह हर पल सतत कार्य विकास, कुशल प्रशासन सार्वजनिक शिकायतों को संबोधित करने और अंतत: अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए समर्पित रहते हैं।
प्रहलाद जोशी 1992 से 1994 के बीच हुबली के ईदगाह मैदान में तिरंगा लहराने के लिए चले आंदोलन में बेहद सक्रिय रहे। तभी से वह चर्चा में आए। इस आंदोलन में चर्चित रहने के बाद जोशी को भाजपा ने 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया और उन्होंने यहां से जीत दर्ज की।
प्रहलाद जोशी 2004 में धरवाड़ उत्तर सीट से जीते थे। लेकिन परिसीमन के बाद यह सीट धरवाड़ के नाम से बनी। तब से वह लगातार तीन चुनाव 2009, 2014 और 2019 में जीतते रहे हैं और सांसद बनते रहे हैं। 2019 में प्रहलाद जोशी को मोदी सरकार में संसदीय कार्य और कोयला मंत्रालयों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
प्रहलाद जोशी की पहचान एक सधे हुए परिपक्व राजनेता के तौर पर भी होती है। जोशी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार के निधन के बाद भाजपा ने जोशी को ही समुदाय से आगे बढ़ाया। वह राज्य में लिंगायत व वोक्कालिगा की खेमेबाजी से भी दूर रहे और अपने काम और संगठन के प्रति समर्पण से अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे।
अपने दायित्वों का किया निर्वहन
राज्य के जातीय व सामाजिक समीकरणों में लिंगायत व वोक्कालिगा समुदायों के वर्चस्व के बीच जोशी न केवल अपनी जगह बनाने में सफल रहे बल्कि उन्हें जो भी दायित्व मिला उसे पर खरे भी उतरे। हालांकि इस बार कर्नाटक की राजनीति में बदलाव है और राज्य में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है। भाजपा का परंपरागत लिंगायत वोट भी पिछले विधानसभा चुनाव में बंट गया था, जिसका पार्टी को भारी नुकसान हुआ था। इस लोकसभा चुनाव में जोशी को उम्मीद है कि वह एक बार फिर धारवाड़ से चुनाव जीतने में सफल रहेंगे।