चुनावी चौसर बिछा रहे सपा प्रमुख क्या हर मोर्चे पर संतुलन साध पाएंगे ? : Lok Sabha Election 2024
Akhilesh Yadav, Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सर्वाधिक लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश में विपक्ष के सशक्त चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। अखिलेश यादव 2017 से सपा की कमान संभाल रहे हैं। अखिलेश यादव 2012 के विधानसभा में मिली जीत को 2024 के लोकसभा चुनाव में दोहराने के लिए प्रयासरत हैं। क्या सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव हर मोर्चे पर संतुलन साध पाएंगे ? आइए जानते हैं-
1 जुलाई 1973 को सैफई में मुलायम सिंह और मालती देवी के घर जन्मे अखिलेश यादव की प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल में हुई। इसके बाद इन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय और सिडनी विश्वविद्यालय ऑस्ट्रेलिया से सिविल पर्यावरण इंजीनियरिंग में स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की।
यूपी के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने
अखिलेश यादव ने वर्ष 2000 में कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार सपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री पद बेटे अखिलेश यादव को सौंप दिया। वह यूपी के सबसे कम उम्र के (38 साल) मुख्यमंत्री बने थे और 2017 तक उत्तर प्रदेश के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
युवाओं में लोकप्रिय है अखिलेश यादव
अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी के यूथ आइकॉन के रूप में देखा जाता है। वह युवाओं मैं लोकप्रिय हैं।बेहतरीन संस्थानों में अपनी शिक्षा के कारण वह एक अनुशासित दूरदर्शी के रूप में सामने आते हैं।
युवाओं में लोकप्रिय अखिलेश के सामने अगड़ी जातियों व पीडीए के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है। इसके लिए वह नरम हिंदुत्व की राह पर चलते हुए पार्टी कार्यालय में शालिग्राम की पूजा करते दिखते हैं तो यह भी कहते हैं कि परिवार के साथ रामलला के दर्शन करने अयोध्या जाएंगे। अखिलेश जातीय समीकरण व यूथ मैनेजमेंट के भरोसे बड़ी जीत की कोशिश में है। यूं तो उनकी पार्टी 2014 के आम चुनाव से भाजपा से शिकायत खा रही है लेकिन एक सच यह भी है कि सपा विधानसभा चुनाव में मजबूत भी होती जा रही है। भाजपा की लहर के बावजूद पिछले विधानसभा चुनाव में सपा 111 सीटें जीतने में कामयाब रही, जबकि बसपा और कांग्रेस एक व दो सीट पर सिमट गई। इसलिए भाजपा के निशाने पर अखिलेश यादव ही रहते हैं।
क्या है अखिलेश यादव का पीडीए अभियान ?
अखिलेश यादव ने इस बार आम चुनाव में पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक को बड़े अभियान के तौर पर पेश किया है। इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे अखिलेश यादव को उम्मीद है कि इस बार पीडीए की जमीन पर तैयार उनका गठबंधन भाजपा को कड़ी टक्कर देगा। सपा को चुनावी मोर्चे पर ले जाने के लिए अखिलेश यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ संयुक्त रैलियां भी कर रहे हैं।
हर मोर्चे पर संतुलन साधने के लिए क्या है चुनौती ?
अखिलेश यादव ने इस बार आम चुनाव में पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक को बड़े अभियान के तौर पर पेश किया है। उनके सामने अगड़ी जातियों व पीडीए के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है। आम चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में देरी और उनमें बदलाव अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है। उन्होंने 8 सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं। इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष से कई धड़े बन गए हैं। हालांकि इस चुनौती से निपटने के लिए अखिलेश ने टिकट बदलने के बाद सभी हटाए गए नेताओं से मिलकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया।
प्रत्याशियों का चयन पीडीए की रणनीति के आधार पर
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस बार सभी जातियों को महत्व देने की रणनीति अपनाई है। वह प्रत्याशियों का चयन पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक व अगड़े की नीति पर चलते हुए कर रहे हैं। साथ में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ चुनावी रैलियां भी कर रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या यूपी में हर मोर्चे पर संतुलन बनाने में सपा सुप्रीमो कामयाब हो पाते हैं?