क्या है एंजल टैक्स?, जिसे 2012 में यूपीए सरकार ने लगाया था, निर्मला सीतारमण ने किया खत्म: Angel Tax
वर्ष 2012 में एंजल टैक्स इस सोच के साथ लगाया गया था जिससे बाहरी निवेश की आड़ में मनीलॉन्ड्रिंग की जा सकती है। एंजल टैक्स की वजह से स्टार्टअप को फंड जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। विदेशों से फंड जुटाने वालों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन अब जानकारों का कहना है कि स्टार्टअप का फंड जुटाना आसान हो जाएगा। स्टार्टअप इनोवेशन पर अधिक कार्य कर सकेंगे जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
क्या है एंजल टैक्स (What is Angel Tax): वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को आम बजट पेश करते हुए एंजल टैक्स को खत्म करने का ऐलान किया। यह टैक्स 2012 में यूपीए सरकार में स्टार्टअप के लिए लाया गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2024- 25 के लिए बजट पेश कर दिया है। बजट में टैक्स के रिजीम में बदलाव के साथ ही एंजल टैक्स भी खत्म कर दिया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एंजल टैक्स क्या है? यह किस पर लगाया गया? किसकी सरकार में लगाया गया? तथा इसको खत्म करने से क्या लाभ होगा ? आइए जानते हैं।
क्या है एंजल टैक्स ? (What is Angel Tax)
एंजल टैक्स समाप्त होने से स्टार्टअप को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि जब कोई स्टार्टअप देश से बाहर से कोई निवेश प्राप्त करता है, उस निवेश को अन्य माध्यम मानते हुए उस पर 30% का टैक्स लगता है। इसी को एंजल टैक्स कहा जाता है। स्टार्टअप किसी एंजल निवेशक से अपनी फेयर वैल्यू से जितनी अधिक राशि जुटाता है उस पर एंजल टैक्स लगता है। उदाहरण के लिए यदि कोई स्टार्टअप 1.5 करोड रुपए एंजल निवेश से जुटाता है लेकिन उसकी फेयर वैल्यू एक करोड़ है तो 50 लख रुपए पर एंजल टैक्स वसूला जाएगा।
कब और क्यों शुरू हुआ था एंजल टैक्स ?
एंजल टैक्स को 2012 में यूपीए की मनमोहन सरकार ने लगाया था। उस समय प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे। स्टार्टअप में इन्वेस्टमेंट के जरिए होने वाली मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए एंजल टैक्स लगाया गया था।
एंजल टैक्स खत्म होने से होगा यह लाभ
वर्ष 2012 में एंजल टैक्स इस सोच के साथ लगाया गया था जिससे बाहरी निवेश की आड़ में मनीलॉन्ड्रिंग की जा सकती है। एंजल टैक्स की वजह से स्टार्टअप को फंड जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। विदेशों से फंड जुटाने वालों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन अब जानकारों का कहना है कि स्टार्टअप का फंड जुटाना आसान हो जाएगा। स्टार्टअप इनोवेशन पर अधिक कार्य कर सकेंगे जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
कौन है एंजेल इन्वेस्टर्स ?
एंजल इन्वेस्टर्स उसे कहा जाता है जो स्टार्टअप में फंडिंग के जरिए हिस्सेदारी लेते हैं। यह आमतौर पर ऐसे निवेशक होते हैं जो अपनी निजी आय को स्टार्टअप या छोटी कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं।
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