पिता की विरासत को हाजीपुर में आगे बढ़ाने चुनाव मैदान में उतरे चिराग पासवान : Lok Sabha Election Update
एनडीए गठबंधन ने रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को 2024 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है। चिराग पासवान दो बार जमुई से जीत कर संसद पहुंच चुके हैं और अब पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बिहार की हाजीपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं।
हाजीपुर सीट का मतलब रामविलास पासवान है। इस सीट की पहचान थे, रामविलास पासवान। पासवान अपने जीवन काल में सिर्फ दो बार हाजीपुर से हारे थे। उन्होंने यहां से आठ बार जीत ही नहीं दर्ज की बल्कि हाजीपुर सीट से सर्वाधिक मतों के अंतर से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था। पिछले चुनाव में रामविलास ने अपनी जगह अपने भाई पशुपति पारस को चुनाव मैदान में उतारा था। पशुपति पारस ने भी यहां से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार चिराग पासवान को पिता की विरासत आगे बढ़ने का मौका मिला है। जहां उनकी टक्कर राजद के पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम से है। हाजीपुर लोकसभा सीट पर चुनावी रण में बदलाव और विकास के बीच की जंग है।
एक तरफ जहां हाजीपुर सीट से प्रत्याशी चिराग पासवान अपने पिता स्वर्गीय राम विलास पासवान की तरह हाजीपुर को अपनी मां की तरह मानते हैं। वह कहते हैं कि जिस तरह उनके पिता को लोग हाजीपुर की वजह से जानते थे, मैं भी हाजीपुर के नाम से जाना जाऊं यही चाहता हूं। वह अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के प्रयास में है। तो दूसरी तरफ राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम के अनुसार जनता बदलाव चाहती है। राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम का कहना है कि हाजीपुर का कोई नेता यहां से सांसद नहीं बना। इस कारण स्थानीय समस्याओं पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। हाजीपुर संसदीय क्षेत्र ने जिस उम्मीद से पशुपति पारस को सांसद बनाया था, वह खरे नहीं उतरे। हाजीपुर का विकास नहीं हुआ। अब हाजीपुर में बदलाव चाहती है।
कौन है चिराग पासवान ?
31 अक्टूबर 1982 को दिल्ली में जन्मे चिराग पासवान दिवंगत सांसद और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे हैं। चिराग पासवान इंजीनियरिंग में स्नातक हैं वह एक राजनेता, पूर्व अभिनेता और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष हैं। चिराग पासवान ने कंगना रनौत के साथ 2011 में एक हिंदी फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ में काम किया था।
चिराग पासवान का राजनीतिक सफर 2014 में शुरू हुआ जब उन्होंने जमुई सीट से लोक जनशक्ति पार्टी के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के सुधांशु शेखर भास्कर को हराकर पहली बार लोकसभा में पहुंचे। 2019 के चुनाव में भी चिराग ने जमुई लोकसभा सीट बरकरार रखी।
14 जून 2021 को पशुपति पारस ने जब अपने भतीजे चिराग पासवान की जगह खुद को लोजपा के लोकसभा के नेता के रूप में घोषित कर दिया तो एक दिन बाद ही चिराग ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज सहित पांच बाकी सांसदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया।
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चिराग पासवान को टक्कर देने के लिए राजद ने शिवचन्द्र राम को उतारा
हाजीपुर लोकसभा सीट वही सीट है जिस पर राजद को एक बार भी कामयाबी नहीं मिली। पटना से सटे गंगा के पार हाजीपुर संसदीय सीटपर पिछली बार पशुपति पारस से राजद के शिवचंद्र राम भले ही दो लाख से अधिक मतों से हार गए पर उन्होंने जोरदार टक्कर दी। चुनाव के अनुभव के साथ शिवचंद्र राम ताल ठोक रहे हैं। 2015 की महागठबंधन सरकार में वे कला संस्कृति मंत्री थे।2019 में हाजीपुर से लोकसभा तथा 2020 में पातेपुर से विधानसभा चुनाव हार गए। दो हार के बावजूद राजद ने उन पर विश्वास दिखाते हुए चिराग पासवान के टक्कर में उन्हें उतारा है। एक तरफ जहां चिराग पासवान हाजीपुर संसदीय सीट को अपनी मां कह रहे हैं तो वही शिवचंद्र खुद को हाजीपुर का बेटा कहते हैं। शिवचंद्र इस चुनाव को स्थानीय और बाहरी की लड़ाई बता रहे हैं।
चिराग के प्रति युवाओं में है आकर्षण
चिराग पासवान का चुनाव प्रचार के दौरान युवा अंदाज अलग ही रंग में दिखता है। युवा उनकी तरफ आकर्षित होते हैं। चिराग पासवान जहां भी जाते हैं अपने भाषण में गुरु नेता और पिता को संबोधित करना नहीं भूलते। वह कहते हैं कि यदि आप लोगों के दिल में पिता की तरह जगह बना सका तो मेरा सौभाग्य होगा।
2024 के लोकसभा चुनाव में गंगा और गंडक की गोद में बसे हाजीपुर संसदीय सीट पर देशभर की निगाहें हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यहां भारतीय राजनीति में मौसम विज्ञानी के रूप में मशहूर स्वर्गीय राम विलास पासवान के बेटे चिराग मैदान में है।यहां बदलाव और विकास के बीच सियासी जंग जारी है। अब देखना यह है कि चिराग पासवान अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा पाते हैं या नहीं।
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