July 27, 2024

National Youth Day 2023 : राष्ट्रीय युवा दिवस एवं स्वामी विवेकानन्द के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य (National Youth Day and interesting facts related to the life of Swami Vivekananda)

National Youth Day (राष्ट्रीय युवा दिवस) : भारत में प्रतिवर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। सन् 1885 ईसवी को संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय के अनुसार अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। युवा दिवस के महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

National Youth Day and interesting facts related to the life of Swami Vivekananda

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय दिवस ? (Why is National Youth Day celebrated?)

National Youth Day (राष्ट्रीय युवा दिवस) :  भारत में प्रतिवर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंद(Swami vivekananda) के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। सन् 1885 ईसवी को संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय के अनुसार अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। युवा दिवस के महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व (Importance of National Youth Day)

राष्ट्रीय युवा दिवस देश के भविष्य को उज्जवल और स्वस्थ बनाने की क्षमता रखने वाले युवाओं और नौजवानों को समर्पित दिन है। स्वामी विवेकानंद सदैव से युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। स्वामी विवेकानंद जी का दर्शन, जीवन तथा कार्य के पश्चात निहित उनका आदर्श भारतीय युवाओं के लिए बहुत बड़ा प्रेरणास्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद आज के युवा के आदर्श प्रतिनिधि हैं। स्वामी विवेकानंद ने जो कार्य किए तथा जो रचनाएं की वह हमारे जीवन को लंबे समय तक प्रभावित करती रहेंगी। विवेकानंद ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप में वर्तमान भारत को प्रभावित किया है। आइए जानते हैं स्वामी विवेकानंद के जीवन के विषय में।

कौन थे स्वामी विवेकानंद? (Who was Swami Vivekananda?)

 पाश्चात्य सभ्यता में आस्था रखने वाले व्यक्ति विश्वनाथ दत्त के घर में 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। उनका नाम नरेंद्र दत्त रखा गया। नरेंद्र दत्त नाम का यह साधारण बालक आगे चलकर पाश्चात्य जगत को भारतीय तत्वज्ञान का संदेश सुनाने वाला विश्व गुरु बना। रोमा रोला ने स्वामी विवेकानंद के संबंध में उचित ही कहा है, “उनके बचपन और युवावस्था के बीच का कार्य यूरोप के पुनरुजीवन युग के किसी कलाकार राजपुत्र के जीवन प्रभात का स्मरण दिलाता है।” बचपन से ही नरेंद्र दत्त ने आध्यात्मिक की भाषा थी। सन् 1884 में पिता की मृत्यु के पश्चात नरेंद्र दत्त पर परिवार के भरण-पोषण का भार भी पड़ गया। नरेंद्र दत्त का विवाह नहीं हुआ था। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के उपरांत भी अतिथि सत्कार करने से नहीं चूकते थे।

स्वामी विवेकानंद की शिक्षा (Education of Swami Vivekananda)

नरेंद्र दत्त के अंदर अद्भुत प्रतिभा थी। बचपन में ही उन्होंने दर्शनों का अध्ययन कर लिया था। सन् 1879 ईसवी में 16 वर्ष की आयु में कोलकाता से प्रवेश परीक्षा पास की। अपने विद्यार्थी जीवन में भी सर्वाधिक जिज्ञासु और लोकप्रिय छात्र थे। हरबर्ट स्पेंसर के नास्तिकवाद से वे पूरी तरह प्रभावित थे। स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद हिंदू धर्म में सुधार लाने तथा उसे आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहे ब्रह्म समाज में वे शामिल हो गाए। पाश्चात्य दार्शनिकों के निरीश्वर भौतिकवाद तथा ईश्वर के प्रति आस्तिकता में दृढ़ भारतीय विश्वास के कारण उन्हें गहरी द्वंद से गुजरना पड़ा। इसी समय उनकी रामकृष्ण परमहंस से भेंट हुई। परमहंस जी जैसे जौहरी ने नरेंद्र जैसे रत्न को परखा। इस दिव्य महापुरुष के स्पर्श ने नरेंद्र दत्त को बदल दिया। रामकृष्ण ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वास्तव में ईश्वर हैं। सर्वव्यापी परमसत्य के रूप में ईश्वर की सर्वोच्च अनुभूति पाने में रामकृष्ण ने नरेंद्र दत्त का मार्गदर्शन किया। नरेंद्र दत्त के गुरू रामकृष्ण ने उन्हें बताया कि सेवा दान नहीं अपितु सारी मानवता में निहित ईश्वर की सचेतन आराधना होनी चाहिए। अपने गुरु का यह उपदेश नरेंद्र के जीवन का प्रमुख दर्शन बन गया। गुरु ने उन्हें आत्म दर्शन करा दिया था। 25 वर्ष की आयु में नरेंद्र दत्त ने केसरिया वस्त्र धारण कर लिया। अपने गुरु से प्रेरित होकर नरेंद्र नाथ ने संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी विवेकानंद के रूप में जाने गए। संसार के अंधकार में भटकते प्राणियों के समक्ष उन्हें जीवन के प्रकाश को उपस्थित करना था। स्वामी विवेकानंद ने संपूर्ण भारत की पैदल यात्रा की।
अपने गुरु की मृत्यु के पश्चात वह कुछ दिन हिमालय में रहे किंतु भारत की कार्मिक निर्धनता से साक्षात्कार करने के लिए हिमालय त्याग कर भारत भ्रमण पर निकल पड़े। छः वर्षों के भ्रमण के पश्चात उनकी यह महान यात्रा कन्याकुमारी में समाप्त हुई जहां ध्यानमग्न विवेकानंद को ज्ञान प्राप्त हुआ।

विवेकानंद से जुड़ी कुछ रोचक घटनाएं (Some interesting incidents related to Vivekananda)

सन् 1893 में विवेकानंद शिकागो धर्म संसद में बिना निमंत्रण के गए। परिषद में प्रवेश की अनुमति मिलना कठिन था। एक अमेरिकन प्रोफेसर की मदद से उन्हें शिकागो धर्म संसद में जाने का समय मिला। 11 सितंबर सन् 1893 के दिन उनकी अलौकिक तत्वज्ञान ने पश्चिमी देशों को आश्चर्यचकित कर दिया। अपने भाषण की शुरुआत जब उन्होंने सिस्टरस एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका (अमेरिकी भाइयों और बहनों) के संबोधन के साथ किया तो 7000 प्रतिनिधियों ने तालियों से उनका स्वागत किया। शिकागो धर्म संसद में एकत्र लोगों को विवेकानंद ने सभी मानव की अनिवार्य दिव्यता के प्राचीन वेदांतिक संदेश और सभी धर्मों में निहित एकता से परिचय कराया।
स्वामी विवेकानंद ने भारत एवं हिंदू धर्म के गौरव को प्रथम बार विदेशों में जागृत किय। स्वामी विवेकानंद कहा करते थे, “मैं कोई तत्ववेत्ता नहीं हूं न तो संत या दार्शनिक ही हूं। मैं तो गरीब हूं और गरीबों का अनन्य भक्त हूं। मैं तो सच्चा महात्मा उसे ही कहूंगा जिसका हृदय गरीबों के लिए तड़पता हो।”

महान व्यक्तियों सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, अरबिंदो घोष तथा सर जमशेदजी टाटा आदि ने स्वामी विवेकानंद को भारत की आत्मा को जागृत करने वाला कहा।
स्वामी विवेकानंद प्रथम अंतर्राष्ट्रवादी थे जिन्होंने लीग आफ नेशंस के जन्म से भी पहले वर्ष 1897 में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गठबंधनों और कानूनों का आह्वान किया जिससे राष्ट्रों के बीच समन्वय स्थापित किया जा सके। स्वामी विवेकानंद ने मई 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को कोलकाता के निकट गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।

स्वामी विवेकानंद द्वारा विरचित ग्रंथ

 विवेकानंद ने योग, राजयोग तथा ज्ञान योग जैसे ग्रंथों की रचना की।

  • स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरक प्रसंग
  • स्वयं के स्वामी,
  • पानी से बड़ा होता है देने का आनंद,
  • लक्ष्य पर ध्यान,
  • डर का सामना,
  • सत्य बोलने की हिम्मत,
  • मां से बढ़कर कोई नहीं,
  • परमात्मा एक ही है।

स्वामी विवेकानंद के कुछ अनमोल वचन

  • “उठो जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त ना हो जाए।”
  • “जो सत्य है उसे साहस पूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो। उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं उस और ध्यान मत दो।”
  • “ज्ञान स्वयमेव वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।”
  • “जब तक जीना तब तक सीखना– अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।”
  • “मनुष्य ही परमात्मा का सर्वोच्च साक्षात मंदिर है।”
  • “आत्मविश्वास सरीखा दूसरा मित्र नहीं । आत्मविश्वास ही भावी उन्नति की प्रथम सीढ़ी है।”

 अपने अनमोल वचनों और प्रेरक प्रसंगों से भारत की सांस्कृतिक चेतना में जान फूंकने वाले स्वामी विवेकानंद ने भारत के नौजवानों में स्वाभिमान को जगाया और उम्मीद की किरण पैदा की। जीवन के अंतिम दिन स्वामी विवेकानंद ने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की और कहा, “एक और विवेकानंद चाहिए यह समझने के लिए कि इस विवेकानंद ने अब तक क्या किया।” 4 जुलाई 1902 को बेलूर में रामकृष्ण मठ में उन्होंने ध्यान मग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर अपने प्राण त्याग दिए। भारतीय युवा और देशवासी स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों से प्रेरणा ले सकें इसलिए 12 जनवरी को विवेकानंद के जन्म दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय युवा दिवस पर होने वाले आयोजन

 राष्ट्रीय युवा दिवस पर देश भर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में तरह तरह के कार्यक्रम होते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं, योगासन, स्पर्धा, पूजा-पाठ, व्याख्यान होते हैं। इस दिन विवेकानंद साहित्य की प्रदर्शनी लगती है। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक युवा के आदर्श प्रतिनिधि हैं। भारतीय युवाओं के लिए विवेकानंद से बढ़कर कोई दूसरा नेता नहीं हो सकता।

राष्ट्रीय युवा दिवस 2023 का आयोजन

 26वां राष्ट्रीय युवा उत्सव 2023 हूबली–धारवाड़ के जुड़वा शहरों में आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन नरेंद्र मोदी 12 जनवरी 2023 को करेंगे।