July 27, 2024

KK Nair (के. के. नायर) : राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के गुमनाम नायक जिनके कारण हो सका राम मंदिर का स्वप्न साकार

KK Nair, Ayodhya : आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन चुका है और उसमें प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा भी 22 जनवरी को होने वाली है। आज संपूर्ण भारत देश राममय हो गया है। ऐसा लग रहा है मानो त्रेता युग की तरह भगवान श्री राम धरती पर आ रहे हैं। इस भक्तिमय और राममय माहौल को देखकर सुखद अनुभूति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज यदि राम मंदिर का स्वप्न साकार हुआ है तो इसके पीछे बहुतों का बलिदान, त्याग और समर्पण है और इन्हीं लोगों में से एक है, के के नायर जिनका पूरा नाम है कंडांगलाथिल करुणाकरण नायर ( Kandangalathil Karunakaran Nair)।

The unsung hero of the history of Ram Mandir movement Kk Nair_राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के गुमनाम नायक जिनके कारण हो सका राम मंदिर का स्वप्न साकार

KK Nair, Ayodhya : आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन चुका है और उसमें प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा भी 22 जनवरी को होने वाली है। आज संपूर्ण भारत देश राममय हो गया है। ऐसा लग रहा है मानो त्रेता युग की तरह भगवान श्री राम धरती पर आ रहे हैं। इस भक्तिमय और राममय माहौल को देखकर सुखद अनुभूति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज यदि राम मंदिर का स्वप्न साकार हुआ है तो इसके पीछे बहुतों का बलिदान, त्याग और समर्पण है और इन्हीं लोगों में से एक है, के के नायर जिनका पूरा नाम है कंडांगलाथिल करुणाकरण नायर ( Kandangalathil Karunakaran Nair)।

KK Nair अयोध्या आंदोलन के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। के के नायर द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किए बिना अयोध्या आंदोलन की ऐतिहासिक कथा अधूरी है। भारत को संवैधानिक गणतंत्र का दर्जा मिलने से पहले ही राम जन्मभूमि पर हिंदुओं के लिए पूजा करने के मौलिक अधिकार को बहाल करने में भारत के दक्षिणी राज्य से आने वाले इस साहसी अधिकारी ने अमिट भूमिका निभाई थी।

कौन थे के के नायर ?

के के नायर का जन्म 11 सितंबर 1907 को केरल के अलाप्पुझा के कुट्टनाड में हुआ था। केरल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद नायर उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए और 21 वर्ष की उम्र में आईसीएस अधिकारी बने। केके नायर एक निडर भारतीय सिविल सेवा अधिकारी के रूप में उभरे। के के नायर के कार्यो ने राजनीतिक दबाव के बावजूद धार्मिक स्वतंत्रता की खोज पर एक अमिट छाप छोड़ी।

के के नायर के प्रयासों का परिणाम है राम मंदिर

सिविल सेवा में उनकी यात्रा 1949 में उत्तर प्रदेश में शुरू हुई। जून 1949 को उन्होंने फैजाबाद के उपायुक्त सहजिला मजिस्ट्रेट के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया। नायर ने अपने सहायक गुरु दत्त सिंह को अयोध्या मुद्दे की जांच करने और एक ग्राउंड रिपोर्ट पेश करने का कार्य सौंपा।गुरु दत्त सिंह द्वारा 10 अक्टूबर 1949 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। जिसमें अयोध्या के विवादित स्थल पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण की सिफारिश की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया कि-

“हिंदू समुदाय ने इस आवेदन में एक छोटे के बजाय एक विशाल मंदिर के निर्माण का सपना देखा है। इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं है। उन्हें अनुमति दी जा सकती है। हिंदू समुदाय उस स्थान पर एक अच्छा मंदिर बनाने के लिए उत्सुक है जहां भगवान रामचंद्र जी का जन्म हुआ था। जिस भूमि पर मंदिर बनाया जाना है वह नजूल (सरकारी) भूमि है।”

जवाहरलाल नेहरू के आदेश का किया उल्लंघन

उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे। इस मामले में उस समय नाटकीय मोड़ आया जब गोविंद बल्लभ पंत ने जवाहरलाल नेहरू के कहने पर रामलला मंदिर से हिंदुओं को बाहर निकालने का आदेश दे दिया, लेकिन के के नायर ने दंगों और रक्तपात का हवाला देते हुए आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया।

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नेहरू के आदेश के उल्लंघन के कारण सेवा से हुए निलंबित

नेहरू का आदेश न मानने के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया। केके नायर ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके परिणाम स्वरुप अदालत का फैसला नायर के पक्ष में आया। नायर दोबारा सेवा में शामिल हुए, लेकिन नेहरू के साथ उनके विवादास्पद संबंधों के कारण उन्होंने ICS से इस्तीफा दे दिया। नेहरू के रवैए और नायर के साहस को देखते हुए लोग उनके मुरीद हो गए।

ICS से इस्तीफ़ा के बाद बने नेता

आईसीएस पद से इस्तीफा देने के बाद के के नायर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील के रूप में अभ्यास शुरू किया। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नायर जनसंघ में शामिल हो गए। हिंदुओं की आस्था का सम्मान करने वाले नायर ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया और देखते ही देखते लोगों के बीच इतने लोकप्रिय हुए कि लोग उन्हें नायर साहब कह कर पुकारने लगे।

1952 में पत्नी शकुंतला नायर ने जन संघ के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा से एक सीट जीती। इसके बाद 1962 में के के नायर और उनकी पत्नी दोनों ने लोकसभा का चुनाव जीता।इंदिरा गांधी के शासनकाल में उनके शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण आपातकाल के दौरान केके नायर को गिरफ्तार भी किया गया।

7 सितंबर 1977 को के के नायर ने अंतिम सांस ली। नायर साहब ने अपना संपूर्ण जीवन राम मंदिर निर्माण के प्रयास में समर्पित कर दिया। के के नायर का जीवन साहस, लचीलेपन और न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आज राम मंदिर का सपना के के नायर के प्रयासों से साकार हो सका है।

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