July 27, 2024

Ayodhya History: आइये जानते हैं अयोध्या से जुड़े रोचक तथ्य एवं इतिहास

Ayodhya History: अयोध्या का इतिहास एवं प्रमुख पर्यटक स्थल : अयोध्या की गणना भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में प्रथम स्थान पर की गई है। यह नगर श्री रामचंद्र जी की जन्म भूमि होने के नाते भारत के प्राचीन साहित्य व इतिहास में सदैव प्रसिद्ध रहा है। अयोध्या के बारे में कहावतें प्रचलित है-
“गंगा बड़ी गोदावरी, तीर्थ बड़ों प्रयाग, सबसे बड़ी अयोध्या नगरी, जहां राम लियो अवतार।”

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Ayodhya's History and Interesting facts about Ramnagari Ayodhya

भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध धार्मिक नगर है।  सरयू नदी के दाएं स्थित राम जन्मभूमि अयोध्या, हिंदुओं के प्राचीन सात पवित्र स्थलों अर्थात सप्तपुरियों में से एक है। अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है। जिसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। अयोध्या कई शताब्दियों तक सूर्यवंश की राजधानी रही। अयोध्या में आज भी हिंदू, बौद्ध, इस्लाम और जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर और पवित्र स्थित स्थल है।

अयोध्या का इतिहास (Ayodhya History)

अयोध्या (Ayodhya) की गणना भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में प्रथम स्थान पर की गई है। यह नगर श्री रामचंद्र जी की जन्म भूमि होने के नाते भारत के प्राचीन साहित्य व इतिहास में सदैव प्रसिद्ध रहा है। अयोध्या के बारे में कहावतें प्रचलित है-

“गंगा बड़ी गोदावरी, तीर्थ बड़ों प्रयाग
सबसे बड़ी अयोध्या नगरी, जहां राम लियो अवतार।”

अयोध्या (Ayodhya) का निर्माण स्वयं मनु ने किया था। वाल्मीकि रामायण में यह उल्लेख मिलता है कि श्री रामचंद्र जी ने स्वर्गारोहण से पूर्व अपने छोटे पुत्र कुश को कुशावती नामक नगरी का राजा बनाया था। श्री राम के पश्चात उनके उत्तराधिकारी कुश ने कुशावती को अपनी राजधानी बना लिया और अयोध्या उजाड़ हो गई। अयोध्या की दीन-हीन दशा देखकर कुश ने पुनः अपनी राजधानी अयोध्या बनाई थी।

महाकाव्य में अयोध्या

महाकाव्य में अयोध्या (Ayodhya) का उल्लेख मिलता है। रामायण में उल्लेख मिलता है कि कौशल राज्य का सर्व प्रमुख नगर था जो सरयू नदी के तट पर बसा हुआ था। अयोध्या नगर 12 योजन लंबाई और तीन योजन चौड़ाई में फैला हुआ था। जिसकी पुष्टि वाल्मीकि रामायण में भी होती है।

अयोध्या का मध्यकालीन इतिहास

मध्यकाल मुसलमानाे का उत्कर्ष काल था। इस समय अयोध्या उपेक्षित रही मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय अयोध्या में श्री राम के जन्म स्थान पर स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनवाई, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में बाबरी मस्जिद तोड़कर वहां पुनः भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। बाबरी मस्जिद में लगे हुए अनेक स्तंभ और शिलापट्ट प्राचीन राम मंदिर के ही थे। अवध के नवाबों ने जब फैजाबाद को अपनी राजधानी बनाई थी तो वहां के अनेक महलों में अयोध्या के पुराने मंदिरों की सामग्री का उपयोग किया गया था।

अयोध्या का बौद्ध कालीन इतिहास

 बौद्ध साहित्य में भी अयोध्या का उल्लेख मिलता है। गौतम बुद्ध का इस नगर से विशेष संबंध था। धर्म के प्रचार के लिए गौतम बुद्ध कई बार इस नगर में आ चुके थे। अयोध्यावासी गौतम बुद्ध के बहुत बड़े प्रशंसक थे। संयुक्त निकाय में गौतम बुद्ध के दो बार अयोध्या यात्रा का उल्लेख मिलता है। अयोध्या में बुद्ध ने ‘फेणसूक्त’ और ‘दारूक्खंधसूक्त’ का व्याख्यान दिया था।

जैन ग्रंथ में अयोध्या

 जैन ग्रंथ विविधतीर्थकल्प में अयोध्या को ऋषभ, अजित, अभिनंद, सुमति, अनंत और अचलभानु- इन जैन मुनियों का जन्म स्थान माना गया है। इस ग्रंथ में वर्णित है कि चक्रेश्वरी और गोमुख यक्ष अयोध्या के निवासी थे। नगर से 12 योजन पर अष्टावट या अष्टापद पहाड़ पर आदिगुरु का कैवल्य स्थान माना गया है। इस ग्रंथ में यह भी वर्णित है कि अयोध्या के चारों द्वारों पर 24 जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां प्रतिष्ठापित थी। जैनग्रंथों में अयोध्या को ‘विनीता’ भी कहा गया है।

अयोध्या को ‘साकेत’ भी कहा गया है। कालिदास ने “रघुवंश” में साकेत और अयोध्या दोनों नगरों को एक ही माना है। जैन साहित्य भी इसका समर्थन करता है। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को कौशल की राजधानी बताया गया है।

About Ayodhya on Wikipedia : https://en.wikipedia.org/wiki/Ayodhya