September 8, 2024
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Veer Savarkar Jayanti 2023 : अप्रतिम क्रांतिकारी एवं महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जयंती

Birth anniversary of Veer Savarkar || Veer Savarkar Jayanti 2023 ||Vinayak Damodar Savarkar || विनायक दामदोर सावरकर

वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। वे विश्व भर के क्रांतिकारियों में अद्वितीय थे। भारत के महान क्रांतिकारी थे। वीर सावरकर एक अप्रतिम क्रांतिकारी के साथ-साथ महान स्वतंत्रता सेनानी, एक भाषाविद, राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, बुद्धिवादी, कवि, दार्शनिक, दृष्टा, ओजस्वी वक्ता, और महान इतिहासकार थे। में-

Veer Savarkar Jayanti 2023 : अप्रतिम क्रांतिकारी एवं महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जयंती

Veer Savarkar Jayanti 2023_Janpanchayat Hindi Blogs

Birth anniversary of Veer Savarkar || Veer Savarkar Jayanti 2023 ||Vinayak Damodar Savarkar || विनायक दामदोर सावरकर || 28 May

वीर सावरकर कौन थे(Who was Veer Savarkar)

Veer Savarkar Jayanti 2023 : वीर सावरकर (Veer Savarkar) का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) था। वे विश्व भर के क्रांतिकारियों में अद्वितीय थे। भारत के महान क्रांतिकारी थे। वीर सावरकर एक अप्रतिम क्रांतिकारी के साथ-साथ महान स्वतंत्रता सेनानी, एक भाषाविद, राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, बुद्धिवादी, कवि, दार्शनिक, दृष्टा, ओजस्वी वक्ता, और महान इतिहासकार थे। उनका जीवन बहुआयामी था।उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। उनका नाम ही क्रांतिकारियों के लिए उनका संदेश था।
आइए जानते हैं वीर सावरकर के जीवन के विषय में-

वीर सावरकर का जन्म

अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दामोदर पंत था। वह गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे। वीर सावरकर की माता का नाम राधाबाई था। विनायक जब 9 वर्ष के थे तभी उनकी माता का देहांत हो गया था। वीर सावरकर को हिंदू शब्द से बेहद लगाव था। वीर सावरकर बीसवीं शताब्दी के सबसे बड़े हिंदूवादी नेता थे। विनायक ने आजीवन हिंदू, हिंदी, हिंदुस्तान के लिए कार्य किया। वे स्वातंत्र्य वीर की जगह हिंदू संगठक कहलाना पसंद करते थे। वीर सावरकर को हिंदू महासभा का अध्यक्ष 1937 में चुना गया और 1938 में हिंदू महासभा राजनीतिक दल के रूप में स्थापित हुई। वीर सावरकर ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें 6 बार अखिल भारतीय हिंदू महासभा का अध्यक्ष चुना गया।

वीर सावरकर की शिक्षा

वीर सावरकर बचपन से ही पढ़ने में कुशाग्र बुद्धि थे। उन्होंने 1901 में शिवाजी हाई स्कूल, नासिक से मैट्रिक के परीक्षा पास की। सावरकर एक महान कवि थे उन्होंने बचपन में कई कविताएं भी लिखी थी। सावरकर जब पुणे की फर्ग्युसन कॉलेज में पढ़ाई करते थे उस दौरान वे राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत भाषण दिया करते थे। विदेश में कानून की शिक्षा ग्रहण करने के दौरान 1910 में एक हत्याकांड मैं सहयोगी के रूप में उन्हें एक जहाज से भारत रवाना कर दिया गया।

वीर सावरकर का संघर्ष

वीर सावरकर को जब हत्याकांड में सहयोग देने के आरोप में एक जहाज द्वारा भारत रवाना कर दिया गया तब फ्रांस के मार्सलीज बंदरगाह के पास वे जहाज से समुद्र में कूद गए और भाग निकले। वीर सावरकर का नाम भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों के लिए बड़े आदर एवं सम्मान के साथ लिया जाता है। वे एक महान देशभक्त थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। सावरकर एक महान क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी विचारक थी जिन्होंने देश को अपने राष्ट्रवादी विचारों के माध्यम से स्वतंत्र करने के लिए संघर्ष किया। किंतु देश की स्वतंत्रता के पश्चात भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा।

वीर सावरकर की जेल यात्रा

वीर सावरकर को विशेष न्यायालय द्वारा उनके अभियोग की सुनवाई के दौरान आजीवन काले पानी की दोहरी सजा मिली। सावरकर अंडमान जेल (सेल्यूलर जेल) में 1911 से 21 तक रहे सावरकर 1921 में भारत लौटकर 3 वर्ष जेल में रहे। यद्यपि सावरकर को 1937 में मुक्त कर दिया गया था किंतु इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समर्थन नहीं किया। वीर सावरकर ने 1947 में हुए भारत विभाजन का मुखर विरोध किया जिसका समर्थन हिंदू महासभा के नेता एवं संत, महात्मा रामचंद्र वीर ने किया। 1948 में जब महात्मा गांधी की हत्या हुई उसमें भी सावरकर का हाथ होने का संदेह किया गया। जीवन के इतने संघर्षों और कठिनाइयों ने भी वीर सावरकर को विचलित नहीं किया। उनका देश प्रेम का जज्बा आजीवन बरकरार रहा। उनके इसी जज्बे के कारण अदालत को उन्हें सभी आरोपों से मुक्त करना पड़ा और उन्हें आरोप मुक्त कर बाइज़्जत बरी करना पड़ा।
वीर सावरकर ने कहा-
“मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूं। देश सेवा में ही ईश्वर सेवा है। यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।”

सावरकर द्वारा क्रांतिकारी संगठन की स्थापना

वीर सावरकर ने एक ऐसे क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसका उद्देश्य था। आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करना। 1940 में स्थापित इस क्रांतिकारी संगठन का नाम था ‘अभिनव भारती’। सावरकर ने स्वतंत्रता के लिए काम करने के लिए ‘मित्र मेला’ नामक सोसाइटी बनाई थी।यह एक गुप्त सोसाइटी थी।

वीर सावरकर का कवि जीवन

वीर सावरकर पहले ऐसे कवि थे जिसने कलम, कागज के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कविताएं लिखी। कहा जाता है कि उन्होंने 10000 से भी अधिक पंक्तियों की रचना की जिसे उन्होंने प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षों स्मृति रूप में तब तक सुरक्षित रखा जब तक वह किसी न किसी रूप में भारतीयों तक नहीं पहुंच गई।

वीर सावरकर द्वारा ग्रंथों की रचना

वीर सावरकर ने अनेक ग्रंथों की रचना की उन्होंने जेल में हिंदुत्व पर शोध ग्रंथ लिखा। ‘ भारतीय स्वातंत्र्य युद्ध’ ‘मेरा जीवन कारावास’ और ‘ अंडमान की प्रतिध्वनिया’ सावरकर द्वारा अंग्रेजी में रचित प्रमुख ग्रंथ हैं। सावरकर ने 1909 में ‘ द इंडिया वार ऑफ इंडिपेंडेंस – 1857’ की रचना की जिसमें उन्होंने 1857 की लड़ाई को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पहली लड़ाई घोषित की थी।

वीर सावरकर द्वारा किए गए प्रमुख कार्य

  • वीर सावरकर भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 1905 के बंग- भंग के बाद ‘ स्वदेशी’ का नारा 1906 में दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई।
  • सावरकर पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केंद्र लंदन में उसी के विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया।
  • सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने विचारों के कारण अपनी बैरिस्टर की डिग्री खो दी थी।
  • सावरकर पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 1907में 1857 की लड़ाई को भारत का स्वाधीनता संग्राम बताते हुए 1000 पृष्ठों का इतिहास लिखा।
  • पूर्ण स्वतंत्रता की मांग सबसे पहले वीर सावरकर ने ही की थी।
  • सावरकर भारत के प्रथम एवं विश्व के एकमात्र ऐसे लेखक थे जिनकी किताबों को ब्रिटिश साम्राज्य की सरकारों द्वारा प्रकाशित होने से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • वीर सावरकर विश्व के प्रथम ऐसे राजनीतिक बंदी थे जिनका मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, हेगमें चला था।
  • वीर सावरकर ने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बना दिया।
    वीर सावरकर प्रथम वीर क्रांतिकारी एवं देशभक्त थे जिनके ऊपर स्वतंत्र भारत की सरकार द्वारा झूठा मुकदमा चलाया गया और जब वे निर्दोष सिद्ध हो गए तो उनसे क्षमा मांगी गई।

वीर सावरकर की मृत्यु

वीर सावरकर का दृढ़ विश्वास था कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार दोनों बराबर महत्व रखते हैं, क्योंकि सावरकर प्रख्यात समाज सुधारक भी थे। भारत के इस महान देशभक्त,वीर क्रांतिकारी और प्रख्यात समाज सुधारक विनायक दामोदर सावरकर की मृत्यु 26 फरवरी 1966 में मुंबई में हो गई।

वीर सावरकर पर जारी किया गया डाक टिकट

वीर सावरकर की मृत्यु के पश्चात भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया। वीर सावरकर के नाम पर पोर्ट ब्लेयर के विमान क्षेत्र का नाम ‘ वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा’ रखा गया।
वीर सावरकर के मायने अटल बिहारी वाजपेई ने अपने एक भाषण में गिनाया था जो काफी मशहूर हो गया था। अटल बिहारी बाजपेई ने कहा था-
“सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तत्व, सावरकर माने तेज, सावरकर माने तप, सावरकर माने तीर, सावरकर माने तरुण्य, सावरकर माने तलवार, सावरकर माने तिलमिलाहट, सावरकर माने तितीक्षा, सावरकर माने तीखापन, सावरकर माने तिखट, ऐसा बहुरंगी व्यक्तित्व था वीर सावरकर का। कविता और भ्रांति तो साथ साथ चल सकती है, लेकिन कविता और क्रांति का साथ चलना बहुत मुश्किल है, लेकिन वीर सावरकर का कवि ऊंची – ऊंची उड़ान भरता था फिर भी यथार्थ के धरातल से कभी नाता नहीं तोड़ा।”

बाजपेई जी ने कहा था

“सावरकर जी एक व्यक्ति नहीं है,एक विचार हैं। एक चिंगारी नहीं है, एक अंगार है। सीमित नहीं है, एक विस्तार हैं। मन, वचन और कर्म में जैसी तादात्म्यता जैसी एकरूपता सावरकर जी ने अपने जीवन में प्रकट की वह अनूठी है। अलौकिक है। उनका वक्त व्यक्तित्व, उनका कृतित्व, उनका वक्तृत्व उनका कवित्व सावरकर जी के जीवन को ऐसे आयाम प्रदान करते हैं कि विश्व के इतिहास में सदैव याद किए जाएंगे।”

Read more historical blogs -