July 27, 2024

Manipur Violence : मानवता को शर्मसार कर देनी वाली मणिपुर हिंसा कब और क्यों शुरू हुई ?

हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में वीभत्स और मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना का वीडियो वायरल
मणिपुर लगभग ढाई महीने से जातीय हिंसा और सांप्रदायिक विद्वेष की आग में जल रहा है। इससे बाहर निकलने का मार्ग शायद किसी को नहीं मिल रहा है और अब अचानक कुकी समुदाय की महिलाओं के साथ बर्बरता का वीडियो सामने आने पर यह स्पष्ट हो गया है कि मणिपुर में सांप्रदायिक सद्भाव या सरकार नाम की कोई चीज नहीं बची है। इस शर्मनाक वीडियो ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और दो समुदायों के बीच बढ़ती खाई का सबसे बड़ा सबूत दे दिया है।

Manipur Violence_मणिपुर हिंसा_Hindi NEWS

हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में वीभत्स और मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना का वीडियो वायरल


मणिपुर लगभग ढाई महीने से जातीय हिंसा और सांप्रदायिक विद्वेष की आग में जल रहा है। इससे बाहर निकलने का मार्ग शायद किसी को नहीं मिल रहा है और अब अचानक कुकी समुदाय की महिलाओं के साथ बर्बरता का वीडियो सामने आने पर यह स्पष्ट हो गया है कि मणिपुर में सांप्रदायिक सद्भाव या सरकार नाम की कोई चीज नहीं बची है। इस शर्मनाक वीडियो ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और दो समुदायों के बीच बढ़ती खाई का सबसे बड़ा सबूत दे दिया है।

क्या है पूरी घटना ?

 19 मई बुधवार को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराया जा रहा है। इस वीडियो को कांगपोकपी जिले के बी फाइनोम नामक एक व्यक्ति को भीड़ को निर्देश देते हुए देखा जा सकता है। मानवता को शर्मसार करने वाले लोगों ने पहले महिलाओं को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया। इसके बाद 21 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
पीड़ित महिलाओं में से एक की उम्र 21 साल और दूसरी महिला की उम्र 40 के आसपास बताई जा रही है। भीड़ दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमा रही है। वीडियो में कई लोग महिलाओं से छेड़खानी करते नजर आ रहे हैं।
महिलाओं ने बताया कि 4 मई को उनके गांव में करीब एक हजार के लगभग हथियारबंद लोगों का समूह घुस आया। इन लोगों ने गांव को लूटा और आग लगा दी। गांव के 5 सदस्य 3 महिलाएं और सबसे छोटी महिला के दो रिश्तेदार जंगल की ओर भाग गए थे। जहां से पुलिस ने उन्हें रेस्क्यू किया। लेकिन भीड़ ने रास्ते में ही उन्हें रोक लिया और पुलिस कस्टडी से उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। महिलाओं का कहना है कि गैंगरेप पीड़ित लड़की के पिता को मौके पर ही मार दिया गया तथा महिला को बचाने की कोशिश कर रहे उसके भाई की हत्या कर दी गई।

77 दिनों बाद यह मामला सामने आया

मणिपुर में यह शर्मनाक घटना 4 मई को हुई थी। जिसकी शिकायत 18 मई को दर्ज की गई थी। 77 दिनों तक इस घटना पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया था। 18 मई को पहली शिकायत कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, जिसमें घातक हथियार के साथ डकैती, अपहरण, हमला, बलात्कार और हत्या की धाराएं शामिल थी। इस मामले को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने में पुलिस को 1 महीने 3 दिन लग गए। 21 जून को मामला नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के पास आया।

आरोपियों की गिरफ्तारी

वीडियो के वायरल होने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कहा कि दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए हर संभव प्रयास जारी है। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधीक्षक अधिकारियों की निगरानी में छापेमारी में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है जिसकी पहचान 32 वर्षीय हुइरेम हेरादास सिंह के रूप में हुई है। उसे थाउबल जिले से गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा तीन और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

देश के लिए लड़ने वाला अपनी पत्नी को अपमान से ना बचा सका

मणिपुर में भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाई गई 2 महिलाओं में से एक के पति भारतीय सेना की असम रेजीमेंट में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि
“मैंने कारगिल युद्ध में देश की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दी। श्रीलंका में भारतीय शांति सेना का हिस्सा भी था। लेकिन जब अपनों पर बन आई तो उनके लिए कुछ न कर सका। सरेआम मेरी पत्नी को बेकाबू भीड़ में निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया और मैं उसकी रक्षा करने में नाकाम रहा। अपना घर और ग्रामीणों को नहीं बचा सका। इसका अफसोस मुझे ताउम्र रहेगा।”
यह दर्द है मणिपुर में भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाई गई 2 महिलाओं में से एक के पति का। पीड़िता के पति ने बताया कि 4 मई की सुबह भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव के कई घरों को जलाया। दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर लोगों के सामने गांव में चलने के लिए मजबूर किया। पुलिस मौके पर मौजूद थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।

मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा ?

मणिपुर में मौजूदा हिंसा की शुरुआत चुराचांदपुर जिले से हुई जहां कुकी आदिवासी ज्यादा है। 28 अप्रैल को ‘ इंडीजेनस ट्राईबल लीडर्स फोरम’ ने गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में बंद का ऐलान किया था। इस बंद ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया। 3 मई को मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के विरोध में ‘ ऑल ट्राईबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ ने ‘ आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। यहीं से मामला हाथ से निकल गया। कुकू आदिवासियों के प्रदर्शन के विरोध में मैतेई खड़े हो गए।
आपको बताते चलें कि अनुच्छेद 371 सी के तहत मणिपुर की पहाड़ी जनजातियों को विशेष दर्जा और सुविधाएं मिली हुई है जो मैतेई समुदाय को नहीं मिलती। हालैंड रिफॉर्म एक्ट के कारण मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में जमीन नहीं खरीद सकता और न हीं वहां बस सकता है। जबकि जनजातियों पर पहाड़ी इलाकों से घाटी में आकर बसने पर कोई पाबंदी नहीं है। इसलिए इन दो समुदायों में मतभेद बढ़ गए हैं।

मणिपुर की घटना में प्रशासन की चूक

जब 3 मई को निकाले गए एकता मार्च में अवांछित तत्व घुस गए थे उसी वक्त सख्त कदम उठाया जाना चाहिए था। लेकिन उस समय कोई एक्शन नहीं लिया गया। हथियार लूटे नहीं गए बल्कि शस्त्रागार खोल दिए गए और अलग-अलग समुदाय से जुड़े लोग शस्त्र लेकर चले गए। उस समय भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मणिपुर और नॉर्थईस्ट पर खुफिया ब्यूरो में रहते हुए बारीकी से नजर रखने वाले आईबी के पूर्व विशेष निदेशक यशोवर्धन आजाद झा ने कहा कि अच्छे नियंत्रण वाला आईपीएस अधिकारी तैनात नहीं किया गया। केस दर्ज कर हथियार वापस लेने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई बल्कि सुरक्षा बल हथियारों को भीख मांगते रहे कि वापस कर दो। पहले से अव्यवस्थित मणिपुर में इस स्थिति ने और अव्यवस्था उत्पन्न कर दी। धार्मिक स्थल जलने से स्थिति और गंभीर हो गई। आर्मी और अर्ध सैन्य बल की हिचकिचाहट देखकर अपराधियों का हौसला और बढ़ गया।

मणिपुर की घटना पर प्रधानमंत्री का ऐलान

मणिपुर की घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि
“मेरा हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा है। पाप करने वाले गुनाह करने वाले कितने हैं, कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह है लेकिन 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि-
“मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि किसी भी गुनाहगार को बख्शा नहीं जाएगा। कानून अपनी पूरी शक्ति और पूरी सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा।”

मणिपुर घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस घटना पर मणिपुर की सरकार और केंद्र सरकार को तुरंत सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि
“यह न सिर्फ चिंताजनक है अपितु आत्मा को झकझोर देने वाला है। वीडियो देखकर हम व्यथित हैं। किसी भी लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अब वह वक्त आ गया है कि सरकार आगे आए और कार्रवाई करें क्योंकि जो हो रहा है पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि हम सरकार को कार्रवाई करने का समय देंगे। इसके पश्चात भी यदि कुछ नहीं किया जाता है तो हम कार्रवाई करेंगे।

मणिपुर की शांति के लिए क्या है समाधान ?

मणिपुर में शांति और सद्भावना बहाल करने के लिए अब वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग होने लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान मुख्यमंत्री के रहते हुए शांति संभव नहीं है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठने लगी है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी यशोवर्धन झा के अनुसार वहां मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाकर सभी प्रकार के अपराधियों पर एफ आई आर दर्ज कर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए मणिपुर में एक गृह युद्ध जैसे हालात हैं। और इसे खत्म करने के लिए प्रत्येक स्तर पर मजबूत इच्छाशक्ति आवश्यक है। म्यांमार की सीमा पर स्थित राज्य में इतने दिनों तक हिंसा का होना एक खतरनाक संदेश है। अत: केंद्र सरकार की तरफ से बहुत ही स्पष्ट और सख्त संदेश जाना चाहिए।