July 27, 2024

International Mother Language Day 2023 : अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?

International Mother Language Day 2023 प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भाषाई सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता फैलाने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। भारत में हजारों बोलियां और भाषाएं हैं। इनके कारण भारत की विश्व भर में अलग पहचान है।

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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) 21फरवरी

International Mother Language Day 2023 : प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भाषाई सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता फैलाने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। भारत में हजारों बोलियां और भाषाएं हैं। इनके कारण भारत की विश्व भर में अलग पहचान है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास (History of International Mother Language Day)

 17 नवंबर 1999 में यूनेस्को के आम सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस  (International Mother Language Day) को घोषित किया गया। संयुक्त राष्ट्र सभा ने 2002 के अपने प्रस्ताव में इस दिन की घोषणा का स्वागत किया। 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भाषावाद और बहुसंस्कृतिवाद के माध्यम से विविधता और वैश्विक समाज में एकता को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा की गई और यूनेस्को को प्रमुख एजेंसी के रूप में नामित किया गया।

क्या है मातृभाषा ?

 मातृभाषा मानव के संस्कारों की संवाहक होती है किसी भी देश की संस्कृति की कल्पना मातृभाषा के बिना बेमानी है। मातृभाषा आत्मा की आवाज है। यह देश को माला की लड़ियों की तरह पिरोती है। मातृभाषा देश प्रेम की भावना जागृत करती है तथा राष्ट्रीयता से जोड़ती है। मां के आंचल में पल्लवित भाषा बालक के मानसिक विकास को शब्द व पहला संप्रेषण देती है। सबसे पहले इंसान को सोचने समझने और व्यवहार की अनौपचारिक शिक्षा और समझ मातृभाषा से ही प्राप्त होती है। मातृभाषा से ही बालक की प्राथमिक शिक्षा प्रारंभ की जानी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाना क्यों आवश्यक है ?

  आज विश्व में भाषाई विविधता खतरे में है विश्व की भाषाएं लुप्त हो रही है। यूनेस्को के अनुसार विश्व की 40% आबादी उस भाषा में शिक्षा नहीं ग्रहण पाती जिससे वह बोलते या समझते हैं। अतः इसके महत्व को समझने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।

 

आधुनिक परिदृश्य

 स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारतीय संविधान निर्माताओं की आकांक्षा थी कि शासन का कार्य अपनी भाषाओं में हो, जिससे आम जनता शासन से जुड़ी रहे और समाज में एक सामान्य स्थापित हो और सब की प्रगति हो सके। निसंदेह हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं, लेकिन इस प्रगति का लाभ आम जनता को पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण है कि शासन जनता तक उसकी भाषा में पहुंचने में अभी तक समर्थ नहीं हो पाया है। अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अंग्रेजी के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता, किंतु आज वैश्विक दौड़ में हिंदी भी पीछे नहीं है। हिंदी अब सिर्फ बोलचाल की भाषा नहीं रही अपितु सामान्य कार्य से लेकर इंटरनेट तक के क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग हो रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की पहल ने भाषाओं से संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाई है। दुनिया के देशों ने भाषा विविधता और बहुभाषावाद के लिए रणनीति और नीतियों के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए संसाधनों और भागीदारो को जुटाया है।

क्या होता अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के दिन ?

इस दिन यूनेस्को कई कार्यक्रम आयोजित करता है। यूनेस्कोद्वारा इस दिन लोगों को अपनी मातृभाषा के ज्ञान को जीवित रखने और एक से अधिक भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा भाषा के समर्थन को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों की भी घोषणा की जाती है। स्कूलों और कॉलेजों में भाषाई विविधता का उत्सव मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

 

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 में होने वाले आयोजन

  21 फरवरी 2023 को यूनेस्को द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी –

  •  प्रारंभिक बाल्यावस्था  शिक्षा को बदलने के लिए एक बहुभाषी शिक्षा को आवश्यक बनाना।
  • हमारे तेजी से बदलते वैश्विक संदर्भों में और आपातकालीन संदर्भों सहित संकट की स्थितियों में बहुमुखी शिक्षा और बहुभाषावाद के माध्यम से सीखने में सहायता करना।
  • लुप्त प्राय हो चुकी या लुप्त होने वाले भाषाओं को पुनर्जीवित करना।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के कार्यक्रम

     संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश का स्थाई मिशन (बांग्लादेश, डेनमार्क, ग्वाटेमाला, हंगरी, भारत, मोरक्को, और तिमोर- लेस्टे सहित) और संयुक्त राष्ट्र (संयुक्त राष्ट्र सचिवालय और यूनेस्को के प्रतिनिधियों सहित) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा का आयोजन कर रहा है। इसका विषय है –

         “बहुभाषी शिक्षा शिक्षा को बदलने की आवश्यकता”