September 8, 2024
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World Sickle Cell Day 2023 : विश्व सिकल सेल दिवस का इतिहास

विश्व सिकल सेल दिवस प्रत्येक वर्ष 19 जून को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने मानव सिकल सेल बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन की घोषणा की थी। विभिन्न वैश्विक और स्थानीय संगठन इस दिन जागरूकता अभियान और गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर कार्य करते हैं। यह संगठन सिकल सेल रोग के शुरुआती निदान, उपचार और बीमारी से बचने के लिए निवारक जोखिम की आवश्यकता की पहचान करते हैं।

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विश्व सिकल सेल दिवस प्रत्येक वर्ष 19 जून को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने मानव सिकल सेल बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन की घोषणा की थी। विभिन्न वैश्विक और स्थानीय संगठन इस दिन जागरूकता अभियान और गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर कार्य करते हैं। यह संगठन सिकल सेल रोग के शुरुआती निदान, उपचार और बीमारी से बचने के लिए निवारक जोखिम की आवश्यकता की पहचान करते हैं।

विश्व सिकल सेल दिवस का इतिहास (History Of World Sickle Cell Day)

अफ्रीका में हजारों वर्ष पहले मलेरिया से लड़ने के साधन के रूप में सिकल सेल रोग का कारण बनने वाला जीन विकसित हुआ था। सिकल सेल अफ्रीकी महाद्वीप में होने वाले मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। सिकल सेल रोग के प्रति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने सिकल सेल दिवस को मान्यता प्रदान की। 22 दिसंबर 2008 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक संकल्प पारित किया गया जिसमें सिकलसेल रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा माना गया। 19 जून को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिकल सेल दिवस के रूप में घोषित किया गया। इस दिन सिकल सेल रोग के प्रति जागरूकता का आह्वान किया जाता है।

क्या है सिकल सेल रोग(What is Sickle Cell Disease)?

सिकल सेल रोग वंशानुगत लाल रक्त कोशिकाओं का एक समूह है। लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन होता है, जो ऑक्सीजन ले जाता है। स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं गोल होती है जो शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए छोटी रक्त वाहिकाओं के माध्यम से चलती है। सिकल सेल बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में हीमोग्लोबिन असामान्य होता है, जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं। ये सी आकार के किसी उपकरण की तरह दिखती है, जिसे सिकल कहा जाता है। सिकल सेल जल्दी मर जाती हैं जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की निरंतर कमी होने लगती है और जब वे छोटी रक्त वाहिकाओं के माध्यम से यात्रा करती हैं तो वे फंस जाती हैं और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देती हैं। यह दर्द और अन्य गंभीर जटिलताओं स्वास्थ्य समस्याओं जैसे संक्रमण, छाती सिंड्रोम और स्ट्रोक का कारण बनते हैं।

सिकल सेल रोग के कारण (Causes of Sickle Cell Disease) ?

सिकलसेल रोग एक अनुवांशिक रोग है जो जन्म के समय माता-पिता से विरासत में मिलता है जब एक बच्चे को 2 जीन प्राप्त होते हैं तो वह इस रोग से ग्रसित होता है।

सिकलसेल रोग के लक्षण (Symptoms of Sickle Cell Disease)

सिकल सेल रोग गंभीर दर्द उत्पन्न कर सकता है, जिसे सेल क्राइसिस कहा जाता है। समय के साथ सिकल।सेल रोग से पीड़ित व्यक्ति के हृदय, फेफड़े, गुर्दे, यकृत और प्लीहा सहित अन्य अंगों को नुकसान हो सकता है। इस विकार की जटिलताओं के कारण मृत्यु की हो सकती है।

सिकलसेल रोग का उपचार (Treatment of Sickle Cell Disease)

सिकल सेल रोग का प्रबंधन दर्द के कारणों और अन्य जटिलताओं को रोकने और उनका इलाज करने पर केंद्रित है। इस रोग की रोकथाम के लिए सिकल सेल रोग की जटिलताओं को रोकने के लिए जीवन शैली व्यवहार और चिकित्सकीय जांच शामिल है।

1- जीवनशैली व्यवहार

यह एक आसान उपचार है, जो दर्द को रोकने और कम करने में मदद करता है। इसके अंतर्गत

  • खूब सारा पानी पिए लेकिन पानी अधिक गर्म या ठंडा ना हो।
  • ऊंचाई वाले स्थान जैसे पर्वत चढ़ाई, उड़ान या ऊंचाई वाले शहर आदि से बचने का प्रयास करें।
  • कम ऑक्सीजन वाले स्थानों या स्थितियों से बचने का प्रयास करें।
  • अपने हाथों को बार-बार साफ पानी या साबुन से धोएं।
  • भोजन को साफ और सुरक्षित तरीके से तैयार करें।

2- चिकित्सकीय जांच

  • सिकलसेल रोग से पीड़ित बच्चे को सभी नियमित टीके लगवाए क्योंकि टीके हानिकारक संक्रमण से बचाते हैं।
  • बच्चों और वयस्कों के लिए प्रत्येक साल फ्लू का टीका लगवाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है कि HBSS वाले छोटे बच्चे कम से कम 5 वर्ष की आयु तक प्रतिदिन पेनिसिलिन ले क्योंकि पेनिसिलिन HBSS वाले लोगों में संक्रमण के खतरे को बहुत कम कर देता है।
  • जिन बच्चों को स्ट्रोक का खतरा है उन्हें विशेष प्रकार की जांच का उपयोग करके पहचाना जा सकता है, जिसे ट्रांसक्रॉनियल डॉपलर अल्ट्रासाउंड (TCD)कहा जाता है।
    जिन लोगों को बार-बार रक्त चढ़ाया जाता है, उन पर आमतौर पर कड़ी नजर रखी जाती है। क्योंकि रक्त में आयरन होता है। रक्त आधान से आयरन ओवरलोड जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे शरीर में आयरन जमा हो जाने से लीवर, हृदय और अन्य अंगों को जानलेवा नुकसान हो सकता है।

भारत में सिकलसेल रोग (Sickle Cell Disease in India )

भारत में मुख्य रूप से पूर्वी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी उड़ीसा और उत्तरी तमिलनाडु तथा केरल में नीलगिरी पहाड़ी क्षेत्रों में यह बीमारी फैली हुई है। ओडिशा में यह रोग अधिक प्रचलित है। उड़ीसा सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संबलपुर जिले के बुर्ला में वीर सुरेंद्र साईं इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च के परिसर में अपना पहला सिकल सेल संस्थान स्थापित किया है। इसके अतिरिक्त ओडिशा के 12 जिलों में संस्थान ने सिकल सेल इकाइयों की स्थापना की है।
भारत में यह बीमारी जनजाति समूहों में अधिक व्याप्त है।
यह बीमारी प्रत्येक 86 में से 1 बच्चे में पाई जाती हैं।
विभिन्न राज्यों द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार एक करोड़ 13 लाख 83 हजार 664 लोगों की स्क्रीनिंग में से लगभग 9 लाख 96 हजार 368 में यह बीमारी परिलक्षित है और 9 लाख49 हजार पे57 लोगों में लक्षण और 47 हजार 311 लोगों में यह बीमारी पाई गई है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से लेकर 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में विशिष्ट रोग 4D अर्थात चार प्रकार की बीमारियों (जन्म दोष, बाल्यावस्था की बीमारियां, कमियां और विकासात्मक विलंब एवं अशक्तता) की शीघ्र पहचान और प्रारंभिक हस्तक्षेप का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सिकल सेल एनीमिया को भी शामिल किया गया है।
इस बीमारी के इलाज के लिए जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान कर रही है जिसके लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायता से राज्य में कार्यशाला आयोजित की गई हैं।
सिकल सेल रोग से पीड़ित रोगियों के बेहतर भविष्य उनकी देखभाल में सुधार तथा जांच जागरूकता रणनीतियों के माध्यम से हीमोग्लोबिन रुग्णता के प्रसारण को कम करने के लिए भारत में हीमोग्लोबिन रुग्णता रोकथाम और नियंत्रण दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2018 में भारत में हीमोग्लोबिन रुग्णता, थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग और विभिन्न हीमोग्लोबिन की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए मसौदा नीति जारी की थी।
सिकल सेल रोग के इलाज के लिए विश्व में अभी तक कोई दवा विकसित नहीं हुई है। सिकल सेल रोग के रोगी को आवर्ती रक्त आधान (Blood transfusion) की आवश्यकता होती है। स्टेम सेल थेरेपी, बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन एवं जीन थेरेपी के माध्यम से इसका इलाज किया जाता है। लेकिन इस इलाज में भी रोगी को अधिक समय तक जीवित रखने की गारंटी नहीं होती। साथ ही यह तकनीक इतनी महंगी होती हैं कि सबके लिए सुलभ नहीं हो सकती। इसके लिए जन जागरूकता आवश्यक है। विश्व सिकल सेल दिवस (World Sickle Cell Day)इस अवसर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सरकार इस बीमारी से मुक्ति के लिए कृत संकल्प है लेकिन इस बीमारी को कारगर राष्ट्रीय योजना के अभाव में नियंत्रित करना कठिन है

विश्व सिकल सेल दिवस 2023 की थीम(Theme of World Sickle Cell Day 2023)

विश्व सिकलसेल दिवस 2023 की थीम है-
“ग्लोबल सिकल सेल समुदाय निर्माण और अनाचार, नवजात प्रमाण को अधिकृत करना और अपने सिकल रोग की स्थिति को जानना।”
Building and Strengthening Global Sickle Cell Communities, Formalizing New born Screening and knowing Your Sickle Cell Disease Status”

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