क्या RSS के गढ़ नागपुर में तीसरी बार भगवा लहराएंगे नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ?
Lok Sabha Election 2024, Nitin Gadkari, Nagpur: भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को नागपुर से चुनावी मैदान में उतारा है। नितिन गडकरी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक है और नागपुर से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। नागपुर सीट से नितिन गडकरी को चुनाव लड़ने की क्या है वजह? क्यों नागपुर सीट भाजपा के लिए है महत्वपूर्ण। आईए जानते हैं:
Lok Sabha Election 2024, Nitin Gadkari, Nagpur: भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को नागपुर से चुनावी मैदान में उतारा है। नितिन गडकरी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक है और नागपुर से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। नागपुर सीट से नितिन गडकरी को चुनाव लड़ने की क्या है वजह? क्यों नागपुर सीट भाजपा के लिए है महत्वपूर्ण। आईए जानते हैं:
नागपुर राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि नागपुर लोकसभा सीट देश की ऑरेंज सीट मानी जाती है। नागपुर में भाजपा के वैचारिक संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (RSS) का मुख्यालय है। यहां चुनाव में भाजपा से ज्यादा संघ की प्रतिष्ठा दांव पर होती हैं। नागपुर से मौजूदा सांसद व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर चुनाव मैदान में है और उनके सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गडकरी खुद संघ के स्वयंसेवक रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके नितिन गडकरी पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार किए जाते हैं। अपने बेबाक बोल और साफगोई के लिए जाने जाने वाले गडकरी ने महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए जो काम किया है, उसकी तारीफ उनके विरोधी भी करते हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय संभालते हुए देशभर में हाईवे का जाल बिछाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
नितिन गडकरी नागपुर से जीतने वाले पहले स्वयंसेवक
नागपुर में संघ का मुख्यालय होने के बावजूद नागपुर लोकसभा सीट जनसंघ और भाजपा के लिए सबसे मुश्किल सीटों में से रही है। यहां पर भाजपा को पहली सफलता 1996 में मिली ,जब कांग्रेस छोड़कर आए बनवारी लाल पुरोहित बीजेपी के उम्मीदवार बने। लेकिन इसके बाद फिर यह सीट अगले चार चुनाव तक कांग्रेस के पास चली गई।
कांग्रेस के इस गढ़ को तोड़ने और संघ के पहले विजयी स्वयंसेवक के रूप नितिन गडकरी सामने आए। उन्होंने 2014 और 2019 के चुनाव में जीत हासिल की। अब 2024 में उनके सामने जीत को हैट्रिक में बदलने की चुनौती है। उन्होंने घोषणा की है कि वह 50 लाख वोटों से जीतेंगे।
क्या है सामाजिक और राजनीतिक चुनौती ?
गडकरी के सामने 2024 का लोकसभा चुनाव वैसे तो कोई बड़ी चुनौती नहीं है लेकिन वहां के सामाजिक समीकरण चिंता पैदा करते हैं। बीते दो चुनाव में गडकरी को दलित आदिवासी समुदाय का बड़ा समर्थन मिला था। इस बार बसपा ने इस समुदाय के नेता को मैदान में उतारा है। ऐसे में अपनी जीत का अंतर बढ़ाने के लिए गडकरी को और ज्यादा मेहनत करनी होगी।
नितिन गडकरी का राजनीतिक सफर
गडकरी की राजनीतिक यात्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भाजपा युवा मोर्चा से हुई। वह 1990 से 2014 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे। राज्य में भाजपा- शिवसेना की पहली सरकार में 1995 में वह राज्य में लोक निर्माण मंत्री बने और मुंबई पुणे हाईवे को रिकार्ड समय और आकलन से भी कम लागत में बनाकर देश भर में सुर्खियों में आए। मुंबई के भीतर कई पुल बनाने का श्रेय भी गडकरी को जाता है। इसके बाद उनकी विकास परक नेता के रूप में जो छवि बनी वह केंद्र में मंत्री बनने तक कायम है।