बारामती सीट पर Supriya Sule पिता की राजनीतिक विरासत बचा पाएंगी? : Lok Sabha Election 2024

बारामती सीट पर Supriya Sule पिता की राजनीतिक विरासत बचा पाएंगी? : Lok Sabha Election 2024

Supriya Sule, Baramati Lok Sabha Election: शरद पवार का गढ़ कहे जाने वाली बारामती लोकसभा क्षेत्र में यहां से उनकी बेटी और मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले अपनी किस्मत आजमा रही हैं। बारामती में ननद भाभी की सियासी जंग राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। बारामती सीट पर सुप्रिया के सामने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की पत्नी सुमित्रा पवार मैदान में है। ऐसे में सुप्रिया rके सामने न सिर्फ अपनी सीट बचाने की चुनौती है बल्कि अपने पिता की असली राजनीतिक वारिस होने का दावा भी साबित करना है। बारामती लोकसभा सीट से चौथी बार चुनाव लड़ रही सुप्रिया सुले कौन है ? आईए जानते हैं –

कौन हैं सुप्रिया सुले (Who is Supriya Sule)

30 जून 1969 में जन्मी सुप्रिया सुले एनसीपी प्रमुख शरद पवार की इकलौती बेटी हैं। वह भारतीय सुधारकों के आदर्शों से बेहद प्रेरित और सामाजिक न्याय की समर्थक हैं। सुप्रिया सुले ने राजनीति में खत्म रखने से पहले नौकरी भी की। उन्होंने पुणे के संत कोलंबस स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की और उसके बाद मुंबई के एक कॉलेज से माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी की। अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहते हुए उन्होंने यूसी बर्कले में वॉटर पॉल्यूशन पर अध्ययन किया।

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2006 में रखा राजनीति में कदम

सुप्रिया सुले ने पहली बार 2006 में राजनीति में कदम रखा। 2006 में वे राज्यसभा के लिए चुनीं गईं। उसके बाद 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुनी गई। वर्तमान में 2009 से बारामती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली लोकसभा सदस्य हैं। 2014 से लोकसभा में एनसीपी की नेता है।

2006 से 2009 तक महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य रही सुप्रिया सुले ने 2011 में भ्रूण हत्या के खिलाफ राजव्यापी अभियान चलाया। हाल ही में उन्हें समाज सेवा के लिए ऑल लेडीज लीग मुंबई द्वारा मुंबई वुमन ऑफ द डिकेड अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

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क्या है चुनौती ?

2024 के लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले को न सिर्फ अपनी सीट बचानी है। बल्कि अपने पिता की असली राजनीतिक वारिस होने का दावा भी साबित करना है। सुप्रिया सुले बारामती से चुनाव जरूर लड़ रही है लेकिन असली दारोमदार शरद पवार पर टिका है। यहां से सुप्रिया को मिलने वाली जीत उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में स्थापित कर सकती है और वह अजीत पवार के लिए भविष्य में चुनौती भी बन सकती हैं। सुप्रिया सुले को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। क्योंकि पहले यहां से उनको अजीत पवार से समर्थन मिलता था। लेकिन अब अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पैर यहां से सुप्रिया सुले के खिलाफ मैदान में है। अतः अब अजीत पवार उनके खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। हालांकि सुप्रिया सार्वजनिक रूप से परिवार में लड़ाई की बातों को खारिज करती हैं। उन्हें अपने काम पर भरोसा है। उन्होंने दावा किया कि इस बात की गारंटी है कि मेरे विरोधी भी मुझे ही वोट देंगे।

अब देखना यह है कि पिता शरद पवार के गढ़ में सुप्रिया सुले अपने पिता की असली राजनीतिक वारिस होने का दवा साबित कर पाती है या नहीं।