July 27, 2024

2 October को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस : Mahatma Gandhi Jayanti 2023 (महात्मा गाँधी जयंती )

Mahatama Gandhi Jayanti 2023 || International Non-Violence Day 2023 : 2 October को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas karamChand Gandhi) था जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है। गांधी जी विश्व भर में अपने अहिंसात्मक आंदोलन के लिए जाने जाते हैं। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

Mahatma Gandhi jayanti_International Day of Non-Violence_02 October

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस || महात्मा गांधी जंयती || International Non-Violence Day || Mahatma Gandhi Jayanti || 2 October Gandhi Ji Birth Anniversary

Mahatma Gandhi Jayanti 2023 :  2 October को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas karamChand Gandhi) था जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है। गांधी जी विश्व भर में अपने अहिंसात्मक आंदोलन के लिए जाने जाते हैं। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

इसके साथ ही यह दिन वैश्विक स्तर पर भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर को गांधी जी के प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए यह दिन “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस”(International Non-Violence Day)के रूप में भी मनाया जाता है।

गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है (Why is Gandhi jayanti Celebrated as International Non-Violence Day) ?

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करते हुए सत्य और अहिंसा के दर्शन का प्रचार किया। ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध रूसी लेखक लिए टॉलेस्टोय के साथ मिलकर गांधी जी ने अहिंसा के दर्शन का विकास किया। गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के दो ही अस्त्र थे, सत्य और अहिंसा। अपने इन्ही दो अस्त्रों के बल पर गांधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी और अंतत: गांधी जी के सत्य अहिंसा के सामने ब्रिटिश सरकार को हार मानना पड़ा और भारत को स्वतंत्र करना पड़ा।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का इतिहास (History of International Non-Violence Day)

2 October को महात्मा गांधी जी का जन्मदिन (Mahatma Gandhi Jayanti) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को एक प्रस्ताव पारित कर विश्व से यह आग्रह किया था की संपूर्ण विश्व शांति और अहिंसा के विचार पर अमल करें और महात्मा गांधी के जन्म दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Non-Violence Day)के रूप में मनाए। गांधी जी ने अहिंसा की नीति के माध्यम से विश्व भर में शांति का संदेश दिया था। विश्व भर में उनकी शांति के संदेश को बढ़ावा देने के महात्मा गांधी के योगदान को सराहने के लिए 2 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ (International Non-Violence Day)के रूप में मनाने का फैसला लिया गया।

इसके लिए भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव रखा गया और इस प्रस्ताव का भरपूर समर्थन देते हुए महासभा के कुल 199 देश में से 140 से भी ज्यादा देशों ने इस प्रस्ताव को सह – प्रायोजित किया।इन 140 देशो में नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देशों के अतिरिक्त अफ्रीका और अमेरिका महाद्वीप के कई देश भी शामिल थे। 

आज विश्व में अहिंसा की सार्थकता को मानते हुए इस प्रस्ताव को बिना मतदान के ही सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया। 15 जून 2007 को महासभा द्वारा पारित संकल्प में कहा गया कि, “शिक्षा के माध्यम से जनता के बीच अहिंसा का व्यापक प्रसार किया जाएगा।” संकल्प यह भी पुष्ट करता है कि “अहिंसा के सिद्धांत की सार्वभौमिक प्रासंगिकता एवं शांति, सहिष्णुता तथा संस्कृति को अहिंसा द्वारा सुरक्षित रखा जाएगा।”

महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Biography of Mahatama Gandhi )

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए ख्याति प्राप्त गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई. को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था।

महात्मा गाँधी की शिक्षा (Education Of Mahatma Gandhi)

1887 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने मैट्रिक की परीक्षा “मुंबई यूनिवर्सिटी” से पास की इसके पश्चात ‘सामलदास कॉलेज’ जो भावनगर में स्थित था, में दाखिला लिया। गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वैष्णव परिवार से होने के कारण उनके परिवार में चीर- फाड़ के खिलाफ पूर्वाग्रह था। यह स्पष्ट था कि यदि उन्हें उच्च पद प्राप्त करना है जो की गुजरात के किसी राजघराने की परंपरा थी तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा। 

इसके लिए उन्हें इंग्लैंड जाना पड़ा। मोहनदास के युवा मन में इंग्लैंड की छवि दार्शनिकों और कवियों की भूमि संपूर्ण सभ्यता के केंद्र के रूप में थी। अत उन्होंने इंग्लैंड यात्रा को सहर्ष स्वीकार कर लिया। 1888 में उन्होंने लंदन के चार कानून महाविद्यालयों में से एक में दाखिला लिया जिसका नाम था “इनर टेंपला”।

दक्षिण अफ्रीका में अपमान से छुब्ध होकर शुरू किया सत्याग्रह

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को अफ्रीका के डरबन में मजिस्ट्रेट ने जब पगड़ी उतारने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया और न्यायालय के बाहर चले गए। कुछ दिनों बाद जब वह प्रिटोरिया जा रहे थे तो रेलवे की प्रथम श्रेणी के डिब्बे से उन्हें बाहर फेंक दिया गया और पूरी रात वे स्टेशन पर ठिठुरते रहे। अपनी यात्रा के अगले चरण में महात्मा गांधी ने यूरोपीय यात्री को जगह देकर पायदान पर यात्रा करने से मना कर दिया। जिसके कारण उन्हें एक घोड़ा गाड़ी चालक से पिटना पड़ा।

अंततः यूरोपीयों के लिए सुरक्षित होटल में महात्मा गांधी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया। यह अपमान नटाल में भारतीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिए दैनिक जीवन का हिस्सा था। इतना अपमान सहन करने के बाद भी अभी तक महात्मा गांधी हठधर्मिता और उग्रता के पक्ष में नहीं थे, लेकिन कुछ समय बाद उनमें बदलाव तब आया जब उन्हें अनपेक्षित अपमानों से गुजरना पड़ा।

सत्याग्रह का जन्म (Satyagrah)

दक्षिण अफ्रीका की भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए 1906 में सरकार ने विशेष रूप से आपत्तिजनक अध्यादेश जारी किया। जोहांसबर्ग में गांधी जी के नेतृत्व में भारतीयों ने सितंबर 1906 को एक विरोध जनसभा का आयोजन किया और इस अध्यादेश के उल्लंघन तथा इसके परिणाम स्वरुप दंड भुगतने को शपथ ली। यही से जन्म हुआ सत्याग्रह का। सत्याग्रह चोट पहुंचाने की जगह वेदना झेलने विद्वेषहीन प्रतिरोध करने और अहिंसा के साथ उससे लड़ने की नई तकनीक थी।

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह को जाति, धर्म, नस्ल, लिंग या जन्म के आधार पर भेदभाव झेल रहे लोगों की स्थिति में सुधार लाने और उन्हें सामाजिक न्याय दिलाने के लिए साधन के रूप में इस्तेमाल किया।

गांधी जी एक शाकाहारी और ब्रह्मचर्य के हिंदू विचार के अनुयायी थे। उनका दर्शन और उनकी विचारधारा सत्य और अहिंसा भगवद्गीता और हिंदू मान्यताओं से प्रभावित थी। इसके साथ ही गांधी जी जैनधर्म के लियो टॉलास्टोय की शांतिवादी ईसाई धर्म की शिक्षाओं से भी प्रभावित थे। गांधी जी का विश्वास था कि बोलने पर संयम रखने से आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। अत: वह सप्ताह में एक दिन मौन रहते थे।

खादी के लिए चरखा चलाया

दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी ने पश्चिमी शैली के कपड़ों का परित्याग कर दिया और खादी का समर्थन किया जो स्वदेशी रूप से बुने जाते थे। गांधी जी ने कपड़ा बुनने के लिए चरखा चलाया और अहिंसा के लिए लोगों को भी प्रेरित किया। यही चरखा आगे चलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ध्वज में शामिल किया गया।

असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement)

गांधी जी ने अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन आरंभ किया। फरवरी 1922 में असहयोग आंदोलन जोर पकड़ता प्रतीत हुआ। लेकिन चौरी- चौरा में हिंसा भड़कने से चिंतित गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस ले लिया। 10 मार्च 1922 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया।और उन्हें 6 वर्षों के कारावास की सजा हुई। फरवरी 1924 में उन्हें रिहा कर दिया गया।

गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन

9 अगस्त 1942 को संपूर्ण भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आवाहन पर प्रारंभ हुआ भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति भारतीय स्वतंत्रता की अंतिम महान लड़ाई थी। भारत को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेज शासन के विरुद्ध यह एक बड़ा नागरिक अवज्ञा आंदोलन था। जिसने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी। इस आंदोलन में गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिया।

संपूर्ण विश्व के लोकप्रिय नेता

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) संपूर्ण विश्व पटल पर एक नाम ही नहीं अपितु शांति और अहिंसा का एक प्रमुख प्रतीक है। गांधी जी ने सत्याग्रह शांति और अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए जिस प्रकार ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया इसका उदाहरण विश्व के इतिहास में अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता।

महात्मा गांधी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेताओं और व्यक्तित्व में से हैं। इसी वजह से विश्व के अधिकांश देशों में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किए गए हैं।कई देशों ने महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी 125वीं जयंती व भारत की 50वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पर कई प्रकार के अलग-अलग मूल्य के डाक टिकट जारी किए।

कैसे मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (How is International Non-Violence Day Celebrated) ?

2 अक्टूबर को गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के अवसर पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित है। देश में तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक गांधी जयंती है। इसके अतिरिक्त स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय अवकाश होता है। गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस(International Non-Violence Day)के रूप में मनाया जाता है। अतः इस दिन दुनिया भर में अहिंसा और शांति सद्भाव और एकता के अभिसरण के महत्व पर जागरूकता पैदा की जाती है।
गांधी जयंती पर आमतौर पर दिन की शुरुआत गांधी जी के पसंदीदा भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाकर होती है। इस दिन लोग गांधी जी की शिक्षाओं को याद करते हैं। इस दिन सांस्कृतिक गतिविधियां देशभक्ति गीत और नृत्य का भी आयोजन किया जाता है।
गांधी जयंती राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने, उनकी उपलब्धियां को स्वीकार करने और उनके सत्य, अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का एक अवसर है। गांधी जयंती के दिन स्वच्छता पर भी जोर दिया जाता है क्योंकि गांधी जी स्वच्छता के प्रबल समर्थक थे।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व (Significance of International Non-Violence Day)

गांधी जयंती के रूप में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व बढ़ गया है। आज जिस प्रकार विश्व के देश आपस में एक दूसरे के शत्रु बन बैठे है,आज जिस प्रकार देश में युद्ध हो रहे हैं और शांति के प्रयास विफल हो रहे हैं, ऐसे में गांधीजी के विचारों पर संपूर्ण विश्व को अमल करने की आवश्यकता है। यदि संपूर्ण विश्व में शांति बनाए रखना है तो गांधी जी के शांति और अहिंसा के सिद्धांत को संपूर्ण विश्व को अपनाना होगा।

About Mahatma Gandhi on Wikipedia :  https://en.wikipedia.org/wiki/Mahatma_Gandhi