October 15, 2024
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लाल बहादुर शास्त्री जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023 ) : ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023 : लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसी हस्ती थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश को न सिर्फ सैनिक गौरव का तोहफा दिया बल्कि हरित क्रांति और औद्योगीकरण की भी राह दिखाई। लाल बहादुर शास्त्री एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता, महान स्वतंत्रता सेनानी और जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री थे।

“गुदड़ी के लाल” कहे जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri)किसानों को अन्नदाता मानते थे, तो सीमा की रक्षा करने वाले प्रहरियों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था। किसानों और जवानों के प्रति अपने इसी प्रेम के चलते उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया।

लाल बहादुर शास्त्री जयंती _Birth Anniversary of Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023_02 October 2023

लाल बहादुर शास्त्री जयंती (Birth Anniversary of Lal Bahadur Shastri) 2 October, 2023

2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri Jayanti) की जयंती मनाई जाती है। लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसी हस्ती थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश को न सिर्फ सैनिक गौरव का तोहफा दिया बल्कि हरित क्रांति और औद्योगीकरण की भी राह दिखाई। लाल बहादुर शास्त्री एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता, महान स्वतंत्रता सेनानी और जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री थे। जीवन के प्रारंभिक दिनों में संघर्ष से लेकर प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने तक उनके जीवन की कहानी आज भी दुनिया को प्रेरित करती है। 

“गुदड़ी के लाल” कहे जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) किसानों को अन्नदाता मानते थे, तो सीमा की रक्षा करने वाले प्रहरियों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था। किसानों और जवानों के प्रति अपने इसी प्रेम के चलते उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया। 

आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के विषय में-

लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन परिचय (Biography of Lal Bahadur Shastri)

लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri)का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को ‘मुंशी’ शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के यहां उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। लाल बहादुर की माता का नाम रामदुलारी था। परिवार में सबसे छोटा होने के कारण परिवार वाले इन्हें ‘नन्हे’ कह कर बुलाते थे। लाल बहादुर शास्त्री जब मात्र 18 माह के थे तभी इनके पिता का निधन हो गया। इनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी माता अपने पिता के घर मिर्जापुर चली गई। लेकिन कुछ समय पश्चात लाल बहादुर के नाना की भी मृत्यु हो गई। अपने मौसा के सहयोग से लाल बहादुर ने ननिहाल में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की।

लाल बहादुर शास्त्री की शिक्षा

   ननिहाल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात लाल बहादुर ने ‘हरिश्चंद्र हाई स्कूल’ और काशी विद्यापीठ से आगे की शिक्षा प्राप्त की। 1921 में वे महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के एक कार्यकर्ता के रूप में जेल भी गए, लेकिन थोड़े समय बाद ही जेल से छूट गए। इसके पश्चात काशी विद्यापीठ में अध्ययन किया और शास्त्री (शास्त्रों का विद्वान) की उपाधि ग्रहण की। शास्त्री की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने जन्म से चले आ रहे जाति सूचक शब्द ‘श्रीवास्तव’ को हमेशा के लिए हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया। यही ‘शास्त्री’ शब्द लाल बहादुर के नाम का पर्याय बन गया।

लाल बहादुर शास्त्री का विवाह

लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri)का विवाह 1928 में गणेश प्रसाद की पुत्री ललिता के साथ हुआ। लाल बहादुर शास्त्री के चार पुत्र- हरिकृष्ण, अनिल, सुनील व अशोक और दो पुत्री कुसुम और सुमन थी।

जब लाल बहादुर शास्त्री जी नेहरू के संपर्क में आए

1921 में प्रयागराज में श्री टंडन जी के साथ ‘भारत सेवक संघ’ के प्रयागराज इकाई सचिव के रूप में कार्य करते हुए लाल बहादुर की नजदीकियां नेहरू जी से बढ़ी।इसके बाद राजनीति में उनका कद निरंतर बढ़ता गया। बढ़ते राजनीतिक कद के कारण ही नेहरू मंत्रिमंडल में वे गृह मंत्री बने।

"मरो नहीं मारो" का नारा दिया लाल बहादुर शास्त्री ने

   लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri)ने “मरो नहीं मारो” का नारा 1942 में उस समय दिया जब भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी ने “करो या मरो” का नारा दिया था। ‘मरो नहीं मारो’ नारा ‘करो या मरो’ का ही एक अन्य रूप था। सैकड़ों वर्षों से दिल में रोष दबाए बैठी जनता में यह नारा आग की तरह फैल गया। गांधीवादी विचारधारा अहिंसा के राह पर चलकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन से आजादी प्राप्त करने का रास्ता था। लेकिन अंग्रेजों ने इसे जनता का डर समझ लिया था। 

तत्पश्चात स्थिति को भांपते हुए शास्त्री जी ने चतुराई पूर्वक ‘मरो नहीं मारो’ का नारा दिया जो एक क्रांति के जैसा साबित हुआ। क्योंकि अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों तथा हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना आवश्यक था। इस नारे का असर था की संपूर्ण देश में क्रांति की प्रचंड आग फैल गई।

भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव नियुक्त किए। गएगोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्रित्व काल में वे प्रहरी एवं यातायात मंत्री बने। अपने इस कार्यकाल में उन्होंने पहली बार किसी महिला को संवाहक (कंडक्टर) के पद पर नियुक्त किया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग शास्त्री जी ने ही प्रारंभ करवाया था।

1951 में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किए गए। 1952 में संसद के लिए निर्वाचित होकर केंद्रीय रेलवे परिवहन मंत्री बने। 1961 में गृह मंत्री के प्रभावशाली पद पर नियुक्त हुए। जवाहरलाल नेहरू के बीमार पड़ने पर उन्हें बिना किसी विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया। 1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद जून 1964 में वह भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री के रूप में पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौता ने उन्हें लोकप्रियता दिलाई।

'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया लाल बहादुर शास्त्री ने

 शास्त्री जी के प्रधानमंत्री का कार्यकाल राजनीतिक सर गर्मियों से भरा और तेज गतिविधियों का काल था। जहां एक तरफ देश के सामने आर्थिक समस्याएं थी, वहीं दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान भारतीय सीमा पर नज़रें गड़ाए था। शास्त्री जी ने प्रत्येक समस्या को बेहद सरल ढंग से सुलझाया। उनके व्यक्तित्व का दूसरा पहलू भी था, धोती कुर्ते में सिर पर टोपी लगे गांव- गांव किसानों के बीच घूम कर हाथ को हवा में लहराते हुए “जय जवान, जय किसान” का उद्घोष करना।

वे किसानों को अन्नदाता मानते थे और सीमा पर तैनात सैनिकों के प्रति उनके अपार प्रेम ने हीं “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।

लाल बहादुर शास्त्री जी की अपील पर देशवासियों ने छोड़ा एक वक्त का खाना

अमेरिका ने जब 1965 में भारत को गेहूं भेजना बंद करने की करने की धमकी दी थी, भारत उस समय गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। अमेरिका द्वारा गेहूं भेजना बंद करने की बात शास्त्री जी को चुभ गई और उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम लोग एक वक्त भोजन नहीं करें जिससे अमेरिका से आने वाले गेहूं की जरूरत नहीं होगी। शास्त्री जी की अपील पर उस समय लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था।

भारत-पाकिस्तान युद्ध में दूरदर्शिता का परिचय दिया

  लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri)1964 में प्रधानमंत्री बने और 1965 में पाकिस्तानी हुकूमत ने कश्मीर घाटी को भारत से छीनने की योजना बनाई लेकिन शास्त्री जी ने पंजाब के रास्ते लाहौर में सेंध लगाकर पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दूरदर्शिता का परिचय दिया।

ताशकंद समझौता क्या था ? (What was Tashkent Agreement?)

11 जनवरी 1966 को भारत पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ जिसके अनुसार यह तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान अपनी शक्ति का प्रयोग न करके अपने झगड़े को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाएंगे। यह समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के बीच लंबी वार्ता के पश्चात 11 जनवरी 1966 ई को रूस के ताशकंद में हुआ। इसलिए इसे “ताशकंद समझौता” (Tashkent Agreement) कहा जाता है।

लाल बहादुर शास्त्री जी का रहस्यमयी परिस्थितियों में निधन

ताशकंद समझौते (Tashkent Declaration) के कुछ ही घंटे पश्चात 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में दिल का दौरा पड़ने के कारण शास्त्री जी की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु को लेकर आज तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट सामने नहीं लाई गई।आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि रूस में भयंकर सर्दी होने के कारण उनको दिल का दौरा पड़ा था जबकि कुछ लोगों का दावा है कि शास्त्री जी की षड्यंत्र के जरिए हत्या हुई। कुछ जानकार यह भी संभावना जताते हैं कि भारत, पाक समझौता में कुछ मसलों पर सहमति न होने के चलते शास्त्री जी तनाव में आ गए थे। इसीलिए उन्हें दिन का दौरा पड़ा था।

लाल बहादुर शास्त्री जी को मिलने वाले पुरस्कार व सम्मान

लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri)को उनकी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के लिए पूरा भारत देश उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद करता है। 1966 में उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन की एक रोचक घटना

 लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri)के जीवन की एक रोचक घटना है कि जब प्रधानमंत्री रहते हुए परिवार के लोगों ने उनसे कार खरीदने को कहा। फीएट की कार के लिए 12,000 रूपए की आवश्यकता थी और शास्त्री जी के पास 7,000 रूपए ही थे। अत:इस कार के लिए उन्होंने 5000 रूपए का लोन लिया। शास्त्री जी के जीवन की यह घटना उनके आदर्शों और मूल्यों को दर्शाती है।

About Lal Bahadur shastri ji on Wikipedia :  

https://en.wikipedia.org/wiki/Lal_Bahadur_Shastri