Om Birla के सामने इस मिथक को तोड़ने की चुनौती : Lok Sabha Election 2024
Om Birla, Lok Sabha Election 2024: 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष और कोटा- बूंदी लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा भाजपा सांसद ओम बिरला एक बार फिर कोटा- बूंदी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में है। कोटा- बूंदी लोकसभा क्षेत्र में ओम बिरला का मुकाबला अपने ही पुराने साथी और भाजपा से दो बार विधायक रहे प्रहलाद गुंजल से हैं। गुंजल इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 और 2019 में यहां से सांसद बनने वाले ओम बिरला के सामने मतदाताओं का मन जीतने और मिथक तोड़ने की बड़ी चुनौती है। कौन है ओम बिड़ला? और क्या है उनकी चुनौतियां ? आईए जानते हैं
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कौन हैं ओम बिरला (Who is Om Birla) ?
23 नवंबर 1962 को कोटा, राजस्थान में जन्मे ओम बिरला ने एमकॉम की डिग्री प्राप्त की। कॉमर्स कॉलेज कोटा और एमडीएस विश्वविद्यालय अजमेर राजस्थान से किया। ओम बिरला ने छात्र राजनीति से राजनीति में कदम रखा। युवा मोर्चा से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ओम बिरला जुझारू नेता के रूप में पहचान बनाने में सफल रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें लोकसभा अध्यक्ष जैसा बड़ा संवैधानिक पद सौंपा।
ओम बिरला का राजनीतिक सफर
2003 में ओम बिरला ने कोटा दक्षिण से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 2008 विधानसभा चुनाव में वे फिर से चुने गए और 2013 में तीसरी बार विधायक बने। इसके बाद 2014 में कोटा से सांसद बन चुके हैं। 2019 में फिर से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनको लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया। बिरला इसके पहले 1991 से 1997 तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष रहे और वर्ष 1997 से 2023 तक युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
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ओम बिरला को कौन सा मिथक तोड़ना है ?
बीते ढाई दशकों से किसी भी लोकसभा अध्यक्ष का दोबारा सदन में नहीं पहुंचने का मिथक तोड़ने की चुनौती ओम बिरला के सामने है।
- 1999 में जीएमसी बाल योगी लोकसभा अध्यक्ष बने थे। 2001 में एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया था।
- इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष बने शिवसेना के मनोहर जोशी 2004 में चुनाव हार गए। 2004 में लोकसभा अध्यक्ष बने सोमनाथ चटर्जी को अगले चुनाव में टिकट नहीं मिला।
- 2009 में लोकसभा अध्यक्ष बनी मीरा कुमार 2014 में हार गई।
- 2014 में लोकसभा अध्यक्ष बनी सुमित्रा महाजन का टिकट 2019 में कट गया था।
अब 2024 के चुनाव में ओम बिरला को फिर से जीत दर्ज कर इस मिथक को तोड़ना है।
ओम बिरला के सामने क्या है चुनौतियां ?
कोटा संसदीय क्षेत्र की 8 में से छः विधान सीट पर आधे मतदाता युवा हैं। भाजपा में ही युवा राजनीति के दो बड़े चेहरे रहे ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल अब युवाओं के भरोसे हैं। इस चुनाव में ओम बिरला का मुकाबला उनके ही पुराने साथी से है। बिरला के सामने कांग्रेस ने प्रहलाद गुंजल को उतारा है। गुंजल बीते माह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर गुंजल कोटा उत्तर सीट से हार गए थे। गुंजल को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है। कोटा महाविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके गुंजल की युवाओं पर खासी पकड़ है। ऐसे में देखना यह होगा कि युवा वर्ग का भरोसा कौन जीतता है? और किसके सिर बंधता है जीत का सेहरा?