February 16, 2025
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Gorakhpur : क्या आप जानते थे गोरखपुर शहर से जुड़े ये रोचक तथ्य एवं 9 प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में (Did you know these interesting facts related toGorakhpur city and major tourist places?)

About Gorakhpur City : क्या आप जानते थे गोरखपुर शहर से जुड़े ये रोचक तथ्य एवं प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में (Did you know these interesting facts related to Gorakhpur city and major tourist places?)
ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध गोरखपुर (Gorakhpur) भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत के पूर्वी नेपाल के सीमा के पास एक नगर है।
जिस प्रकार संपूर्ण विश्व में भारत देश सबसे सुंदर और अनोखा है उसी प्रकार भारत में सबसे अनोखा व आकर्षक उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के पूर्व में गोरखपुर पर्यटन क्षेत्र (Gorakhpur tourism)एक विशाल भू- भाग में फैला हुआ है।

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ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध गोरखपुर का इतिहास (History of historically famous Gorakhpur)

ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध गोरखपुर (Gorakhpur) भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत के पूर्वी नेपाल के सीमा के पास एक नगर है। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर बाबा गोरखनाथ के नाम से सुविख्यात अनेक पुरातात्विक आध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए हैं। हिमालय की तराई में समुद्र की सतह से 150 मीटर की ऊंचाई पर राप्ती,रोहिणी नदियों के संगम पर स्थित गोरखपुर महायोगी गोरक्षनाथ की पावन कर्म भूमि रही है।

गोरखपुर(Gorakhpur )में एक दीनदयाल विश्वविद्यालय, अनेक महाविद्यालय मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज तथा अन्य सैकड़ों विद्यालय हैं। गोरखपुर से सटे पूरब में एक बहुत ही सुंदर “कुसुमी जंगल” नामक वन है। भारतीय वायु सेवा की छावनी भी गोरखपुर में है। 20वीं सदी में गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र बिंदु था।

 

गोरखपुर का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है गोरखपुर प्रसिद्ध लेखको और स्वतंत्रता सेनानियों की कर्मस्थली और जन्मस्थली रही है। यह फिराक गोरखपुरी की जन्मस्थली रही है तो मुंशी प्रेमचंद, रहस्यवादी कवि कबीर दास, गौतम बुद्ध और भगवान महावीर, शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, बंधू सिंह आदि का गोरखपुर से गहरा नाता रहा है।

गोरखपुर का इतिहास (History of Gorakhpur)

16 महाजनपदों में से एक गोरखपुर छठी शताब्दी ईसा पूर्व कौशल के प्रसिद्ध साम्राज्य का एक हिस्सा था।

आइए जानते हैं गोरखपुर के इतिहास के बारे में

  गोरखपुर जिले का नाम एक प्रसिद्ध तपस्वी संत गोरक्षनाथ के नाम पर रखा गया था गोरखपुर जनपद आर्य संस्कृति और सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। प्राचीन गोरखपुर में बस्ती, देवरिया, आजमगढ़ और नेपाल के हिस्से शामिल थे।

गोरखपुर क्षेत्र पर शासन करने वाले सबसे पहले राजा इक्ष्वाकु थे। जिन्होंने क्षत्रियों के सौर राजवंश की स्थापना की थी। राम के राज्यारोहण तक इसने कई प्रसिद्ध राजाओं को जन्म दिया जो इस राजवंश के सबसे महान शासक थे। गोरखपुर मौर्य, सुंग कुषाण गुप्त और हर्ष राजवंशों के पूर्ववर्ती साम्राज्यों का एक अभिन्न अंग बना रहा।

 मध्यकाल में संपूर्ण उत्तर भारत के साथ गोरखपुर भी मुस्लिम शासक मोहम्मद गोरी के अधीन रहा। कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर बहादुर शाह तक मुस्लिम शासकों का गोरखपुर में प्रभुत्व रहा। ऐसी मान्यता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने गोरक्ष के पुराने मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित करने का आदेश दिया था। अकबर के साम्राज्य के पुनर्गठन पर गोरखपुर ने अवध प्रांत को शामिल करने वाले पांच सरकार में से एक को अपना नाम दिया।

1801 में जब अवध के नवाब ने इस क्षेत्र को ईस्ट इंडिया कंपनी को हस्तांतरित किया तब आधुनिक गोरखपुर का उदय हुआ। इसी समय गोरखपुर को एक जिले का दर्जा दिया गया और इस जिले के प्रथम कलेक्टर श्री  रुटलेज थे। 1829 में गोरखपुर को गोरखपुर मंडल का मुख्यालय बनाया गया। इसके अतिरिक्त देवरिया, गोरखपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ जिले शामिल थे। इसका प्रथम आयुक्त श्री आरएम बॉयड को नियुक्त किया गया। 1865 में गोरखपुर से अलग जिला बस्ती बनाया गया।1946 में विभाजित करके नया जिला देवरिया बनाया गया। 1889 में गोरखपुर के तीसरे डिवीजन के परिणाम स्वरुप महाराजगंज जिले का निर्माण हुआ।

गोरखपुर का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व (Historical and Cultural Significance of Gorakhpur)

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से गोरखपुर का अपना विशेष महत्व रहा है- 

  •  600 ईसा पूर्व बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध ने गोरखपुर में राप्ती और रोहिणी नदियों के संगम पर अपनी राजसी वेशभूषा त्याग कर सत्य की खोज में निकल पड़े।जैन धर्म के संस्थापक 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का भी गोरखपुर से जुड़ाव था।

  • गोरखनाथ का गोरखपुर से अत्यंत लगाव था।हालांकि गोरखनाथ के जन्म का स्थान और तिथि अभी तक निश्चित नहीं हो पाई है। गोरखनाथ का समय संभवत: 12वीं शताब्दी में था।गोरखपुर में गोरखनाथ की समाधि पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री और श्रद्धालु आते हैं।

  • मध्यकालीन रहस्यवादी कवि और प्रसिद्ध संत कबीर दास जी का जन्म तो काशी में हुआ था लेकिन उनकी कर्मभूमि मगहर थी। मगहर में कबीर दास ने अधिकांश रचनाएं की थी। मगहर से ही उन्होंने शांति और धार्मिक सद्भाव का संदेश दिया था। मगहर में ही संत कबीर दास की समाधि और मकबरा स्थित है
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना चौरी-चौरा के कारण गोरखपुर को प्रसिद्धि मिली। पुलिस के अत्याचारों से क्रोधित होकर स्वयंसेवकों ने चौरीचौरा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। जिसमें 19 पुलिसकर्मी मारे गए थे।

  • 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के जवाब में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करने के लिए डोहरिया (सहजनवा तहसील) में एक बैठक आयोजित की गई थी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसके जवाब में गोलीबारी की, जिसमें सैकड़ों लोग घायल हुए और नौ लोग मारे गए। मारे गए लोगों की स्मृति में वहां एक शहीद स्मारक बना है।

  • गोरखपुर (Gorakhpur) की सबसे बड़ी पहचान है “गीता प्रेस”। गीता प्रेस हिंदू धार्मिक पुस्तकों की विश्व प्रसिद्ध प्रकाशक है। गीता प्रेस की दीवारों पर भगवान राम और कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं के चित्र लगे हैं। इसकी संगमरमर की दीवारों पर श्रीमद् भागवत गीता के सभी 18 भाग लिखे हुए हैं। गोरखपुर का गीता प्रेस पूरे देश में धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के प्रचार में अग्रणी है। “कल्याण” पत्रिका गीता प्रेस का प्रसिद्ध प्रकाशन है।

गोरखपुर की भौगोलिक स्थिति

गोरखपुर उत्तर प्रदेश (Gorakhpur, Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ से 265 किलोमीटर पूरब में राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर स्थित है। गोरखपुर नगर उत्तरी अक्षांश एवं 83° 22 पूर्वी देशांतर के मध्य गंगा घाटी के सरयू पार मैदान में राप्ती एवं रोहिणी नदियों के संगम पर राप्ती नदी के बाएं किनारे पर सागर तट से 102 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गोरखपुर नगर पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय के साथ ही प्रमुख रेलवे जंक्शन है। यह उत्तर भारत नेपाल सीमा से 90 किलोमीटर दक्षिण की दूरी पर स्थित है। रेल द्वारा गोरखपुर कोलकाता से 810 किलोमीटर तथा दिल्ली से 789 किलोमीटर है। जबकि इलाहाबाद से सड़क द्वारा यात्रा करने पर इसकी दूरी 290 किलोमीटर वह वाराणसी से 210 किलोमीटर है।

गोरखपुर का कृषि एवं उद्योग (Agriculture and Industry of Gorakhpur)

गोरखपुर में क्रैप तथा रोयेदार तौलिए सूत और उनके मिले हुए धुस्से तथा चीनी बनाई जाती है। गोरखपुर में लकड़ी और चीनी के व्यापार की प्रमुख मंडी है। इसके अतिरिक्त यहां पर हैंडलूम, टेक्सटाइल, हस्तशिल्प, टेराकोटा और पटरी आदि का कार्य भी किया जाता है।

गोरखपुर के दर्शनीय पर्यटन स्थल (Sightseeing places of Gorakhpur)

जिस प्रकार संपूर्ण विश्व में भारत देश सबसे सुंदर और अनोखा है उसी प्रकार भारत में सबसे अनोखा व आकर्षक उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के पूर्व में गोरखपुर पर्यटन क्षेत्र एक विशाल भू- भाग में फैला हुआ है। 

गोरखपुर के अंतर्गत गोरखपुर मंडल, बस्ती मंडल एवं आजमगढ़ मंडल के कुल 10 जिले हैं। गोरखपुर का पर्यटन क्षेत्र अनेक पुरातात्विक,आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए हैं। गंगा, गंडक, सरयू, तमसा, रोहणी राप्ती जैसी पवित्र नदियों से अभिसिंचित, भगवान बुद्ध, तीर्थंकर महावीर, संत कबीर, गुरु गोरखनाथ की तपस्थली है गोरखपुर। सर्वधर्म, समभाव के संदेश देने वाले विभिन्न धर्मावलंबियों के देवालयों और प्रकृति द्वारा सजाए सवारे नयनाभिराम पक्षी विहार एवं अभयारण्य से परिपूर्ण गोरखपुर पर्यटन क्षेत्र सभी वर्ग के पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। 

गोरखपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल  (Best places to visit in gorakhpur city)

1. गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple)

   नाथ संप्रदाय के संस्थापक परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ का अत्यंत सुंदर भव्य मंदिर (Gorakhnath Mandir, Gorakhpur) गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर दूरी पर नेपाल रोड पर स्थित है। गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) 12 वीं शताब्दी के पालकालीन काले कसौटी पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है। गोरखनाथ मंदिर रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां मकर संक्रांति के अवसर पर प्रत्येक वर्ष खिचड़ी मेला का आयोजन होता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं यह मेला 1 माह तक चलता है।

 

2. गीता प्रेस, (Geeta Press, Gorakhpur)

 गोरखपुर का ‘गीता’ प्रेस’ (Geeta Press, Gorakhpur) रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर दूरी पर रेती चौक के पास स्थित है। यहां पर हिंदू धर्म की दुर्लभ पुस्तकें,हैंडलूम एवं टेक्सटाइल्स वस्त्र सस्ते दर पर बेचें जाते हैं। भारत का प्रमुख धार्मिक मासिक पत्र “कल्याण” ‘गीता प्रेस गोरखपुर’ का प्रसिद्ध प्रकाशन है। गीता प्रेस में सफेद संगमरमर की दीवारों पर संपूर्ण श्रीमद् भागवत गीता के 18 अध्याय के श्लोक उत्कीर्ण है। उसकी दीवारों पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवं भगवान श्री कृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की चित्रकला प्रदर्शित है।

3. गीता वाटिका, गोरखपुर (Geeta Vatika, Gorakhpur)

रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर दूरी पर गोरखपुर- पिपराइच मार्ग पर गीता वाटिका स्थित है जिसमें राधा कृष्ण का भव्य मनमोहक मंदिर है।

4. रामगढ़ ताल, गोरखपुर(Ramgarh Tal, Gorakhpur)

रामगढ़ ताल गोरखपुर रेलवे स्टेशन (Gorakhpur railway Station) से 3 किलोमीटर पर लगभग 1700 एकड़ के विस्तृत भू – भाग क्षेत्र में फैली हुई है। रामगढ़ ताल की सुंदरता पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करती है। इसके अलावा यहां पर बौद्ध संग्रहालय, चंपा देवी पार्क, जल क्रीड़ा केंद्र, तारामंडल, अंबेडकर उद्यान, सिरकुट हाउस एवं टूरिस्ट बंगलो भी विशेष दर्शनीय स्थल है। 

5. पिकनिक स्पॉट, गोरखपुर (Picnic Spot, Gorakhpur)

 गोरखपुर में गोरखपुर कुशीनगर मार्ग पर अत्यंत सुंदर एवं मनोहारी छटा से परिपूर्ण पिकनिक स्पॉट (Picnic Spot Gorakhpur) स्थित है।

 

6. प्राचीन शिव मंदिर, गोरखपुर(Prachin Shiv Temple, Gorakhpur)

गोरखपुर का प्राचीन शिव मंदिर रामगढ़ ताल के पूर्वी भाग में स्थित है। यह शिव मंदिर गोरखपुर शहर से देवरिया मार्ग पर कूड़ाघाट बाजार के निकट शहर से 4 किलोमीटर पर स्थित है।

7. सूर्य कुंड मंदिर, गोरखपुर (Sury Kund Temple, Gorakhpur)

सूर्य कुंड मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने यहां पर विश्राम किया था जो कि कालांतर में भव्य सूर्य कुंड मंदिर बना। यह मंदिर गोरखपुर नगर (Gorakhpur District) के एक कोने में रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित ताल के मध्य में स्थित है।

8 .इमामबाड़ा, गोरखपुर (Imambara Gorakhpur)

गोरखपुर नगर (Gorakhpur) के इस इमामबाड़ा का निर्माण हजरत बाबा रोशन अलीशाह की अनुमति से सन 1717ई. में नवाब आसिफउद्दौला ने करवाया था। यह गोरखपुर नगर के मध्य में रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां से मोहर्रम का जुलूस निकलता है। 

9 .मुंशी प्रेमचंद उद्यान (Munshi Premchand Udyan)

 प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के नाम पर बना यह मनोरम उद्यान गोरखपुर नगर के मध्य में रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह उद्यान उन दिनों का द्योतक है जब मुंशी प्रेमचंद गोरखपुर में एक स्कूल अध्यापक थे। इसमें प्रेमचंद के साहित्य से संबंधित एक विशाल पुस्तकालय निहित है।

गोरखपुर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व (Famous Personality of Gorakhpur)

गोरखपुर (Gorakhpur) को उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सर्वोत्तम सेवाओं के माध्यम से जिले को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा और गौरव दिलाया।

 प्रख्यात व्यक्तित्व में कट्टर देशभक्त और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता ‘राघवेंद्र राव (बाबा राघवदास)’, अंग्रेजों के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध छेड़ने वाले गोरखपुर के पहले महान स्वतंत्रता सेनानी ‘ बाबू बंधू सिंह’ महान क्रांतिकारी ‘रामप्रसाद बिस्मिल’ प्रमुख है जिन्होंने अपने कार्यों और शहादत से देशवासियों में सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भावनाएं जगाई।

इनके अतिरिक्त प्रसिद्ध उर्दू कवि एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करता ‘ फिराक गोरखपुरी’ विश्व प्रसिद्ध हिंदी लेखक ‘ प्रेमचंद’ प्रसिद्ध धार्मिक पत्रिका कल्याण के संपादक ‘ हनुमान प्रसाद पोद्दार’ हिंदू महासभा के प्रसिद्ध संस्थापकों में से एक महान राष्ट्रवादी और योगी गोरखनाथ के अनुयाई ‘महंत दिग्विजय नाथ’ गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष एवं यूपी राज्य के पहले आईसीएस ‘पंडित सुरती नारायण त्रिपाठी’ आदि गोरखपुर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। “वीर बहादुर सिंह” को आधुनिक गोरखपुर के वास्तुकार के रूप में व्यापक रूप से याद किया जाता है।

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