July 27, 2024

Baaghi Ballia : क्या आप जानते थे बागी बलिया से जुड़े रोचक तथ्य एवं प्रमुख 9 पर्यटक स्थलों के बारे में (Did you know these interesting facts about Ballia city and major 9 tourist places?)

About ‘Bagghi Ballia’ City बलिया को “बागी शहर बलिया” (Baaghi Ballia) भी कहा जाता है। 19 अगस्त 1942 का दिन बलिया के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। इसी दिन बलिया के सैकड़ो क्रांतिकारियों ने जेल में बंद अपने साथी क्रांतिकारियों को जिला कारागार का दरवाजा तोड़कर आजाद कराते समय शहीद हो गए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में विद्रोही तेवरों के कारण बलिया को “बागी बलिया” भी कहा जाता है क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन में अधिकतर बागी बलिया (Baaghi ballia) से ही थे जैसे मंगल पांडे,चित्तू पांडे आदि।Baaghi Ballia || About Ballia City || Ballia District || Best places to visit in Ballia City || History of Ballia City :

Baaghi Ballia_About Ballia_Places to visit in ballia City_बलिया शहर के बारे में

बागियों के शहर बलिया के बारे में (About Ballia, the city of rebels)

About Baaghi Ballia City: बलिया नगर वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) के पूर्वोत्तर में 120 किलोमीटर की दूरी पर गंगा नदी के किनारे स्थित है। बलिया (Ballia) पश्चिम में मऊ, उत्तर में देवरिया उत्तर पूर्वी भाग में बिहार और दक्षिण पश्चिमी भाग में गाजीपुर से घिरा हुआ है। प्राचीन आवासीय क्षेत्र रहे इस नगर को कई बार नदी के बहाव में आए परिवर्तनों के कारण उत्तर की ओर ले जाना पड़ा। बलिया (Ballia) वाराणसी और अन्य उत्तर भारतीय शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। बलिया शहर आजमगढ़ मंडल के अंतर्गत आता है।

यह शहर दो प्रमुख नदियों गंगा और घाघरा के संगम पर स्थित है। यह नदियां दूसरे पड़ोसी शहरों से बलिया को अलग करती है। जैसे गंगा बिहार से और घाघरा देवरिया से बलिया को अलग करती है। इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2,981 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 32, 23,642 है। इस जनपद में कुल 1830 गांव हैं

बलिया नाम की उत्पत्ति कैसे हुई ?

बलिया शहर (Ballia District) के नाम के पीछे दो कथाएं प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार प्रसिद्ध संत महर्षि वाल्मीकि के नाम पर शहर का नाम बलिया पड़ा। स्थानीय लोगों के अनुसार महाकाव्य “रामायण” के रचयिता महर्षि वाल्मीकि बलिया में रहते थे। दूसरी कथा के अनुसार बलिया में एक रेतीली मिट्टी पाई जाती है। जिसे ‘बल्लुआ’ के रूप में जाना जाता है। मिट्टी की गुणवत्ता के कारण शहर को बलिया नाम दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस शहर को शुरू में ‘बालियान’ कहा जाता था और फिर बलिया कहा जाने लगा।

बलिया का इतिहास (History Of Ballia)

बलिया (Ballia) एक प्राचीन शहर है। भारत के कई महान संत और साधु जैसे जमदाग्नि,वाल्मीकि, भृगु, दुर्वासा आदि के आश्रम बलिया में थे। प्राचीन काल में बलिया कौशल साम्राज्य का एक भाग था। एक किंवनदंती के अनुसार इस शहर को बलिया महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कहा जाता था। वाल्मीकि की स्मृति में एक मंदिर भी यहां था जो अब नहीं है। बलिया (Ballia) की उत्तर में धर्मारण्य नामक एक ताल के निकट अति प्राचीन काल में बौद्धों का एक “संघाराम” स्थित था जिसका वर्णन चीनी यात्री फाह्यन ने “विशाल शांति” नाम से किया है। इस संघाराम का वर्णन करते हुए युवान च्वांग ने यहां आविद्ध कारण साधुओं का निवास बताया है।

मुस्लिम आक्रमणकारियो में सबसे पहले 1194 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक बलिया जिले की सरहद में कुतुबगंज घाट पर आया। इख्तियार मोहम्मद ने 1202 ईस्वी में घाघरा नदी तट पर स्थित कठौड़ा और कुतुबगंज के समृद्ध नगर पर अधिकार कर लिया। लेकिन बलिया जिले के एक छोटे से राज्य हल्दी के यशस्वी तिलकधारी राजा श्री रामदेव जी थे जो मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा कभी पराजित ना हो सके।

सिकंदर लोदी सन 1493 में बलिया के घाघरा नदी के तट पर स्थित कठौड़ा आया था। 5 मई 1529 ई को बाबर और महमूद लोदी के बीच मध्य युगीन इतिहास के प्रथम जल और थल के युद्ध का साक्षी बना बलिया का खरीद। मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात बलिया पर राजपूत जमीदार का अधिकार हो गया परंतु जब मोहम्मद शाह सन 1719 ईस्वी में दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो जमीदारों से लगान वसूलने लगा। 29 दिसंबर 1764 ई को इस जिले का भू- भाग भी ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन हो गया।

बलिया को "बागी बलिया" क्यों कहा जाता है?

बलिया को “बागी शहर बलिया” (Baaghi Ballia) भी कहा जाता है। 19 अगस्त 1942 का दिन बलिया के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। इसी दिन बलिया के सैकड़ो क्रांतिकारियों ने जेल में बंद अपने साथी क्रांतिकारियों को जिला कारागार का दरवाजा तोड़कर आजाद कराते  समय शहीद हो गए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में विद्रोही तेवरों के कारण बलिया को “बागी बलिया” भी कहा जाता है क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन में अधिकतर बागी बलिया (Baaghi ballia) से ही थे जैसे मंगल पांडे,चित्तू पांडे आदि।

बलिया का स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय योगदान रहा है (Ballia's incomparable contribution to the freedom movement)

 इतिहास में बलिया () का स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय योगदान रहा है। 1942 के आंदोलन में बलिया (Ballia) के निवासियों ने स्थानीय अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंका था। चित्तू पांडे के नेतृत्व में कुछ दिनों तक स्थानीय सरकार भी चली लेकिन अंग्रेजों ने वापस अपनी सत्ता स्थापित कर ली। स्वतंत्रता आंदोलन में 14 अगस्त 1942 में ही भारत का तिरंगा फहराने वाला बलिया देश का पहला जिला था। लगातार अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह होने के कारण अंग्रेजों ने इसे गाजीपुर जिले से अलग कर दिया।

जरूर पढ़ें :  वाराणसी को मंदिरों का शहर क्यों कहा जाता है ?

बलिया के प्रसिद्ध व्यक्तित्व(Famous Personalities of Ballia)

बलिया शहर (Ballia City) का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। बलिया स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ अन्य महान विभूतियों की भी नगरी रही है। बलिया अनेक गणमान्य व्यक्तियों की जन्मस्थली और कर्मस्थली रही है। आईए जानते हैं बलिया के कुछ प्रसिद्ध व्यक्तित्व के बारे में-

मंगल पांडे (Mangal Pandey)

  मंगल पांडे (Mangal Pandey) 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी नेता थे उनका जन्म बलिया के नगवां गांव में हुआ था

चित्तू पांडे

 कांग्रेसी नेता चित्तू पांडे के नेतृत्व में 1942 के आंदोलन में बलिया में स्वतंत्र सरकार का गठन हुआ था।

जयप्रकाश नारायण

महान स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण का जन्म भी बलिया जिले में हुआ था। जयप्रकाश नारायण का गांव कोड़रहा नौबरार है।

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर सिंह भी बलिया जिले के ही थे। उनका जन्म बलिया जिले के ग्राम इब्राहिमपट्टी में 1 जुलाई 1927 को हुआ था।

जनेश्वर मिश्र

 “छोटे लोहिया” के नाम से जाने जाने वाले समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र भी बलिया के ही रहने वाले थे। इनके अतिरिक्त पूर्व मंत्री काशीनाथ मिश्र, गौरी शंकर राय भी बलिया जिले से हैं। साहित्य के क्षेत्र में बलिया का अतुलनीय योगदान रहा है। बलिया जिले ने हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकार दिए हैं। जिनमें हजारी प्रसाद द्विवेदी, दूधनाथ सिंह, परशुराम चतुर्वेदी, अमरकांत, डॉक्टर रविंद्र नाथ श्रीवास्तव, डॉक्टर उदय नारायण तिवारी प्रमुख है।

बलिया के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major tourist places of Ballia)

बलिया के प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं (Best tourist places to visit in Ballia District)-

बोटैनिकल गार्डन, बलिया (Botanical Garden, Ballia)

 बलिया का बोटैनिकल गार्डन सबसे खूबसूरत जगह में से एक है। इस उद्यान का रखरखाव नगर पालिका द्वारा किया जाता है। इस बगीचे में पेड़ों, फूलो, जड़ी बूटियां और सजावटी पौधों का विविध संग्रह है। बगीचे के खूबसूरत और हरे भरे पौधे और फूल पर्यटकों को शांति और स्वच्छ हवा प्रदान करते हैं।

बलिया का ददरी मेला (Dadri Mela, Ballia)

 बलिया का ददरी मेला (Dadri mela, Ballia) भारत का दूसरा सबसे बड़ा मवेशी मेला है। यह मेला महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के सम्मान में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। यह मेला दो चरणों में आयोजित होता है। कार्तिक पूर्णिमा के 10 दिन पूर्व इस मेले का प्रथम चरण प्रणाम प्रारंभ होता है। जिसके दौरान खरीदने और बेचने के लिए व्यापारी पूरे भारत से उच्च किस्म की नस्ल के मवेशियों को लाते हैं। दूसरे चरण में कार्तिक पूर्णिमा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता ।है और अगले पखवाड़े में बड़ी संख्या में अस्थाई दुकानें लगाई जाती हैं। ददरी मेला जनपद वासियों के लिए मनोरंजन का विशेष स्थल है। 

बलिया का भृगु मंदिर​ (Bhrigu Mandir , Bhrigu Ashram , Ballia)

बलिया (Ballia) के शहर के पूर्वी छोर पर विश्व प्रसिद्ध भृगु मंदिर (Bhrigu Mandir) स्थित है। मंदिर के प्रांगण में भगवान चित्रगुप्त का भव्य मंदिर है। भृगु मंदिर के गर्भ गृह में महर्षि भृगु के साथ उनके शिष्य महर्षि दर्दर की प्रतिमा भी स्थापित है।

मंगला भवानी मंदिर, बलिया जिला (maa mangala bhawani mandir, ballia)

मंगला भवानी मंदिर, बलिया जिला (maa mangala bhawani mandir, Ballia City

 मंगला भवानी मंदिर (maa mangala bhawano mandir) प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह मंदिर बलिया के उजियार- भरौली में स्थित है। बिहार और पूर्वांचल से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

कामेश्वर धाम कारो, बलिया (Kameshwar Dham, Ballia)

कामेश्वर धाम कारो_बलिया_Kameshwar Dham, Ballia District

भगवान शिव का यह पौराणिक मंदिर 52 बीघे की सुंदर झील के तट पर स्थित है। चितबड़ा गांव के इस स्थान पर भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था।

बलिया का बालेश्वर मंदिर (Baleshwar Mandir, Ballia)

बलिया का बालेश्वर मंदिर (Baleshwar Mandir, Ballia)

  शहर में मुख्य बाजार के पास स्थित भगवान शिव का यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग आधा किलोमीटर दूर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा बलि ने यहां पर यज्ञ किया था।

सोनडीह भवानी मंदिर, बलिया (Sondih Bhavani Temple, Ballia)

सोनडीह भवानी मंदिर, बलिया (Sondih Bhavani Temple, Ballia)

बेल्थरा रोड (Belthara Road) कस्बा से लगभग 8 किलोमीटर दूर, सरयू नदी के किनारे स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 68 किलोमीटर दूर है। यहां पर प्रत्येक वर्ष चैत्र मास में मेला लगता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर मां दुर्गा ने रक्त बीज नामक राक्षस का वध किया था।

सुरहा ताल, बलिया (Surha Tal, Ballia)

सुरहा ताल, बाग़ी बलिया (Surha Tal, baaghi Ballia)

पौराणिक कथा के अनुसार अपने सैनिकों के साथ युद्ध लड़कर वापस जा रहे राजा सूरथ ने प्यास लगने पर अपने सैनिकों से पानी लाने को कहा। पास के जंगल में स्थित सरोवर से सैनिक पानी ले आए। इस पानी से हाथ धोते ही राजा के घाव सूखने लगे। इसके पश्चात राजा ने 3 वर्षों तक यहां मां की आराधना की। जिस देवी की उन्होंने आराधना कि उन्हें मां ब्रह्माणी कहा गया और इसी सरोवर को सुरहा ताल (Surha tal, Ballia) कहा गया। वर्तमान में यह सरोवर युवाओं के लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।

शहीद स्मारक , बलिया (Martyr Memorial, Ballia)

शहीद स्मारक , बलिया (Martyr Memorial, Ballia)

यह शहीद स्मारक 1942 के स्वतंत्रता सेनानियों की याद में बनाया गया है। जिन्होंने बलिया (Ballia) को एक स्वतंत्र शहर बनाने के लिए अपनी जान गंवा दी थी। इन स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष के परिणाम स्वरुप 1942 में बलिया 14 दिनों के लिए एक स्वतंत्र शहर बन गया था।

ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ें :  Official Government Website of Ballia City