Babri Demolition: बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर जानिए बाबरी मस्जिद विध्वंस के पांच सूत्रधारों के बारे में
Babri Demolition: बाबरी मस्जिद का विध्वंस आजादी के बाद की सबसे अहम घटनाओं में से एक है, जिसने देश की राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने को झकझोर दिया था। इस घटना की गूंज भारतीय राजनीति में आज भी सुनाई देती है।
31 वर्ष पूर्व आज ही के दिन 6 दिसंबर को 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को कारसेवकों ने गिरा दिया था। 6 दिसंबर बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी है। 6 दिसंबर का दिन अयोध्या के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज हो गया जिसकी वजह से अयोध्या में लंबे समय तक तनाव रहा, जिसका अलग-अलग समुदायों पर अलग-अलग प्रभाव आज भी है। हालांकि 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस ऐतिहासिक विवाद को सदैव के लिए समाप्त कर दिया था।
बाबरी मस्जिद का विध्वंस आजादी के बाद की सबसे अहम घटनाओं में से एक है, जिसने देश की राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने को झकझोर दिया था। इस घटना की गूंज भारतीय राजनीति में आज भी सुनाई देती है।
31 वर्ष पूर्व आज ही के दिन 6 दिसंबर को 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को कारसेवकों ने गिरा दिया था। 6 दिसंबर बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी है। 6 दिसंबर का दिन अयोध्या के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज हो गया जिसकी वजह से अयोध्या में लंबे समय तक तनाव रहा, जिसका अलग-अलग समुदायों पर अलग-अलग प्रभाव आज भी है। हालांकि 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस ऐतिहासिक विवाद को सदैव के लिए समाप्त कर दिया था।
क्या है बाबरी मस्जिद विध्वंस(What is Babri Masjid Demolition)?
आज अयोध्या में जिस राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और जिसकी प्राण प्रतिष्ठा जनवरी में होने वाली है आज से 31 वर्ष पूर्व इसी राम जन्मभूमि पर निर्मित बाबरी मस्जिद का विध्वंश हुआ था। 6 दिसंबर को जो हुआ उस घटना की कसक आज भी ताजा है। 6 दिसंबर 1992 में हजारों- लाखों की संख्या में कारसेवक राम जन्मभूमि के विवादित स्थल के अंदर घुस गए। पूरी भीड़ में एक जोश और जुनून था। ऐसा लग रहा था वहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में एक नेता है।
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“जय श्री राम” और “हम मंदिर वहीं बनाएंगे” के नारों से पूरी पूरा अयोध्या गूंज उठी थी। वहां मौजूद कार सेवकों का देखते ही देखते ढांचे के गुंबदों पर कब्जा हो गया। हाथों में बल्लम,कुदाल, छेनी, हथौड़ा लिए उस पर वार पर वार होने लगे। जिसके हाथ में जो था वही उस ढांचे को ध्वस्त करने का औजार बन गया और देखते ही देखते वर्तमान, इतिहास बन गया।
उस समय सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर किसी भी निर्माण कार्य पर पाबंदी लगाई थी। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया था कि उसके आदेशों का पूर्णतया पालन होगा, लेकिन इसके बावजूद केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार, राज्य की कल्याण सिंह सरकार और सुप्रीम कोर्ट देखते ही रह गए और बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा विध्वंस कर दिया गया।
इस मामले में कई नेताओं पर साजिश के आरोप लगे। इन पर केस भी दर्ज हुआ। आईए जानते हैं बाबरी मस्जिद विध्वंस के सूत्राधार उन छः नेताओं के बारे में जिनके ऊपर इस घटना में साजिश का आरोप लगा।
लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani )
भाजपा के वरिष्ठतम नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सितंबर 1990 में राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक 10,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा की थी। सीबीआई की चार्ज शीट के अनुसार अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस की साजिश के मूल सूत्रधार थे लाल कृष्ण आडवाणी। अपनी यात्रा के दौरान आडवाणी जहां-जहां गए वहां- वहां सांप्रदायिक हिंसा हुई लेकिन बिहार में तत्कालीन लालू यादव सरकार ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि मुंबई के दादरी में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने आडवाणी का स्वागत किया।
आडवाणी ने 6 दिसंबर को कहा था “आज का सेवा का आखिरी दिन है कार सेवक आज आखिरी बार कारसेवा करेंगे।”
आयोजन पक्ष के अनुसार आडवाणी ने कल्याण सिंह को फोन पर कहां की वे विवादित ढांचा पूर्ण रूप से गिराए जाने तक अपना त्यागपत्र ना दें।आडवाणी पर आरोप था कि उन्होंने कहा था कि
“मंदिर बनाना है, मंदिर बनाकर जाएंगे, हिंदू राष्ट्र बनाएंगे।”
आडवाणी ने राम कथा कुंज के मंच से चिल्ला कर कहा था कि “जो कारसेवक शहीद होने आए हैं, उन्हें शहीद होने दिया जाए।” आडवाणी पर सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने वाला भाषण देकर कार सेवकों को उकसाने का आरोप लगा था। हालांकि कोर्ट ने अब लालकृष्ण आडवाणी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है।
अशोक सिंघल (Ashok Singhal)
विश्व हिंदू परिषद के स्तंभ अशोक सिंघल ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चार्ज सीट में सिंघल पर आरोप लगा था कि 6 दिसंबर को राम कथा कुंज पर बने मंच से अन्य अभियुक्तो के साथ कारसेवकों से नारा लगवा रहे थे कि,
“ रामलाल हम आए हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे।”
“एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो।”
अशोक सिंघल ने 20 नवंबर 1992 को बाल ठाकरे को कारसेवा में भाग लेने का निमंत्रण दिया था। 4 दिसंबर 1992 को बाल ठाकरे ने शिव सैनिकों को अयोध्या जाने का आदेश दिया। अशोक सिंघल ने कहा था कि 6 दिसंबर की कारसेवा में मस्जिद के ऊपर मुगल कमांडर मीर बाकी का शिलालेख हटाया जाएगा क्योंकि यही अकेला चिन्ह मस्जिद के संबंध में है। आरोप है कि जब मस्जिद तोड़ी जा रही थी तो प्रसन्न होकर मंच पर मिठाई बांटी जा रही थी। अशोक सिंघल 2011 तक विहिप के अध्यक्ष बने रहे।17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया।
मुरली मनोहर जोशी (Murali Manohar Joshi)
मुरली मनोहर जोशी भी भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक थे। उनके बारे में अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया है की मुरली मनोहर जोशी और आडवाणी कारसेवा अभियान के लिए मथुरा और काशी होते हुए दिल्ली से अयोध्या के लिए चले। चार्जशीट के अनुसार 6 दिसंबर को जब विवादित ढांचे को गिराया जा रहा था तब मुरली मनोहर जोशी विवादित परिसर में मौजूद थे और गुंबद गिरने पर उमा भारती, आडवाणी और डॉक्टर जोशी के गले मिल रही थी। मुरली मनोहर जोशी के सांप्रदायिकता से ओत-प्रोत भाषण द्वारा धर्मनिरपेक्ष भारत में सांप्रदायिक जहर घोला गया।
कल्याण सिंह (Kalyan Singh)
6 दिसंबर को जब विवादित ढांचा गिराया गया था, उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। कल्याण सिंह उन 13 लोगों में है जिन पर मस्जिद गिराने के षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगा था। उन पर आरोप था कि उग्र कारसेवकों को उनकी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर नहीं रोका। उस समय कुछ तस्वीरें भी आई थी जिसमें वर्दीधारी पुलिस भी कारसेवकों के साथ नारेबाजी करते दिख रहे थे।
चार्जशीट के मुताबिक 1991 में सीएम पद की शपथ लेने की बात कल्याण सिंह ने अयोध्या जाकर विवादित स्थल पर ही मंदिर बनाने की शपथ ली थी। कल्याण सिंह सरकार पर केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई 195 कंपनी सेंट्रल मिलिट्री फोर्स का इस्तेमाल न करने का भी आरोप लगा, जो अयोध्या में राज्य पुलिस की मदद के लिए भेजी गई थी। कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद की सुरक्षा का आश्वासन दिया था लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर की घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उसी दिन मुख्यमंत्री पत्र इस्तीफा दे दिया था।
इस घटना के बात कल्याण सिंह ने विवादित भाषण में कहा था कि
“कोर्ट में केस करना है तो मेरे खिलाफ करो, जांच आयोग बैठाना है तो मेरे खिलाफ बैठाओ, किसी को दंड देना है तो मुझे दो।”
बाबरी मस्जिद विध्वंस के कुछ रोज पहले ही कल्याण सिंह ने कहा था कि “रोक कंस्ट्रक्शन(निर्माण)पर लगी है डिस्ट्रक्शन (विध्वंस)पर नहीं।” इस मामले में 1993 में कल्याण सिंह ने कहा था कि ‘ विवादित ढांचे की सुरक्षा न कर पाने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है क्योंकि वह 464 साल पुराने गुलामी का चिन्ह था’।
8 दिसंबर 1992 को मीडिया से बात करते हुए कल्याण सिंह ने कहा था कि
“बाबरी मस्जिद विध्वंश भगवान की मर्जी थी। मुझे कोई अफसोस नहीं, कोई दुख नहीं, कोई पछतावा नहीं। यह सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। राम मंदिर के लिए एक क्या सैकड़ों सत्ता को ठोकर मार सकता हूं।”
विनय कटियार (Vinay Katiyar)
विनय कटियार अपने उग्र बयानों के लिए जाने जाते हैं। विहिप ने 1 अक्टूबर 1984 को अपनी एक आक्रामक शाखा ‘बजरंग दल’ की स्थापना की थी। विनय कटियार को इस संगठन का पहला अध्यक्ष बनाया गया था। विनय कटियार संघ प्रचारक थे। राम जन्मभूमि आंदोलन को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उग्र और हिंसक बना दिया था। 5 दिसंबर को अयोध्या में विनय कटियार के घर पर ही एक बैठक हुई। इस बैठक में विवादित ढांचा गिराने का आखिरी फैसला लिया गया। सीबीआई चार्जशीट के मुताबिक 6 दिसंबर को विनय कटियार ने अपने भाषण में कहा था कि
“हमारे बजरंगियों का उत्साह समुद्री तूफान से भी आगे बढ़ चुका है, जो एक नहीं तमाम बाबरी मस्जिदों को ध्वस्त कर देगा।”
बाबरी विध्वंस के बाद विनय कटियार का राजनीतिक कद बढ़ गया और उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था।
उमा भारती (Uma Bharti)
उमा भारती भी राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े नेताओं में से एक थीं।राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी भूमिका से उनका सियासी कद भी बढ़ गया। उमा भारती के उम्र भाषण ने आंदोलन को गति प्रदान की और बड़ी संख्या में महिलाएं भी कारसेवा के लिए अयोध्या जा पहुंची। 6 दिसंबर को उमा भारती विवादित स्थल पर मौजूद थी। लिब्राहन आयोग द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस में उमा भारती की भूमिका दोषपूर्ण पाई गई थी।
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