योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि: नारी विरुद्ध आपराधिक मामलों में सजा दिलवाने वाला अव्वल राज्य बना उत्तर प्रदेश, NCRB
NCRB के रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2022 में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में सजा दिलाने का प्रतिशत 70 से ज्यादा रहा है। यानी महिलाओं के प्रति यदि 100 अपराध हुए हैं तो उनमें से 70 से अधिक अपराधियों को सजा मिली और इस कसौटी पर उत्तर प्रदेश, देश में अव्वल आया है। देश का कोई राज्य इस कसौटी में उत्तर प्रदेश के आसपास भी नहीं है।
किसी भी सत्ता का जनता की नजर में सबसे बड़ा मूल्यांकन होता है उस शासन काल के दौरान अपराध की स्थिति क्या है।शासन काल के दौरान अपराध पर नियंत्रण है या अपराध अनियंत्रित है। अपराध होने के बाद अपराधियों के प्रति शासन का रुख और व्यवहार कैसा है? यह एक मुख्य बिंदु है। जिस पर जनता मूल्यांकन करती है।
अपराध के होने के बाद दो स्थितियां उत्पन्न होती हैं। पहली स्थिति यह कि सत्ता उस पर निर्णायक रूप से प्रहार करे और अपराधी को जेल के सलाखों के अंदर डालें। दूसरी स्थिति है,सत्ता परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अपराधी को संरक्षण दे, उसे कानूनी दांव पेंच के जरिए राहत दिलाने का प्रयास करें या पीड़ित को न्याय ना मिले इसके लिए उपाय करती दिखे। यह दोनों ही स्थितियां है, जिससे किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी की छवि का निर्धारण होता है।
हाल ही में एनसीआरबी (NCRB) की एक रिपोर्ट आई है जिसमें 2022 के परिदृश्य को लेकर आंकड़े आए हैं जिसमें महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में सजा दिलाने का प्रतिशत उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक रहा है।
क्या है एनसीआरबी (NCRB) ?
एनसीआरबी (NCRB) का नाम हमने राजनीतिक भाषण में चुनाव के दौरान मंचों से, सेमिनार से, टीवी के डिबेट से अक्सर सुना है। NCRB अर्थात नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो। देश के प्रत्येक राज्य के प्रत्येक सूबे में कहां कितना अपराध हो रहा है? उसकी दर क्या है ?अपराध में कमी है या अपराध बढ़ रहे हैं? अन्य राज्यों के मुकाबले अमुक राज्य की स्थिति क्या है? और सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात है किसी अपराध में सजा दिलाने का प्रतिशत अमुक राज्य में कितना है।
यह सभी आंकड़े एनसीआरबी जारी करता है। अपराध होने का यह भारत का सबसे प्रामाणिक आंकड़ा होता है। एनसीआरबी के आंकड़ों का इस्तेमाल पक्ष और विपक्ष दोनों करते हैं। इसलिए इसके आंकड़ों पर ना तो कोई सवाल उठा सकता है और न हीं इसे खारिज किया जा सकता है।
NCRB के आंकड़ों में यूपी नारी विरुद्ध अपराधों में सजा दिलाने के मामले में सबसे आगे
NCRB के रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2022 में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में सजा दिलाने का प्रतिशत 70 से ज्यादा रहा है। यानी महिलाओं के प्रति यदि 100 अपराध हुए हैं तो उनमें से 70 से अधिक अपराधियों को सजा मिली और इस कसौटी पर उत्तर प्रदेश, देश में अव्वल आया है। देश का कोई राज्य इस कसौटी में उत्तर प्रदेश के आसपास भी नहीं है।
पूरे भारत में महिलाओं के प्रति अपराध करने वालों को सजा दिलाने का क्या है प्रतिशत ?
पूरे भारत में महिलाओं के प्रति अपराध करने वाले अपराधियों को सजा दिलाने का प्रतिशत सिर्फ 25 है। यानी पूरे देश में महिलाओं के प्रति अपराध करने वाले 100 में से सिर्फ 25% अपराधियों को सजा दिलाई जाती है जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 100 में से 70 है। यह तो सिर्फ एक आंकड़ा है।
कैसे पाया उत्तर प्रदेश ने यह लक्ष्य ?
अब सवाल यह उठता है कि यह लक्ष्य उत्तर प्रदेश ने कैसे साधा। योगी आदित्यनाथ का सबसे बड़ा दो एजेंडा हैं, एक तुष्टीकरण की समाप्ति और दूसरी महिला के विरुद्ध अपराध करने वाले किसी भी सूरत में बचने ना पाए, वह आकाश में हो या पाताल में उन्हें ढूंढ कर दंडित किया जाए और यदि अपराधी पुलिस के साथ प्रतिघात करने का प्रयास करें तो एनकाउंटर भी कर दिया जाए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस निर्णायक सोच ने उत्तर प्रदेश को इस सम्मानजनक आंकड़े तक पहुंचाया है। योगी सरकार की सोच से गांव, देहात तक यह संदेश गया कि बेटियों की सुरक्षा के लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है। विपक्ष भले ही इसे ठोको पॉलिसी या बुलडोजर पॉलिसी का नाम दे लेकिन यह उसी नीति का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले 100 में से 70 को सजा दिलाने में सक्षम एवं सफल हुआ।
कुछ दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “इस चौराहे पर लड़की छेड़ोगे तो अगले चौराहे पर यमराज इंतजार कर रहा होगा।”
योगी सरकार का यह एक ऐसा एजेंडा है जिसे कभी प्रचार की आवश्यकता नहीं, इसके लिए वोटिंग और विज्ञापन की जरूरत नहीं है। इसकी सत्यता जानता स्वयं देखती और परखती है। उदाहरण के तौर पर यह घटना है कुछ दिन पूर्व तीन लड़के मोटरसाइकिल से जा रहे थे इन लोगों ने साइकिल से जा रही लड़की का दुपट्टा खींच लिया जिससे उस लड़की का संतुलन बिगड़ गया और वह ट्रक के नीचे आ गई जिससे लड़की की मौत मौत हो गई।
2 दिन बाद ही प्रदेश की जनता ने देखा कि वो तीनों अपराधी घायल अवस्था में गिरफ्तार किए गए और उनके पैर ऐसी स्थिति में पहुंच गए की मोटरसाइकिल चलाना तो दूर चलना भी उनके लिए स्वप्न जैसा हो गया। यह दृश्य प्रदेश में आश्वस्तता पैदा करता है। रहम की भीख मांगते, घिसटते,रेंगते अपराधी, मृत्यु का वरण करते हैं अपराधी, जेल की सलाखों के पीछे रोते, चीखते अपराधी, यह दृश्य जनमानस को संतुष्टि देता है और यही योगी आदित्यनाथ के शासन काल की विशेषता है।
महिलाओं के प्रति अपराध को अनदेखा करने का परिणाम था मुजफ्फरनगर का दंगा
मुजफ्फरनगर में 2013 में एक दंगा हुआ था यहां उसे देंगे का उल्लेख करना आवश्यक कि वह दंगा क्यों हुआ था। छोटे से इलाके में एक बच्ची के प्रति अपराध की घटना घटी। उस अपराध की घटना की रिपोर्ट दर्ज करने गए पीड़ित परिवार की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई क्योंकि, उस समय की पुलिस ने रिपोर्ट लिखने में असमर्थता जता दी और कहा कि ऊपर से रिपोर्ट नहीं लिखे जाने का आदेश है, क्योंकि इस घटना में एक विशेष वर्ग के अपराधी संलिप्त हैं। वहीं से मुजफ्फरनगर के दंगे की आग सुलगी और ऐसी सुलगी की पूरा पश्चिम धू- धू कर जल उठा।
महिला किसी भी वर्ग की हो उसके प्रति अपराध करने वालों को सजा दिलाना आवश्यक है। किसी खास वर्ग को वोटबैंक के लिए तरजीह देना और उसके अपराधों को अनदेखा करना तथा किसी विशेष वर्ग के होने के कारण उन्हें महिलाओं के प्रति अपराध करने के लिए छोड़ देना जैसी धारणा की कोख से ही मुजफ्फरनगर का दंगा जन्म था। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस धारणा को ही ध्वस्तीभूत कर दिया जिस वजह से आज उत्तर प्रदेश महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में सजा दिलाने में अव्वल आया है।
आज उत्तर प्रदेश के गांव, देहात, महानगर, कस्बा कहीं जाए लोग यह कहते सुने जाते हैं की बहन- बेटी के साथ छेड़खानी करोगे तो गोली खानी पड़ेगी और यदि गोली से बच गए तो जेल तो जाना ही पड़ेगा। यह सात्विक भय, कानून का भय और राजदंड का भय योगी सरकार की निर्णायक सोच का परिणाम है।
यूपी सरकार की दूसरी सबसे बड़ी ताकत है रूल ऑफ लॉ लागू करने में किसी खास धर्म, वर्ग या मजहब को कम, ज्यादा करके नहीं तोला जाएगा,सब बराबर है। योगी की सरकार ने सबको समभाव कर दिया है। किसी से तुष्टीकरण नहीं होगा। सब पर समान रूप से कानून लागू होगा।
उत्तर प्रदेश ने दो दंश बहुत गहरे महसूस किए हैं, पहला तुष्टीकरण, कानून का समान रूप से समदर्शी ना होना और दूसरा स्त्री के प्रति अपराध करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही ना होना। जाति, मत, पंथ, मजहब, राजनीतिक प्रतिबद्धता के आधार पर अपराधियों को छूट मिल जाना। इन दोनों से उत्तर प्रदेश त्रस्त था और इसी दोनों पर योगी सरकार ने कुठराघात करते हुए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जो इस सरकार की सबसे बड़ी ताकत बन गई जिसने उत्तर प्रदेश को इस सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया।
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