December 21, 2024
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Chandipura Virus News: क्या है चांदीपुरा वायरस, जिसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बनाई विशेष टीम

Chandipura Virus (CHPV): चांदीपुरा वायरस सैंड फ्लाई और मच्छर दोनों से फैलते हैं। ये मक्खियां उन घरों की दीवारों में आई दरारों में नजर आती है जो मिट्टी या गोबर से पुती हुई होती हैं। गंदे इलाकों में बने घरों की दीवारों में आई दरारों के बीच ये मक्खियां मिलती हैं। जिन कमरों में हवा और सूरज की रोशनी नहीं आती वहां भी ये यह मक्खियां पैदा होती हैं।

Chandipura Virus News: क्या है चांदीपुरा वायरस, जिसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बनाई विशेष टीम
Chandipura Virus News: क्या है चांदीपुरा वायरस, जिसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बनाई विशेष टीम

Chandipura Virus (चांदीपुरा वायरस), Health News: गुजरात में चांदीपुरा वायरस से अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है और अब तक इस वायरस के 71 संदिग्ध मामले आ चुके हैं। गुजरात में लगातार Chandipura Virus के बढ़ते मामले सामने आने पर इन मामलों से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी पहल की है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक विशेष टीम बनाई गई है जो जांच, पर्यावरण, महामारी के अध्ययन और रोकथाम में गुजरात सरकार की मदद करेगी।

यह बीमारी एक खास प्रजाति की मक्खी से फैलती है, जिसे सैंडफ्लाई कहते हैं। आखिर किन कारणों से यह बीमारी फैलती है? यह मक्खियां कहां पैदा होती हैं और उनके काटने से क्या होता है? आईए जानते हैं-

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Chandipura Virus एक वेक्टर जनित बीमारी है जो सैंडफ्लाई के द्वारा फैलती है। ये मक्खियां उन कच्चे घरों की दरारों में रहती हैं जो मिट्टी और गोबर से पुती होती हैं। आमतौर पर यह संक्रामक मक्खियां घर के अंदरूनी हिस्सों में पैदा होती हैं। नमी इन कीड़ों के लिए सबसे अनुकूल माहौल होता है जहां यह पैदा हो सकते हैं। ये सैंड फ्लाई अंडे देती है जो बड़े होकर वयस्क मक्खियां बन जाती हैं। नंगी आंखों से दिखने वाली मक्खियों के मुकाबले इनका आकार चार गुना कम होता है। जून से लेकर अक्टूबर के महीने के बीच चांदीपुरा वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं

कैसे वातावरण में पनपते हैं ये चांदीपुरा वायरस ?

Chandipura Virus सैंड फ्लाई और मच्छर दोनों से फैलते हैं। ये मक्खियां उन घरों की दीवारों में आई दरारों में नजर आती है जो मिट्टी या गोबर से पुती हुई होती हैं। गंदे इलाकों में बने घरों की दीवारों में आई दरारों के बीच ये मक्खियां मिलती हैं। जिन कमरों में हवा और सूरज की रोशनी नहीं आती वहां भी ये यह मक्खियां पैदा होती हैं।

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क्या चांदीपुरा वायरस से होने वाली बीमारी संक्रामक है ?

चांदीपुरा वायरस से होने वाली बीमारी कोई संक्रामक बीमारी नहीं है। यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे में नहीं फैलती। हालांकि अगर ये सैंड फ्लाई किसी संक्रमित बच्चों को काटने के बाद किसी स्वस्थ बच्चे को काटते हैं तो हो सकता है की स्वस्थ बच्चा बीमार पड़ जाए।

कितनी गंभीर होती है यह बीमारी ?

इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे जान गंवाने वाले बच्चों की दर करीब 85 फीसदी है। इसका मतलब है कि यदि 100 बच्चों को यह बीमारी होती है तो 15 बच्चे ही बचाए जा सकते हैं। आमतौर से 14 साल के बच्चे ही इस बीमारी की चपेट में आते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

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क्या है चांदीपुरा वायरस के लक्षण? (What are the symptoms of Chandipura virus?)

चांदीपुरा वायरस के लक्षण इस प्रकार हैं :

  • तेज बुखार
  • दस्त
  • उल्टी आना
  • जब्ती
  • नींद ना आना और
  • बेहोशी
  • कुछ घंटे बाद संक्रमित बच्चे को कोमा में जाने का भी खतरा रहता है। चांदीपुरा वायरस के इन लक्षणों के अलवर चमड़ी पर धब्बे भी पड़ जाते है।

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क्या है चांदीपुरा वायरस का उपचार ?

डॉक्टरों के मुताबिक इस वायरस से होने वाली बीमारी का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। केवल लक्षणों का ही इलाज हो पा रहा है। अभी तक इसके लिए वैक्सीन भी नहीं बनी है।

कैसे करें चांदीपुरा वायरस से बचाव ?

चांदीपुरा वायरस से होने वाली बीमारी से बचने के लिए निम्न उपाय करें –

  • घरों और आसपास के इलाकों में सफाई रखें।
  • कूड़ा – कचरा इकट्ठा न होने दें।
  • दीवारों में आई दरार और छोटे गड्ढों को जल्द से जल्द भर दें।
  • कमरे के अंदर सूरज की रोशनी का प्रबंध करें।
  • बच्चों को मच्छरदानी में सुलायें हो सके तो बच्चों को धूल में खेलने से रोकें।
  • कहीं भी पानी जमा न होने दें और मच्छर या मक्खियों को पैदा होने से रोकें।
  • इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

Press release by Ministry of Health and Family Welfare: https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2034701