July 27, 2024

मजबूत तंत्रिका तंत्र क्यों है आवश्यक ? (Why is it Important to have a Strong Nervous System) ?

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Nervous System: तंत्रिका तंत्र (Nervous System) शरीर का एक ऐसा कमांड सेंटर है इसके आदेश के बगैर ना आप सोच सकते हैं, ना महसूस कर सकते हैं, ना याद कर सकते हैं और ना ही विभिन्न अनैच्छिक क्रियाओं का संचालन संभव है। जैसे- दिल का धड़कना, फेफड़े और पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली, शरीर के तापमान का नियंत्रण में रहना आदि। लेकिन तंत्रिका तंत्र की जानकारी का लोगों में अभाव है। साथ ही इस जरूरी अंग की सेहत की अनदेखी भी की जाती है।

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मजबूत तंत्रिका तंत्र क्यों है आवश्यक ?

क्या है तंत्रिका तंत्र (What is Nervous System)?

तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के क्या है लक्षण ?

Nervous System: तंत्रिका तंत्र (Nervous System) शरीर का एक ऐसा कमांड सेंटर है इसके आदेश के बगैर ना आप सोच सकते हैं, ना महसूस कर सकते हैं, ना याद कर सकते हैं और ना ही विभिन्न अनैच्छिक क्रियाओं का संचालन संभव है। जैसे- दिल का धड़कना, फेफड़े और पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली, शरीर के तापमान का नियंत्रण में रहना आदि। लेकिन तंत्रिका तंत्र की जानकारी का लोगों में अभाव है। साथ ही इस जरूरी अंग की सेहत की अनदेखी भी की जाती है।

विशेषज्ञों के अनुसार करीब 600 से अधिक तंत्रिका तंत्र (Nervous System) से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनमें अल्जाइमर, पार्किसंस और डिमेंशिया, ब्रेन स्ट्रोक, माइग्रेन, मिर्गी आदि प्रमुख हैं।हमारे शरीर पर तंत्रिका तंत्र की हुकूमत चलती है, पर इसकी भूमिका और अच्छी सेहत की समझ कम ही देखने को मिलती है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति तंत्रिका तंत्र (Nervous System)की समस्या से जूझ रहा है। अधिक तनाव, गलत खान-पान और खराब जीवन शैली कम उम्र से विभिन्न न्यूरो डिसऑर्डर का शिकार बना रहे हैं। आईए जानते हैं क्या है तंत्रिका तंत्र क्या है?क्या हैं इसके कारण, लक्षण और तंत्रिका तंत्र को कैसे बनाएं मजबूत ?

क्या है तंत्रिका तंत्र (What is Nervous System)

तंत्रिका तंत्र शरीर की सूचना संचार प्रणाली है जिसकी कोशिकाओं का तंत्र पूरे शरीर में फैला है। इन्हीं से दिमाग और शरीर एक दूसरे को संदेश भेजते हैं और व्यक्ति किसी काम को कर पाता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड आते हैं। वहीं परिधीय तंत्रिका तंत्र में इन दोनों से बाहर की तांत्रिकाएं शामिल होती हैं। मस्तिष्क के विभिन्न हिस्से याददाश्त,सोने, बोलने, संतुलन बनाने, सांस लेने व दिल धड़कने जैसे जरूरी कार्यों पर काबू रखते हैं। इसमें संकेत देने वाले तारों की तरह है तांत्रिकाएं। प्रत्येक तांत्रिक में कई तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) के फाइबर होते हैं, जो विभिन्न अंगों में रिसेप्टर्स से संकेत लेते हैं। तंत्रिका कोशिकाएं न्यूरोट्रांसमीटर रसायनों की मदद से संदेश भेजती हैं। इसी से मांसपेशियों में मूवमेंट होती है।

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तंत्रिका तंत्र से जुड़ी प्रमुख समस्याएं

तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं-

ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)

यह गंभीर स्थिति है जिसमें मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं का समूह गांठ के रूप में बढ़ता है। इसका प्रमुख लक्षण है, लगातार सिर दर्द। इसका उपचार गांठ के आधार पर होता है रेडिएशन का दुष्प्रभाव, आनुवांशिक कारण, एचआईवी आदि भी इसके खतरे को बढ़ाते हैं, रेडिएशन कीमोथेरेपी और ब्रेन सर्जरी से उपचार होता है।

ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke)

ब्रेन स्ट्रोक का प्रमुख कारण मस्तिष्क को जाने वाली रक्त वाहिका का फटना है। रक्त वाहिका में क्लॉट बनने से भी ऐसा होता है। यह एक आपातकालीन मेडिकल स्थित है। उच्च रक्तचाप इसका एक बड़ा कारण है। दवाओं के साथ जरूरत पड़ने पर ब्रेन सर्जरी डीकंप्रेसिव क्रेनियोटॉमी की जाती है।

डिमेंशिया (Dementia)

यह समस्या मस्तिष्क में असामान्य परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होती है। इस रोग के प्रमुख लक्षण है याददाश्त बहुत खराब होना, सोचने व बोलने में दिक्कत होना आदि। डिमेंशिया का एक प्रमुख प्रकार अल्जाइमर नामक बीमारी है। इसके कई कारण है। संबंध में न्यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करना चाहिए।

मस्तिष्क में सूजन

मस्तिष्क के आंतरिक भाग में सूजन को सेरेब्रल एडिमा कहते हैं। इसके लक्षण तेज सिर दर्द, देखने व बोलने में दिक्कत, बेकाबू रक्तचाप, दौरा पड़ने व सुस्ती के रूप में सामने आते हैं। सूजन किस कारण से है पहले उसका उपचार किया जाता है। शुरुआती स्थिति में दवाई दी जाती हैं। गंभीर मामलों में डीकंप्रेसिव क्क्रेनियोटमी सर्जरी करनी पड़ती है।

मस्तिष्क में संक्रमण

मेनिनजाइटिस और इंसेफेलाइटिस दो प्रमुख संक्रमण है जो वायरस, बैक्टीरिया या कवक के कारण होते हैं। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस के लिए न्यूरो विशेषज्ञ एंटीबायोटिक्स देते हैं। जब मस्तिष्क में संक्रमण के कारण सूजन होता है तो इसे इंसेफेलाइटिस कहते हैं। ऑटोइम्यून रोगों और ब्रेन टीवी से भी मस्तिष्क में संक्रमण हो सकता है।

पार्किंसंस

मस्तिष्क में जब तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक न्यूरोकेमिकल निर्माण नहीं करती तब व्यक्ति की मनोदशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बुजुर्गों को यह अधिक होता है। संतुलन न बना पाना, झुकना, धीमी गति से काम करने जैसे लक्षण दिखते हैं।

माइग्रेन

माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है। यह सर के आधे हिस्से में टीसता हुआ दर्द होता है। यह मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र के विकारों के कारण हो सकता है। जी मिचलाना, उल्टी होना और प्रकाश व ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता इसके लक्षण हैं।इसका उपचार न्यूरो विशेषज्ञ से कराएं। इसके अलावा मिर्गी, कार्पल टनल सिंड्रोम डायबीटिक न्यूरोपैथी मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस भी तंत्रिका तंत्र संबंधी प्रमुख समस्याएं हैं ।

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तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याओं के क्या है कारण ?

अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक’ द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार अक्सर तनावग्रस्त रहना नर्वस सिस्टम को कमजोर बनाता है । तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याओं के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –

  • मशीनों पर आधारित जीवन शैली
  • खानपान की गलत आदत
  • गैजेट्स का बढ़ता इस्तेमाल
  • मानसिक व शारीरिक चोट
  • संक्रमण कुपोषण
  • दवाओं के साइड इफेक्ट
  • आनुवांशिक कारण
  • पर्यावरण से जुड़े कारण भी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं।

इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर व अनियंत्रित ब्लड शुगर भी तंत्रिका तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के क्या है लक्षण ?

तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं की समस्या का कारण क्या है और इससे कौन सा अंग प्रभावित हुआ है। ये लक्षण इस प्रकार हैं –

  • लगातार या जल्दी-जल्दी सर दर्द होना
  • धुंधला दिखाई देना
  • अचानक व्यवहार में बदलाव आना
  • कमजोरी महसूस होना
  • बोलने में जबान लडखडाना
  • बहुत अधिक थकान, उनींदापन बने रहना
  • संतुलन बनाने में परेशानी होना
  • हाथ या पैर सुन्न होना या कंपन रहना

तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने के उपाय

तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए कुछ उपाय हैं जिन्हें अपना कर हम अपने तंत्र का तंत्र को मजबूत रख सकते हैं-

  • स्वस्थ जीवन शैली अपनायें एवं सकारात्मक रहे
  • तनाव से दूर रहें
  • ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थाइरॉएड काबू में रखें, उपचार में लापरवाही ना बरतें।
  • 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल कम करें
  • नई भाषा या संगीत वाद्य सीखें, मस्तिष्क सक्रिय रहता है
  • मिर्गी वमाइग्रेन का उपचार विशेषज्ञ डॉक्टर से कराएं ।
  • शोधों के अनुसार दिमाग मजबूत बनाने के लिए पहेलियां,क्रॉसवर्ड व सुडोकू हल करें

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