July 27, 2024

World AIDS Day एड्स दिवस पर जानिए एड्स की शुरुआत कब और कहां हुई ?

World AIDS Day एड्स दिवस पर जानिए एड्स की शुरुआत कब और कहां हुई ?_Janpanchayat Health Blogs
World AIDS Day

एड्स (AIDS)एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से लाखों की संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। हालांकि इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए सरकार लगातार लोगों को जागरूक करती रही है। एड्स के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व एड्स दिवस प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एड्स वायरस की खोज किसने की? एड्स की शुरूआत सबसे पहले कैसे और कहां हुई? यह बीमारी पूरे विश्व में कैसे फैली? तथा लाल रिबन को ही एड्स का प्रतीक चिन्ह क्यों बनाया गया? आईए जानते हैं –

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AIDS की खोज किसने की थी ?

फ्रांस की वायरोलॉजिस्ट लुक मोंटैग्नियर (Luc Montagnier) ने एड्स बीमारी के कारण HIV वायरस की खोज की थी। एचआईवी वायरस की खोज में मोंटैग्नीयर का साथ फ्रांस के ही वैज्ञानिक फ्रेंकोइस बार सिनॉसी (Francoise Barre Sinossi)ने दिया था। 1983 में फ्रांस के पाश्चर इंस्टीट्यूट के दो वैज्ञानिक लुक मोंटेग्नियर और फ्रैंकोइस बार सिनॉसी ने एड्स से ग्रसित रोगी के सूजी हुई लिंफ ग्रंथियां से एक वायरस की खोज की जिसे LV वायरस कहा गया।

अमेरिका के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के रॉबर्ट गैलो ने 1 साल बाद HTLV- III वायरस की खोज की। 1985 में यह दोनों वायरस एक ही माने गए और इन्हें एड्स फैलाने के लिए जिम्मेदार माना गया। HTLV – III/LAV का नाम 1986 में पहली बार एचआईवी (HIV)अर्थात ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस रखा गया।

AIDSकी शुरुआत कैसे हुई ?

वैज्ञानिक शोध के अनुसार HIV जानवरों में मिलने वाला वायरस है। 19 वीं सदी में सबसे पहले अफ्रीका के खास प्रजाति के बंदरों में एड्स का वायरस मिला था। ऐसा माना जाता है कि यह रोग बंदरों से इंसानों में फैला। दक्षिण अफ्रीका के लोग बंदर खाते थे। इसलिए यह अनुमान लगाया गया कि बंदर को खाने से यह वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश कर गया।

सबसे पहले एड्स कहां फैला?

अफ्रीका के कांगो की राजधानी किशांस में सबसे पहले 1920 में यह बीमारी फैली थी।कांगो के एक बीमार आदमी के खून के नमूने में 1959 में सबसे पहले एचआईवी वायरस पाया गया था। कांगो की राजधानी किशांस तत्कालीन समय में सेक्स व्यापार का गढ़ था इस प्रकार सेक्स व्यापार और अन्य माध्यमों से यह बीमारी अन्य देशों में पहुंची।

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एड्स ने अफ्रीका से कैसे पूरे विश्व को अपनी गिरफ्त में लिया?

1960- 70 के दशक में औपनिवेशिक लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में हैती के लोग काम करते थे। वहां काम करते हुए लोगों ने स्थानीय स्तर पर शारीरिक संबंध भी बनाया, जिससे यह बीमारी उन लोगों में भी फैल गई और जब हैती के लोग अपने घर वापस लौटे तो वायरस उनके साथ हैती पहुंचा। 1970 के दौरान यह वायरस कैरेबिया से न्यूयॉर्क सिटी में फैला और फिर अमेरिका से होकर पूरे विश्व में लोगों को इस वायरस ने अपना शिकार बनना शुरू कर दिया।

भारत में AIDS का पहला मामला कब आया?

1986 में एड्स का पहला मामला भारत में सामने आया। डॉक्टर सुनीति सोलोमन और उनकी छात्रा सेल्लाप्पन निर्मला ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब उन्होंने बीमारी फैलने का खुलासा किया तो लोगों के निशाने पर आ गए। निर्मला ने चेन्नई, तमिलनाडु की महिला सेक्स वर्करो के खून का नमूना इकट्ठा किया और उसकी जांच की जिसमें पहली बार एड्स की पुष्टि हुई। हालांकि इस काम के लिए सोलोमन और निर्मला को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उनकी जांच पर भी सवाल उठाए गए।

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कैसे हुई AIDS की पहचान?

सर्वप्रथम एड्स की पहचान 1981 में हुई। लॉस एंजिल्स के डॉक्टर माइकल गॉटलीव ने एक अलग प्रकार का निमोनिया,पांच ऐसे समलैंगिक मरीजों में पाया जिनका रोग प्रतिरोधक तंत्र अचानक कमजोर पड़ गया था। इन मरीजों के समलैंगिक होने की वजह से यह अनुमान लगाया गया कि यह बीमारी समलैंगिकों से संबंधित है। इसलिए इसे ग्रिड अर्थात गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी का नाम दिया गया, लेकिन जब यह वायरस अन्य लोगों में भी पाया गया तो यह धारणा गलत सिद्ध हुई। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन, (Centers for Diseases Control and Prevention) अमेरिका ने सर्वप्रथम 1982 में इस बीमारी के लिए एड्स टर्म का इस्तेमाल किया।

एड्स का निशान ‘लाल रिबन’ को ही क्यों बनाया गया?

लाल रिबन को AIDS के निशान के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाल रिबन को ही एड्स के निशान के लिए क्यों चुना गया? क्योंकि एड्स खून से फैलने वाली बीमारी है और खून का रंग लाल होता है। एड्स के निशान को चुनने वाले लोगों ने अमेरिकी सैनिकों के लिए इस्तेमाल होने वाले पीले रिबन से प्रभावित होकर एड्स के निशान के लिए रिबन बनाने का विचार रखा और खून के लाल रंग के आधार पर रिबन का रंग लाल रखा गया जिसे एड्स का निशान बनाया गया।

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