December 23, 2024
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कांग्रेस का खोया हुआ गढ़ वापस दिलाने मैदान में उतरे कौन हैं के एल शर्मा ? : Amethi Lok Sabha Seat

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Amethi Lok Sabha Seat, Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की Amethi सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। इस सीट पर गांधी परिवार का दशकों से दबदबा रहा है लेकिन 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी कर कांग्रेस का किला ध्वस्त कर दिया था। 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी से मिली हार के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी सीट छोड़ दी है। अमेठी से कांग्रेस ने भाजपा की स्मृति ईरानी के खिलाफ किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है। कौन है किशोरी लाल शर्मा जिन्हें राहुल गांधी की जगह अमेठी से दिया गया टिकट? आइए जानते हैं –

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देश की प्रतिष्ठित सीट और कांग्रेस के गढ़ अमेठी से किशोरी लाल शर्मा पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन इनको यह मुकाम यूं ही नहीं मिला। लगभग 40 वर्ष पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लुधियाना निवासी किशोरी लाल शर्मा को यूथ कांग्रेस में कोआर्डिनेटर बनाया था। इसके बाद शर्मा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज देश की प्रतिष्ठित और गांधी परिवार की पारंपरिक सीट से उम्मीदवार बने हैं।

पहली बार 1983 में आए थे Amethi

लुधियाना के शिवाजी नगर निवासी किशोरी लाल स्नातक डिग्री लेने के बाद ही दिल्ली चले गए और गांधी परिवार के विश्वास पात्र बन गए। केएल शर्मा 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में आए थे। राजीव गांधी की मौत के बाद केएल शर्मा गांधी परिवार के बेहद करीबी बन गए। 1991 में राजीव गांधी के निधन के बाद अक्सर वे रायबरेली और अमेठी आते जाते रहते थे।

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पहली बार जब सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में उतरी और अमेठी से चुनाव लड़ीं उसी समय केएल शर्मा सोनिया गांधी के साथ अमेठी आ गए और जब सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़ दी और खुद रायबरेली आ गई तो केएल शर्मा ने रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों की जिम्मेदारी संभाली।

केएल शर्मा रायबरेली और अमेठी दोनों सीटों की देखभाल करते रहे। उनकी निष्ठा और वफादारी में कभी कोई कमी नहीं आई। जबकि समय के साथ लोग कांग्रेस पार्टी छोड़ते चले गए। केएल शर्मा कभी एआईसीसी के मेंबर रहे तो कभी चुनाव की बागडोर संभाली, कभी पंजाब कमेटी के सदस्य बने तो कभी बिहार के प्रभारी रहे। केएल शर्मा ने रायबरेली और अमेठी में पूरी जिम्मेदारी के साथ गांधी परिवार के लिए काम किया।

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स्मृति ईरानी पर लगातार अमेठी से दोबारा सांसद चुने जाने की जिम्मेदारी

कांग्रेस का गढ़ रहे अमेठी में अभी तक केवल एक बार 1998 में बीजेपी कमल खिला पाई है। 1998 के पहले और बाद में कभी इस सीट पर कमल नहीं खिल पाया। अब स्मृति ईरानी की नजर 1998 का ट्रेंड तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार संसद पहुंचने वाली अमेठी से पहली बीजेपी सांसद बनने पर है। कांग्रेस ने जिस प्रकार 1998 की हार के बाद नए चेहरे पर दांव लगाया था, उसी फार्मूले को अपनाते हुए 2019 में राहुल गांधी की हार के बाद नए चेहरे केएल शर्मा पर दांव लगाया है। अब देखना यह है कि क्या केएल शर्मा गांधी परिवार का खोया हुआ गढ़ पार्टी की झोली में डाल पाते हैं?