September 8, 2024
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Ganesh Chaturthi 2023 : आईये जानते हैं गणेश चतुर्थी से जुड़ी रोचक कथाएं एवं तथ्य

Ganesh Chaturthi 2023 : आईये जानते हैं गणेश चतुर्थी से जुड़ी रोचक कथाएं एवं तथ्य: भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में जाना जाता है। भाद्रपद का महीना भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना को समर्पित होता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है की भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश जन्मोत्सव का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश का यह उत्सव भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तिथि अर्थात 10 दिनों तक चलता है।

About Ganesh Chaturthi and ganesh ji in hindi_Festive Blogs

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)

भाद्रपद का महीना भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना को समर्पित होता है

भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में जाना जाता है। भाद्रपद का महीना भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना को समर्पित होता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है की भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश जन्मोत्सव का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश का यह उत्सव भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तिथि अर्थात 10 दिनों तक चलता है।

कैसे मनाई जाती है गणेश चतुर्थी ?

वैसे तो प्रत्येक महीने में गणेश चतुर्थी आती है। लेकिन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन घर-घर भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इसके अतिरिक्त बड़े-बड़े पूजा पंडाल बनाए जाते हैं, जिसमें गणेश भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापित कर 10 दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है और 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

वर्ष 2023 में कब है गणेश चतुर्थी ?

वर्ष 2023 में 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत 19 सितंबर को होगी। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को 2:09 पर प्रारंभ होकर 19 सितंबर 2023 को दोपहर 3:23 पर समाप्त हो जाएगी क्योंकि सनातन धर्म में उदया तिथि का मान होता है। अत: उदया तिथि के आधार पर गणेशोत्सव की शुरुआत 19 सितंबर को होगी।

गणेश स्थापना का क्या है शुभ मुहूर्त ?

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष स्थान होता है। वर्ष 2023 में गणेश प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11:07 से दोपहर 1:34 तक रहेगा।

विघ्नहर्ता, सिध्दीविनायक और बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश देवों में प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। हिंदू सनातन धर्म में पंचदेवों में श्री गणेश का भी स्थान है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।


आईए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणेश चतुर्थी से जुड़ी कुछ कथाओं के बारे में-


पौराणिक मान्यताओं के आधार पर गणेश चतुर्थी की से जुड़ी कथाएं प्रचलित है जो इस प्रकार हैं-

1. पहली कथा भगवान शिव और पार्वती से जुड़ी है

पहली कथा भगवान शिव और पार्वती से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती जी ने स्नान करते समय अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसको सजीव कर दिया। इसका नाम गणेश रखा।पार्वती जी ने गणेश जी को आदेश दिया कि मैं भीतर स्नान करने जा रही हूं। इसलिए तुम द्वार पर जाकर पहरा दो और ध्यान रखना जब तक मैं स्नान न कर लूं किसी को अंदर मत आने देना।
कुछ समय पश्चात शिवजी वहां पहुंचे और जब अंदर प्रवेश करना चाहा तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। इस पर क्रुद्ध होकर भगवान शिव ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब पार्वती जी को यह बात पता चली तो वह दुखी होकर विलाप करने लगी। उन्होंने शिवजी से पुत्र गणेश को पुनर्जीवित करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए एक हाथी के बालक का सर उस बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी अपने पुत्र गणेश को जीवित देखकर अत्यंत प्रसन्न हुई। गज का सर जुड़ने के कारण गणेशजी नाम “गजानन” पड़ा। यह घटना भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को घटित हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।

2. महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया और उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। महर्षि वेदव्यास के आग्रह पर गणेश जी ने कहा कि मैं लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम रोकूंगा नहीं। यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा। व्यास जी ने कहा हे प्रभु आप विद्वानों में श्रेष्ठ हैं। और मैं एक साधारण ऋषि हूं। मुझसे त्रुटि हो सकती है। इसलिए आप त्रुटियों का निवारण करके ही लिपिबद्ध कीजिए। व्यास जी श्लोक बोलने लगे और गणेश जी महाभारत को लिपिबद्ध करने लगे।
10 दिनों के पश्चात अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपूर्ण हुआ। इन 10 दिनों में एक ही आसन पर बैठे रहने के कारण गणेश जी का शरीर जड़वत हो गया और उस पर धूल मिट्टी की परत जमा हो गई। तब गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान कर अपने शरीर की धूल साफ की।
गणेश जी ने जिस दिन महाभारत को लिपिबद्ध करना प्रारंभ किया था उस दिन भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष इस तिथि को गणेश जी को स्थापित किया जाता है। और 10 दिनों के पश्चात अनंत चतुर्दशी पर उनका विसर्जन किया जाता है।

3. शनि ग्रह बालक गणेश को देखने आए

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार शनि ग्रह बालक गणेश को देखने आए और शनि की दृष्टि पड़ते ही गणेश जी का सिर कटकर गिर गया। भगवान विष्णु ने दोबारा गणेश के सिर में हाथी का सिर जोड़ दिया।

4. परशुराम जी ने अपने परशु से गणेशजी का एक दांत तोड़ दिया

एक कथा के अनुसार शिव पार्वती जी के दर्शन के लिए एक बार जब परशुराम जी कैलाश पर्वत गए। उस समय शिव पार्वती निद्रा में थे और गणेश जी पहरा दे रहे थे। गणेश जी ने परशुराम जी को द्वार पर ही रोक दिया, जिससे दोनों में विवाद हो गया। परशुराम जी ने अपने परशु से गणेशजी का एक दांत तोड़ दिया। इसलिए गणेश जी का एक नाम “एकदंत” पड़ा।

गणेश चतुर्थी से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting facts related to Ganesh Chaturthi)

गणेश उत्सव महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है यह पहला ऐसा त्यौहार है जिसका पौराणिक से कहीं ज्यादा ऐतिहासिक महत्व है। वैसे तो यह त्यौहार वैदिक पंचांग के आधार पर मनाया जाता है। लेकिन इस महोत्सव की जड़े इतिहास से जुड़ी हैं।


आईए जानते हैं गणेश चतुर्थी से जुड़े कुछ ऐतिहासिक एवं रोचक तथ्य

  •  गणेश चतुर्थी का उत्सव (Celebration of Ganesh Chaturthi) सर्वप्रथम छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में मनाया गया था।यह पेशावाओ द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार था। भगवान गणेश छत्रपति शिवा जी के कुल देवता माने जाते थे। 1600 के दशक में मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया था।
  • 1893 में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए सार्वजनिक गणेश चतुर्थी समारोह का आरंभ किया था। क्योंकि उस समय अंग्रेजों ने धार्मिक उद्देश्यों को छोड़कर सभी सामूहिक समारोहों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीयों को बड़े समूहों में मिलने से मना कर दिया था जिसके कारण बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर मुंबई में मंडपों पर भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा लगवाई थी। उन्होंने गणेश जी की विशाल प्रतिमा और सार्वजनिक समारोह को प्रोत्साहित किया जिससे लोग समूहों में एकत्रित हो सके और अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलन के लिए नीति निर्धारित कर सके।
  • गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना वर्जित है पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन चांद देखने से ही भगवान कृष्ण को मणि चोरी का मिथ्या कलंक लगा था जिससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने गणेश चतुर्थी का व्रत किया था। भविष्य पुराण में इस तिथि को ‘शिवा’ ‘शांत’ और ‘ सुखा’ चतुर्थी भी कहा जाता है।
  • भारत का सबसे लंबा गणेश चतुर्थी का जुलूस मुंबई के लालबाग राजा में आयोजित किया गया था। लालबाग राजा भारत के पुराने पंडालों में से एक पंडाल है। लालबाग राजा की स्थापना सबसे पहले मछुआरों ने की थी। लालबाग राजा भारत का सबसे लंबा विसर्जन जुलूस का आयोजन करता है। यह सुबह 10:00 बजे शुरू होता है और अगली सुबह समाप्त होता है
  • भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु थाईलैंड, कंबोडिया, चीन, जापान, नेपाल, अफगानिस्तान जैसे देशों में भी की जाती है लेकिन इन देशों में श्री गणेश जी का चित्रण भारतीय अवतार से भिन्न है।

महाराष्ट्र की गणेश चतुर्थी में "लालबाग के राजा" क्यों है प्रसिद्ध ?

लाल बाग में 1934 से गणेश पंडाल लगाया जा रहा है। परेल में लालबाग में कुछ दशको पहले तक कपड़ा मिले और सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल ही हुआ करते थे। 1900 के दशक की शुरुआत में इस इलाके में लगभग 130 कपास मिले थीं। इसे 39 मिलो का गांव कहां जाता था। 1932 के आसपास औद्योगिकरण होने के कारण मशीन युग की शुरुआत हुई और मजदूरों की नौकरी चली गई। यहां रहने वाले दुकानदारों और मछुआरा समुदाय की रोजी रोटी छीन गई।

कहते हैं विपत्ति के समय ईश्वर का ही स्मरण आता है। क्योंकि भगवान गणेश विघ्न विनाशक है अतः इस संकट की घड़ी में लोगों ने विघ्नहर्ता गणेश का स्मरण किया और अपनी संपूर्ण आस्था भगवान गणेश के प्रति समर्पित कर दी। भगवान गणेश (Lord Ganesha) की ही कृपा थी कि लोगों को काम करने के लिए एक मैदान मिल गया। जहां वह अपना काम कर सके। भगवान गणेश के आशीर्वाद से लोगों को काम मिला इसलिए वहां के लोगों ने 1934 में मैदान के एक हिस्से को प्रत्येक वर्ष सार्वजनिक गणेश पांडाल के लिए रख दिया।

गणेश चतुर्थी के दिन पंडाल लगाया गया और गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। सबसे पहले जो गणेशजी की मूर्ति स्थापित की गई थी उसे मछुआरों की तरह वस्त्र पहनाए गए थे। लाल बाग के राजा के रूप में गणेश जी को कई अवतारों में वहां स्थापित किया गया। लेकिन आज भी महाराष्ट्र में गणेश जी को “लालबाग के राजा” के नाम से ही जाना जाता है।

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श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

भगवान गणेश की पूजा से जुड़े चमत्कारिक मंत्र

  1. गजाननं भूत गणादि सेवितं,
    कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
    उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
    नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
  2.  वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

  3. ॐ नमस्ते गणपतये।। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि।। त्वमेव केवलं कर्ताऽसि।। त्वमेव केवलं धर्ताऽसि।। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।। त्वमेव सर्व खल्विदं ब्रह्मासि।। त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।

  4.  विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

    नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

  5. अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।

    मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥

  6. एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः।प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥

  7. एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।।
  8. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश। ग्लौम गणपति, रिद्धि पति, सिद्धि पति। मेरे कर दूर क्लेश।।

  9. त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। 
    नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
  10.  ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः’
  11.  ‘ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा’
  12. ऊं ह्रीं ग्रीं ह्रीं
  13. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश। ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।

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