September 8, 2024
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National Doctor’s Day: धरती पर मानव का भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों को समर्पित एक दिन

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor's Day, 01 July) Significance and importance
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor’s Day, 01 July)

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor’s Day): राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को मनाया जाता है। वैसे तो अलग-अलग देशों में यह दिन भिन्न- भिन्न तिथियों पर मनाया जाता है। लेकिन भारत में चिकित्सक दिवस 1 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री विधान चंद्र राय को भी समर्पित है, जो देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ चिकित्सक भी थे। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस, विधान चंद्र राय की स्मृति में मनाया जाता है क्योंकि 1 जुलाई को ही विधान चंद्र राय का जन्म दिवस और पुण्यतिथि दोनों है। विधान चंद्र राय ने आजादी के बाद अपना संपूर्ण जीवन लोगों की चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया था।

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चिकित्सक दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई?

अमेरिका के जॉर्जिया निवासी डॉ चार्ल्स बी अलमोंद की पत्नी यूदोरा ब्राउन अलमोंद ने चिकित्सकों का महत्व रेखांकित करने की आवश्यकता महसूस की थी। उन्हीं के प्रयासों से 30 मार्च 1930 को अमेरिका में पहली बार चिकित्सक दिवस मनाया गया। 30 मार्च को चिकित्सक दिवस मनाने के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि जॉर्जिया में 30 मार्च को ही डॉक्टर क्राफोर्ड लोंग ने पहली बार ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य था चिकित्सकों का दैनिक जीवन में महत्व बताना।

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भारत में चिकित्सक दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई?

भारत में चिकित्सकों के लिए 1 जुलाई का दिन समर्पित है। वर्ष 1991 से भारत में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई थी। 1 जुलाई को भारत के प्रख्यात चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी डॉ विधान चंद्र राय का जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही हैं। अतः 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस(National Doctor’s Day) मनाने का निर्णय लिया गया।

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कौन थे डॉक्टर विधान चंद्र राय (Who was Dr. Bidhan Chandra Roy)?

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Dr. Bidhan Chandra Roy

डॉ बिधान चंद्र राय का नाम, बहुमुखी प्रतिभा के धनी, एक वरिष्ठ चिकित्सक, विद्वान, शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्ध समाज सेवक और कुशल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता के रूप में बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है। बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए जिसके लिए उन्हें ‘ बंगाल का मसीहा’ भी कहा जाता है। आइए जानते हैं विधान चंद्र राय के जीवन के विषय में-

डॉ बिधान चंद्र राय का जन्म

डॉ बिधान चंद्र राय का जन्म 1 जुलाई सन 1882 को बिहार राज्य के पटना जिले में बांकीपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री प्रकाश चंद्र राय और माता का नाम श्रीमती कामिनी देवी था। विधान चंद्र अपने माता-पिता की पांच संतानों में सबसे छोटे थे। ऐसा कहा जाता है कि विधान चंद्र के पूर्वज बंगाल के राजघराने से संबंधित थे। लेकिन कालांतर में राजशाही का प्रभाव कम होता गया तथा पिता की सरकारी नौकरी के बावजूद विधान चंद्र की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।

विधान चंद्र की प्रारंभिक शिक्षा

विधान चंद्र की प्रारंभिक शिक्षा पटना के ही एक विद्यालय से हुई। मात्र 14 वर्ष की आयु में ही उनकी माता का देहांत होने के कारण वे अपने भाई बहनों के साथ मिलकर घर का कार्य स्वयं करते थे और अपने पिता को परिवार चलाने में सहयोग देते थे। उन्होंने गणित ऑनर्स की बी.ए. की परीक्षा पटना विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की। इस समय उन्हें सरकारी नौकरी का प्रस्ताव भी मिला लेकिन वे इंजीनियरिंग या डॉक्टरी में से किसी एक क्षेत्र में जाना चाहते थे।

उन्होंने शिवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज और कोलकाता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए प्रार्थना पत्र भेजे। उनके प्रार्थना पत्र को दोनों ही स्थानों पर स्वीकार कर लिया गया। कोलकाता मेडिकल कॉलेज का उत्तर पहले प्राप्त होने के कारण सन 1901 में कोलकाता चले गए।

गंभीर आर्थिक संकट का सामना करते हुए उन्होंने अपना अध्ययन निरंतर जारी रखा। उनकी आर्थिक तंगी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 5 वर्षों के अपने अध्ययन काल में वे सिर्फ ₹5 की पुस्तक ही खरीद सके थे। शेष किताबों के लिए उन्हें पुस्तकालय और अपने मित्रों पर निर्भर रहना पड़ता था।

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अपने व्यवहार और शैक्षिक प्रतिभा के बल पर कालेज के प्राध्यापकों और प्रधानाचार्य को विधान चंद्र ने बहुत प्रभावित किया। विधान चंद्र के प्रधानाचार्य कर्नल ल्यूकिस न सिर्फ उनका प्रेरणा स्रोत बने बल्कि उनको आगे बढ़ने में बहुत सहयोग दिया। एल. एम. एस. की परीक्षा उन्होंने 1906 में उत्तीर्ण की और प्रांतीय स्वास्थ्य सेवा में नियुक्त हो गए। उन्होंने एक चिकित्सक के रूप में रोगियों का उपचार करने में कठिन परिश्रम और समर्पण से कार्य किया।

साथ ही डॉक्टरी का अध्ययन भी करते रहे। सन 1909 में उन्होंने एम.डी. की परीक्षा उत्तीर्ण की और अपने प्रधानाचार्य कर्नल ल्यूकिस के सहयोग से इंग्लैंड के ‘ सेंट बाथोलोम्युस’ में अध्ययन करने लगे। उन्होंने अस्पताल में नर्स का काम करके अपनी पढ़ाई पूरी की। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने समय से पूर्व ही एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1911 में वह भारत लौट आए। 1916 में कोलकाता विश्वविद्यालय के फेलो चुने गए।

विधान चंद्र राय का राजनीतिक सफर

विधान चंद्र राय 1922 में कोलकाता मेडिकल जनरल के संपादक और बोर्ड के सदस्य बने 1923 में उन्होंने बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उस समय के प्रसिद्ध नेता एवं अपने विपक्षी सुरेंद्रनाथ बनर्जी को पराजित कर देश की सक्रिय राजनीति में कदम रखा। देशबंधु चितरंजन दास उनके निकटतम सहयोगी बने। 1927 में देश बंधु जी की मृत्यु के पश्चात वे कांग्रेस के समानांतर बनी स्वराज पार्टी के उप नेता बन गए उसी समय उनकी भेंट सुभाष चंद्र बोस से हुई। डॉ. राय नेताजी के विचारों से सहमत हुए और अपने भाषण में कहा –

“भारतवासियों को आपसी मतभेद भुलाकर देश की स्वतंत्रता के लिए दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए।

– Dr. Bidhan Chandra Roy 

डॉक्टर विधान चंद्र राय के ऊपर गांधी जी का सानिध्य

डॉक्टर राय अपनी विद्वत्ता और प्रतिभा के कारण गांधी जी और नेहरू जी के भी बहुत निकट आ गए थे। 1928 में भी अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य चुने गए। 1929 में उन्होंने बंगाल में ‘ सविनय अवज्ञा आंदोलन’ का नेतृत्व किया। 1934 में बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष चुने गए। 1940 में वे कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति से भी अलग हो गए। 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध का दौर चल रहा था। वह कोलकाता विश्वविद्यालय की कुलपति नियुक्त हुए।

ऐसी विषम परिस्थितियों में भी कोलकाता में शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को डॉक्टर राय ने बनाए रखा। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें ‘ डॉक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि दी गई।

डॉक्टर विधान चंद्र राय मुख्यमंत्री पद पर कब आसीन हुए ?

1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात डॉक्टर राय को केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित करने पर विचार हुआ। लेकिन अपने समाज सेवा कार्यों और चिकित्सा को प्राथमिकता देते हुए Dr. Bidhan Chandra Royने स्पष्ट इंकार कर दिया लेकिन एक कांग्रेसी होने के नाते गांधी जी के कहने पर उन्हें अपने कर्तव्य के रूप में बंगाल के मुख्यमंत्री पद का दायित्व ग्रहण करना पड़ा।

राज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 23 जनवरी 1948 में उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। आज भी भारत के विभिन्न स्थानों में स्थापित संस्थान इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वह सही मायनों में राष्ट्र निर्माता थे। यह संस्थान है-
‘ चितरंजन सेवा सदन’, ‘ जादवपुर टी.बी. अस्पताल’, ‘ आर.जी. खार मेडिकल कॉलेज’, ‘ कमला नेहरू अस्पताल’, विक्टोरिया संस्थान और चितरंजन कैंसर अस्पताल। 1957 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।

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Dr. Bidhan Chandra Roy को भारत सरकार द्वारा ‘ भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया

विद्वान, शिक्षाविद, वरिष्ठ चिकित्सक, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक डॉ विधान चंद्र राय को 4 फरवरी 1961 में भारत सरकार द्वारा ‘ भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

डॉ बिधान चंद्र राय का निधन

डॉ बिधान चंद्र राय का 1 जुलाई 1962 में 80 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। डॉक्टर राय की मृत्यु पर पूरा राष्ट्र शोक में डूब गया। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके सम्मान में 1967 में दिल्ली में डॉक्टर बी. सी. राय स्मारक पुस्तकालय और वाचनालय की स्थापना की गई। 1976 में उनके नाम पर डॉक्टर बी. सी. राय राष्ट्रीय पुरस्कार आरंभ किया गया। यह पुरस्कार चिकित्सा, दर्शन, साहित्य, कला और राजनीति विज्ञान के लिए दिया जाता है।

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क्या है चिकित्सक का महत्व (What is the Importance of Doctor)?

एक चिकित्सक को धरती पर ईश्वर का दूसरा रूप माना जाता है। ईश्वर जिस जीवन को एक बार देता है। चिकित्सक उस मूल्यवान जीवन की बार-बार रक्षा करता है। विश्व में कई ऐसे उदाहरण है जहां चिकित्सकों ने भगवान से भी बढ़कर कार्य किया है। यह एक ऐसा पेशा है जहां दवा और दुआ का अनोखा संगम देखने को मिलता है। किसी बच्चे को जन्म देना हो या किसी वृद्ध की जान बचानी हो, चिकित्सक सदैव मानव को मुसीबतों से बचाता है।

मानव जाति के लिए चिकित्सकों का समर्पण अमूल्य है। जहां तक भारत की बात है तो आज भी यहां चिकित्सकों और वैद्द्यो का आदर सत्कार किया जाता है। चिकित्सक के इसी समर्पण और त्याग को याद करने के लिए 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor’s Day)के रूप में मनाया जाता है।

चिकित्सक दिवस का महत्व (Significance of Doctor’s Day)

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चिकित्सक दिवस का महत्व (Significance of Doctor’s Day)

चिकित्सा एक ऐसा व्यवसाय है जिस पर लोग विश्वास करते हैं। और इस विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी चिकित्सकों पर है। चिकित्सक दिवस (Doctor’s Day) चिकित्सकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह दिन चिकित्सकों को अपने चिकित्सकीय प्रशिक्षण को पुनर्जीवित करने का अवसर प्रदान करता है। एक चिकित्सक जब व्यवसाय अपनाता है तो उसके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की सहायता का जज्बा होता है।

जिसकी वह सौगंध लेते हैं लेकिन कुछ लोग इस विचार से पथभ्रष्ट होकर अनैतिकता की राह पर चल पड़ते हैं। चिकित्सक दिवस (Doctor’s Day)चिकित्सकों को यह अवसर प्रदान करता है कि वे अपने अंतर्मन में झांके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियो को समझें और चिकित्सा को सिर्फ धन कमाने का व्यवसाय ना बनाकर मानवीय सेवा का व्यवसाय बनाएं।चिकित्सकों द्वारा मानवीय सेवा को प्राथमिकता देने से ही हमारा यह चिकित्सा दिवस मनाना सही मायनों में सार्थक सिद्ध होगा।

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2024 की थीम (Theme of National Doctor’s Day)

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2024 की थीम है –

“हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स” (“Healing Hands, Caring Hearts”)

– National Doctor’s Day Theme 2024
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