December 22, 2024
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Indian Navy Day 2023: आईए जानते हैं भारतीय नौसेना दिवस के अवसर पर इस दिन के इतिहास और महत्व के विषय में

Indian Navy Day 2023_भारतीय नौसेना दिवस
Indian Navy Day 2023

भारतीय सेना विश्व की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक हैं। भारत की जल, थल और वायु सेना सदैव देश की सुरक्षा में तत्पर रहती हैं।भारतीय नौसेना सदैव से ही जलमार्ग की सुरक्षा में तत्पर रही है जिसके कारण दुश्मन देश ने जब भी भारत पर आक्रमण करने की सोची तो जमीन से ही आक्रमण किया क्योंकि जल सेना की तत्परता के कारण जल मार्ग से आक्रमण संभव नहीं है। भारतीय नौसेना की पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में प्रत्येक वर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस(Indian Navy Day)मनाया जाता है। भारतीय नौसेना दिवस भारतीय नौसेना की उपलब्धियों और साहस को नमन करने का दिन है।

आईए जानते हैं भारतीय नौसेना दिवस के अवसर पर इस दिन के इतिहास और महत्व के विषय में-

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कब मनाया जाता है भारतीय नौसेना दिवस (When is Indian Navy Day Celebrated)

भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) प्रत्येक वर्ष 4 दिसंबर को नौसेना बलों को सम्मानित करने और उनके योगदान की सराहना के लिए यह खास दिन मनाया जाता है। भारतीय नौसेना दिवस प्रत्येक वर्ष एक थीम के तहत मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है भारतीय नौसेना दिवस (Why is Indian Navy Day Celebrated) ?

भारतीय नौसेना दिवस 1971 की जंग में भारतीय नौसेना के पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में मनाया जाता है। 3 दिसंबर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाक सेना के खिलाफ जंग की शुरुआत कर चुकी थी। उसी समय “ऑपरेशन ट्राइडेंट” के तहत 4 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौ सैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था। इस युद्ध में पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया गया था।

क्या है ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ (What is Operation Trident) ?

‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ की योजना नौसेना प्रमुख एडमिरल एस. एम. नंदा के नेतृत्व में बनाई गई थी। इस कार्य की जिम्मेदारी 25वी स्क्वाड्रन कमांडर बबरु भान यादव को दी गई थी। 4 और 5 दिसंबर की रात को भारतीय नौसेना के जहाज किल्टन, कच्छल, निपत, निर्घाट और वीर ने कराची बंदरगाह पर अपना पहला मिसाइल हमला किया।

रात 10:30 बजे के आसपास जब भारतीय बेड़ा कराची से 70 समुद्री मील दक्षिण में पहुंचा तो आईएनस निपट के अधिकारियों में से एक ने रडार पर एक ब्लिप देखा जो दुश्मन के जहाज के पास आने का संकेत दे रहा था और उसे डुबाने के लिए कई मिसाइलें दागी।बाद में इसकी पहचान पाकिस्तानी विध्वसंक पीएनएस खैबर के रूप में की गई। आईएनस वीर ने बंदरगाह के पास पहुंचने पर पीएनएस मुहाफिज (पाकिस्तान तटीय माइनस्वीपर) पर मिसाइलें दागी ताकि वह अपने चालक दल के साथ डूब जाए।

आजादी के बाद अपने पहले मिसाइल बोट ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने चार पाकिस्तानी जहाज को नष्ट कर दिया और अन्य दो को क्षतिग्रस्त कर दिया। पाकिस्तानी ईंधन भंडार और बंदरगाह भी नष्ट हो गए।

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7 दिनों तक जलता रहा कराची तेल डिपो

इस भीषण युद्ध में भारतीय नौसेना के जहाजों ने कराची बंदरगाह पर विनाशकारी मारक क्षमता से बमबारी की जिससे प्रतिद्वंद्वी को भारी नुकसान हुआ। इस युद्ध में पाक के ऑयल टैंक भी तबाह हो गए। कराची तेल डिपो में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से देखा जा सकता था। कराची के तेल डिपो में लगी आग को 7 दिनों और 7 रातों तक नहीं बुझाया जा सका।

कब हुई भारतीय नौसेना की स्थापना

भारतीय नौसेना अपने गौरवशाली इतिहास के साथ भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षक है। यह विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी नौसेना है। आधुनिक भारतीय नौसेना की नींव 17वीं शताब्दी में रखी गई थी जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक समुद्री सेना के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की और इस प्रकार 1934 में ‘रॉयल इंडियन नेवी’ की स्थापना हुई। भारतीय नौसेना की अधिकृत शुरुआत 5 सितंबर 1612 को हुई थी।

इस दिन ईस्ट इंडिया कंपनी के लड़ाकू जहाज का पहला बेड़ा सूरत के बंदरगाह पर पहुंचा था। पहले विश्व युद्ध के दौरान इस नौसेना का नया नाम ‘रॉयल इंडियन मरीन’ रखा गया।

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना और इस दिन भारतीय नौसेना ने अपने नाम के सामने से रॉयल नाम को त्याग दिया। इस समय भारतीय नौसेना में 32- नौ परिवहन पोत और लगभग 11,000 अधिकारी और नौसैनिक थे। भारतीय नौसेना के पहले कमांडर- इन-चीफ़ रियल एडमिरल आई. टी. एस. हॉल थे। प्रथम भारतीय नौसेना अध्यक्ष (CNS) वाइस एडमिरल आर. टी.कटारी थे, जिन्होंने 22 अप्रैल 1958 को कार्यभार संभाला।

भारतीय नौसेना की कितनी कमाने हैं?

भारतीय नौसेना की कुल तीन नौ सैनिक कमान है। पश्चिमी कमान का मुख्यालय मुंबई में, पूर्वी कमान का मुख्यालय विशाखापट्टनम में और दक्षिणी कमान का मुख्यालय कोच्चि में है।

भारत का पहला विमानवाही पोत

‘ आईएनएस विक्रांत’ भारत का पहला विमानवही पोत था, जिसे 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया और जनवरी 1997 में सेवा मुक्त कर दिया गया। भारत का दूसरा विमानवही ‘आईएनएस विराट’ है जिसे 1986 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था

भारतीय नौसेना का ध्वज (Flag of Indian )

2 सितंबर 2022 को विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के कमीशनिंग समारोह के दौरान भारतीय नौसेना ने नए ध्वज का अनावरण किया। नया ध्वज एक ढाल के आकार का प्रतीक है जिसके केंद्र में एक नीला अष्टकोण है। अष्टकोण को एक लंगर पर लगाया गया है और भारत का राष्ट्रीय प्रतीक ढाल के शीर्ष पर प्रदर्शित किया गया है। यह ध्वज दोहरी सुनहरी धारियो से घिरा हुआ है। नीला अष्टकोण, नौसेना के आठ मूल्य- साहस, प्रतिबद्धता, कामरेडशिप, करुणा, क्षमता, अनुशासन, देशभक्ति और व्यवसायिकता का प्रतिनिधित्व करता है।

भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य

भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य है -“शं नो वरुणा:”

अर्थात समुद्र के भगवान,वरुण हमारे लिए शुभ हो।

यह सबसे पुराने हिंदू धर्मग्रंथ वेदों से समुद्र के देवता का आवाहन है। इस वाक्य को भारतीय नौसेना के आदर्श वाक्य के रूप में स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के सुझाव पर लिया गया था। यह आदर्श वाक्य नौसेना के समुद्र से गहरे संबंध और देश के समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नौसेना के शिखर पर देवनागरी लिपि में आदर्श वाक्य अंकित है, जो नौसेना के सभी जहाज के ध्वज पर प्रदर्शित होता है।

भारतीय नौसेना दिवस का महत्व (Significance of The Indian Navy Day)

भारतीय नौसेना दिवस भारतीय नौसेना की वीरता व्यवसायिकता और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए अटूट प्रतिबद्धता की स्मृति में अत्यधिक महत्व रखता है। यह भारत की समुद्री सीमा की सुरक्षा करने और राष्ट्रीय हितों को बनाए रखने में भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है तथा इसके लिए एक श्रद्धांजलि का अवसर है।

यह दिन नौसेना के कर्मियों के समर्पण, बलिदान और अटूट प्रतिबद्धता को सम्मान देने और पहचान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। भारतीय नौसेना दिवस भारतीयों के बीच समुद्री सुरक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा समुद्री सुरक्षा के महत्व और देश के समुद्री हितों की रक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका पर प्रकाश डालता है।

भारतीय नौसेना दिवस भावी पीढ़ियों में देशभक्ति, कर्तव्य और जिम्मेदारी की भावना पैदा करता है जिससे भारत के भविष्य के लिए एक मजबूत समुद्री शक्ति को बढ़ावा मिलता है।

भारतीय नौसेना दिवस समारोह 2023

भारतीय नौसेना दिवस के अवसर पर भारतीय नौसेना 4 दिसंबर 2023 को भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर प्रतिष्ठित सिंधुदुर्ग किले में जहाज और विमान द्वारा नौसेना संचालन के एक स्पेक्ट्रम को कवर करते हुए अपने ‘ऑपरेशनल प्रदर्शन’ के माध्यम से अपनी परिचालन कौशल और क्षमताओं का प्रदर्शन करेगी। यह कार्यक्रम एडमिरल आर हरि द्वारा आयोजित किया जाएगा। नौसेना स्टाफ के प्रमुख कुमार को केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी सैन्य गणमान्य व्यक्ति और स्थानीय लोग तारकर्ली समुद्र तट से देखेंगे।

मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा वर्ष 1660 में निर्मित ‘सिंधु दुर्ग किला’ भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास का दावा करता है और नौसेना की अपनी अग्रणी संपत्तियों के साथ परिचालन प्रदर्शन करने की आवश्यकता को भी पूरा करता है।
नौसेना के इस कार्यक्रम में प्रमुख आकर्षण के रूप में मिग 29K के और एलसीए नौसेना के 40 विमान के साथ 20 युद्ध पोतो की भागीदारी होगी।

साथ ही भारतीय नौसेना के समुद्री कमांडो द्वारा युद्धक समुद्र तट टोही और हमले का डेमो भी शामिल होगा अन्य प्रमुख आकर्षणों में नौसेना बैंड का प्रदर्शन, निरंतरता ड्रिल और एसीसी कैडेटों द्वारा हॉर्न पाइप नित्य शामिल है। यह आयोजन सिंधु दुर्ग किले में लेजर शो के बाद लंगरगाह पर जहाज की रोशनी के साथ समाप्त होगा।

यह पहली बार है कि भारतीय नौसेना का एक मेगा कार्यक्रम का आयोजन करेगी जो किसी भी प्रमुख नौसेना स्टेशन पर नहीं हो रहा है। सिंधुदुर्ग किले का स्थान मुंबई से 550 किलोमीटर और गोवा में नौसेना स्टेशन से लगभग 135 किलोमीटर दूर है इन आयोजनों को प्रदर्शित करने के लिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ नौसेना द्वारा हर संभव प्रयास किए गए हैं। नौसेना दिवस समारोह का उद्देश्य अधिक पहुंच को बढ़ावा देना,

नागरिकों के बीच समुद्री चेतना को नवीनीकृत करना और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति नौसेना के योगदान को उजागर करना।

भारतीय नौसेना दिवस 2023 की थीम( Theme of Indian Navy Day 2023)

भारतीय नौसेना दिवस 2023 की थीम है-

“समुद्री क्षेत्र में परिचालन, दक्षता ,तत्परता और मिशन उपलब्धि।” ( Operational Efficiency, Readiness and Mission Accomplishment in the Maritime Domain)

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